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कानून के अभाव में स्कूलों की मनमानी

कानून के अभाव में स्कूलों की मनमानीफीस निर्धारण को लेकर बिहार में नहीं है कोई कानून- देश के कई राज्यों में पहले से लागू रिंकू झा, पटनाफीस बढ़ोतरी में स्कूलों की मनमानी हर साल अभिभावकों के लिए बड़ी परेशानी लेकर आती है. राजधानी सहित पूरे बिहार के प्राइवेट स्कूलों का यही हाल है. इन स्कूलों […]

कानून के अभाव में स्कूलों की मनमानीफीस निर्धारण को लेकर बिहार में नहीं है कोई कानून- देश के कई राज्यों में पहले से लागू रिंकू झा, पटनाफीस बढ़ोतरी में स्कूलों की मनमानी हर साल अभिभावकों के लिए बड़ी परेशानी लेकर आती है. राजधानी सहित पूरे बिहार के प्राइवेट स्कूलों का यही हाल है. इन स्कूलों पर न तो प्राइवेट चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन वाले रोक लगा पाते हैं, और न ही इन पर राज्य सरकार का कोई लगाम है. तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक में पिछले कई सालों से फीस निर्धारण कानून काम कर रहा है. पहले इन राज्यों में भी स्कूलों की मनमानी होती थी, लेकिन कानून बनने के बाद हर स्कूल में एक कमेटी बनायी गयी और स्थिति में सुधार आ गया. सबसे पहले 2011 में तमिलनाडु ने हाइकोर्ट के आदेश पर फीस निर्धारण कानून लागू किया. उसके बाद महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों ने पहल की. दूसरे राज्यों की तरह अगर बिहार में भी फीस निर्धारण कानून हो तो प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सकती है. – प्रस्ताव पारित होने पर ही होती है बढ़ोतरी इस कानून के तहत किसी स्कूल में तभी फीस बढ़ोतरी हो सकती है, जब प्रस्ताव को कार्यकारी कमेटी पारित करेगी. नया सेशन शुरू होने से पहले हर स्कूल की कमेटी इस बाबत प्रस्ताव तैयार करती है. प्रस्ताव को राज्य सरकार द्वारा संचालित कार्यकारी कमेटी के पास भेजा जाता है. कार्यकारी कमेटी में पास होने के बाद ही संबंधित स्कूल फीस में बढ़ोतरी कर सकता है. किस स्कूल में कितनी बढ़ोतरी होगी, इसका भी निर्णय कार्यकारी कमेटी ही लेती है. – आठ हजार स्कूल ही रजिस्टर्ड राज्य में अभी छोटे बड़े तमाम स्कूलों को मिला कर लगभग 30 हजार स्कूल हैं. हर साल सौ-दो सौ स्कूल खुल रहे हैं. लेकिन, राज्य सरकार ने अभी तक मात्र आठ हजार स्कूलों को ही रजिस्टर्ड किया है. सरकार से मान्यता जरूरीप्रदेश भर के स्कूलों को राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त होना आवश्यक है. इसके लिए 2011 में राज्य सरकार ने तमाम स्कूलों को मान्यता लेने का आदेश दिया था. प्रदेश भर से कुल 12 हजार स्कूलों ने आवेदन दिया था. इसमें से जनवरी 2015 तक आठ हजार स्कूलों को ही मान्यता मिल पायी है. राज्य सरकार की तरफ से दोबारा आवेदन भी नहीं लिया गया है. फीस निर्धारण कानून में हैं ये प्रावधान – कोई भी स्कूल अपनी मरजी से फीस का निर्धारण नहीं कर सकता है- किसी भी स्कूल में फीस में बढ़ोतरी तभी होगी, जब कानून के तहत उसे पारित किया जायेगा – फीस निर्धारण कानून हर स्कूल में इन्फ्रास्ट्रक्चर के अनुसार लागू होगा – स्कूल स्तर पर एक कमेटी काम करती है- राज्य स्तर पर भी एक कमेटी काम करती है- राज्य स्तर पर फी निर्धारण कार्यकारी कमेटी में रिटायर जज चेयरमैन होते है. वहीं, तीन अन्य जज इसके मेंबर होते हैं. कुछ फीस तीन सालों तक होंगे फिक्स – टर्म फीस – लाइब्रेरी फीस – लैब फीस- जिम फीस- एग्जाम फीस – होस्टल फीस और मेस चार्ज – एडमिशन फीसस्कूल स्तर पर कार्यकारी कमेटी 1. चेयरपर्सन®स्कूल के प्रिंसिपल या हेड मास्टर 2. वाइस चेयरपर्सन®संबंधित स्कूल के कुछ स्टूडेंट के पैरेंट्स 3. सेक्रेटरी®संबंधित स्कूल के कुछ टीचर्स 4. टू ज्वाइंट सेक्रेटरी®पैरेंट्स 5. मेंबर्स®हर क्लास के एक पैंरेंट्स और एक टीचर नंबर्सराज्य में कुल प्राइवेट स्कूल®30 हजार फी बढ़ाने वाले स्कूल®25 हजार 300 20 फीसदी फीस बढ़ाने वाले स्कूल®5,25015 फीसदी फी बढ़ाने वाले स्कूल®15,57010 फीसदी फी बढ़ाने वाले स्कूल®4,480

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