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नेपाली नकली नोट छापने वाले गिरोह का पर्दाफाश

रक्सौल/बैरगनिया : नेपाल के सीमावर्ती जिला रौतहट में नेपाली नकली नोट की छपाई करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के आरोपितों को गुरुवार सुबह गिरफ्तार किया है. मधेस आंदोलन का लाभ लेकर गिरोह नोटों की छपाई का काम कर रहा था. रौतहट एसपी गणेश राज रेग्मी ने बताया कि […]

रक्सौल/बैरगनिया : नेपाल के सीमावर्ती जिला रौतहट में नेपाली नकली नोट की छपाई करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के आरोपितों को गुरुवार सुबह गिरफ्तार किया है. मधेस आंदोलन का लाभ लेकर गिरोह नोटों की छपाई का काम कर रहा था. रौतहट एसपी गणेश राज रेग्मी ने बताया कि जिन गिरफ्तार लोगों में एक भारतीय व एक नेपाली नागरिक शामिल हैं, जो रैकेट का संचालक हैं. इसके अलावा चार अन्य लोग जाली नोटों की मार्केटिंग

नेपाली नकली नोट

का काम करते थे.

एसपी ने बताया कि रैकेट के सरगना पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन के नुनौरा गांव निवासी अभय कुमार साह व नेपाल के धनुषा निवासी मनोज महतो को गुरुवार सुबह बारा जिले के पीपरपाती से गिरफ्तार किया गया. इनकी निशानदेही पर रौतहट के सखुअवा से जाली नोट छापने वाली मशीन भी बरामद कर ली गयी. साथ ही 50 हजार का जाली नोट भी बरामद किया गया है. उन्होंने बताया कि अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस अनुसंधान को आगे बढ़ाया जा रहा है.

इस तरह हुआ गिरोह खुलासा

एसपी श्री रेग्मी ने बताया कि कुछ दिन पहले पुलिस ने गांजा सेवन के आरोप में गौर नौ के निवासी रामप्रवेश यादव को गिरफ्तार किया था. उसके पास से एक हजार का जाली नोट मिला. पूछताछ में रामप्रवेश ने बताया कि यह नोट उसे गौर सात के युगल किशोर नाम के आदमी ने दिया था. इसके बाद पुलिस ने युगल किशोर को हिरासत में लिया. उसके पास से 500 व 1000 के 45 हजार रुपये के जाली नोट बरामद हुये. युगल ने बताया कि वह केवल मार्केटिंग करता है, उसके ऊपर सखुअवा का नारायण चौधरी है. इसके बाद पुलिस ने नारायण चौधरी को गिरफ्तार किया. उसके पास से भी 3500 रुपये के जाली नोट बरामद हुये. नारायण की निशानदेही पर पुलिस ने चन्द्रपुर के वसीम अहमद को गिरफ्तार किया. वसीम की निशानदेही पर गुरुवार सुबह घोड़ासहन के नुनौरा निवासी अभय कुमार साह व धनुषा के मनोज महतो को गिरफ्तार किया गया.

200 में देते थे 1000 का नोट

एसपी श्री रेग्मी ने बताया कि गिरोह की ओर से जाली नोट की मार्केटिंग की जाती थी. गिरोह के सदस्य 200 रुपये में 1000 का जाली नोट बाजार में देते थे.

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