दिल्ली में ऑड-ईवन योजना समाप्त होने के बाद कामकाज के शुरुआती तीन दिनों में हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई और योजना खत्म होने के बाद पहले दिन ही पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर 57 फीसदी से अधिक हो गया. यह दावा एक हरित निकाय ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट‘ (सीएसई) ने एक अध्ययन में किया है.
अध्ययन में कहा गया है कि ऑड-ईवन योजना की वजह से हासिल हुई वायु की गुणवत्ता को दिल्ली खो चुकी है. अगर समय रहते वायु की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कदम न उठाए गए तो ठंड देर से पड़ने की वजह से प्रदूषण और भी हानिकारक रूप ले लेगा.
अध्ययन में दिल्ली सरकार से जाड़े के मौसम के शेष हिस्से के बारे में और टिकाऊ आधार पर यातायात घटाने एवं सार्वजनिक वाहनों को ज्यादा प्रभावी तरीके से चलाने की अनुमति देने के लिए उसकी योजना का शीघ्र खुलासा करने का आग्रह किया है. जनवरी माह के शुरुआती दो सप्ताह में चलाई गई ऑड-ईवन योजना के कारण सड़कों पर वाहनों का यातायात कम हो गया था.
सीएसई ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का कार्यान्वयन करने का आग्रह किया है. इन आदेशों में बस और मेट्रो की संख्या शीघ्र बढ़ाने, ट्रकों के यातायात का मार्ग परिवर्तन, वाहनों के लिए यूरो पांच उत्सर्जन मानकों के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए नोटिस तथा कोयला आधारित बदरपुर पावर स्टेशन संयंत्र पर क्लोजर नोटिस जारी करना शामिल है.
अध्ययन में कहा गया है कि ऑड-ईवन योजना की वजह से हासिल लाभ, योजना के समाप्त होने के बाद पहले सोमवार को ही फिर से यातायात उमड़ने की वजह से तत्काल समाप्त हो गए. हवाओं की धीमी गति ने भी इसमें मदद की। फिर 18 जनवरी को पीएम 2.5 का स्तर तेजी से 57% बढ़ गया और यह एक बार फिर ‘तीव्र‘ श्रेणी में आ गया.
इसमें कहा गया है, ‘शहर में 277 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (सीयूएम) के व्यापक सांद्रण के साथ दिल्ली की हवा की गुणवत्ता एक बार फिर ‘खतरनाक‘ श्रेणी में आ गई. पीएम 2.5 का स्तर मंगलवार को भी ‘खतरनाक‘ श्रेणी में रहा और सांद्रण 281 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक बढ़ गया.‘
सीएसई के विश्लेषण में कहा गया है ‘सोमवार को 24 घंटे के अंदर ही प्रदूषण 101 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर (सीयूएम) तक बढ़ गया. दिन में तेज हवाएं चलने के बावजूद, ऑड-ईवन योजना की अवधि की तुलना में 18 जनवरी को यह 35% अधिक हो गया, जबकि 11 जनवरी को यह 75 माइक्रोग्राम था.‘ इसमें आगे कहा गया है कि ऑड-ईवन योजना अवधि के दौरान प्रदूषण का चरम स्तर भी कम था.
सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी ने बताया, ‘इससे तत्काल कदम उठाने की जरूरत रेखांकित होती है. जब योजना चल रही थी तब का पखवाड़ा साफ बताता है कि तब का प्रदूषण का चरम स्तर आम तौर पर इस मौसम में रहने वाले स्मॉग के स्तर से बहुत कम था.‘
हरित निकाय का कहना है कि ऑड-ईवन योजना का आखिरी दिन 15 जनवरी जाड़े के इस मौसम का सबसे साफ दिन था, जब पीएम 2.5 का स्तर घट कर 155 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर था. अब से पहले पांच नवंबर 2015 को प्रदूषण का स्तर कम दर्ज किया गया था, जब शहर में बारिश हुई थी.