इसी कारण यहां पर रंगाई विभाग में काम ठप है. नया कारीगर नहीं मिल रहा है.
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बेनूर हो रहा है भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ, खादी ग्रामोद्योग संघ में तिरंगे का निर्माण बंद
भागलपुर: भागलपुर में बना तिरंगा अब पटना के गांधी मैदान में शान से लहराता नहीं दिखेगा. इतना ही नहीं, सिल्क सिटी में सिल्क से बने झंडे भी अब नहीं दिखलाई देंगे. इसका कारण है भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ में तिरंगे के निर्माण का बंद होना. अभी तीन रंगों की पट्टी वाले कुछ झंडे तो […]
भागलपुर: भागलपुर में बना तिरंगा अब पटना के गांधी मैदान में शान से लहराता नहीं दिखेगा. इतना ही नहीं, सिल्क सिटी में सिल्क से बने झंडे भी अब नहीं दिखलाई देंगे. इसका कारण है भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ में तिरंगे के निर्माण का बंद होना. अभी तीन रंगों की पट्टी वाले कुछ झंडे तो बन भी जाते हैं, लेकिन अशोक चक्र बनाने वाले ही नहीं हैं, जिससे झंडा पूरा हो सके.
200 की जगह बचे हैं 18 कर्मी : हाल के दिनों तक पटना स्थित गांधी मैदान समेत प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालयों में यहीं पर बने तिरंगे उपलब्ध कराये जाते रहे हैं. खादी ग्रामोद्योग संघ के प्रबंधक मायाकांत झा ने बताया कि यहां पर पहले 200 कर्मी थे, जो घट कर अब 18 पर पहुंच गया है. झंडा तैयार करनेवाले दर्जी मो सज्जाद ने बताया कि उनके ससुर मो नूर मास्टर ने यहां पर 40 वर्षों तक सेवा दी. अस्वस्थ होने पर दो वर्षों से खुद यहां पर सेवा दे रहे हैं. महंगाई बढ़ती गयी और आमदनी घटती गयी. यहां पर झंडा का निर्माण घट जाने से धीरे-धीरे बाजार में मांग भी घट गयी. पांच वर्षों में दोगुनी-तिगुनी महंगाई बढ़ गयी. इस बार एक माह में 600 झंडा ही बना पा रहे हैं.
सिल्क सिटी में सिल्क के तिरंगे की कमी : प्रबंधक मायाकांत झा ने बताया कि सिल्क सिटी में सिल्क के तिरंगे उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं.
जिलाधिकारी कार्यालय से तीन सिल्क के झंडे की मांग की गयी. वहां किसी तरह उपलब्ध करा पा रहे हैं. सिल्क का झंडा तैयार करनेवाले कारीगर नहीं हैं. यही बात भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष अशोक सिंह भी स्वीकारते हैं. रंगाई विभाग के मैनेजर रणधीर सिंह ने बताया कि अक्तूबर तक केंद्रीय वस्त्रागार को 600 झंडे उपलब्ध कराये गये हैं. तिरंगा पर अशोक चक्र लगाने के अनुभवी कारीगर मो मोइन अस्वस्थ हैं.
संघ के चारों ओर फैली है अव्यवस्था : साढ़े तीन एकड़ में फैला भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ 1973 तक बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग संघ के तहत था. इसका केंद्र मुजफ्फरपुर था. अलग होने के बाद भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के नाम से जाना जाने लगा. यहां के पदाधिकारियों व कर्मचारियों का कहना है कि खादी ग्रामोद्योग संघ को कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती है. केवल रिबेट वाला पैसा मिलता है. वह भी 15 वर्ष पहले लाखों का बकाया भुगतान नहीं किया गया. इस कारण संघ घाटे में चला गया. यहां के जर्जर भवन और अव्यवस्था पर सभी चुप्पी साधे हुए हैं. कई जगह भवन टूट कर गिरने भी लगे हैं. यदि इसकी देखरेख नहीं की गयी तो कभी भी हादसा हो सकता है. हालांकि दबे जुबान से कहते हैं कि कुछ हिस्से पर अतिक्रमण भी कर लिया गया है.
राष्ट्रपिता की लाठी व हाथ में लगा है जोड़
संघ परिसर में बनी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा की देखरेख भी ठीक से नहीं हो रही है. उनके हाथ और लाठी को जोड़ का सहारा दिया गया है.
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