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इंजीनियर व डॉक्टर बनने का बच्चों पर नहीं रहे दबाव

इंजीनियर व डॉक्टर बनने का बच्चों पर नहीं रहे दबाव फोटो विद्यासागर :संवाददाता, भागलपुर युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति चिंता का विषय है. इस मामले में युवाओं व छात्रों का कहना है कि शिक्षक व अभिभावक बच्चों पर जोर नहीं डालें कि डॉक्टर व इंजीनियर ही बनना है. बच्चों को कैरियर चुनने की आजादी हो. […]

इंजीनियर व डॉक्टर बनने का बच्चों पर नहीं रहे दबाव फोटो विद्यासागर :संवाददाता, भागलपुर युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति चिंता का विषय है. इस मामले में युवाओं व छात्रों का कहना है कि शिक्षक व अभिभावक बच्चों पर जोर नहीं डालें कि डॉक्टर व इंजीनियर ही बनना है. बच्चों को कैरियर चुनने की आजादी हो. बच्चों पर अनावश्यक दबाव नहीं हो. बच्चों को भी समझना होगा कि जान देने से किसी चीज का समाधान नहीं हो सकता है. .—————– पढ़ाई छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. पढ़ाई के दौरान सिर्फ पढ़ने पर ही ध्यान होना चाहिए. गलत रास्ते पर चलने से बचना चाहिए है. कोई परेशानी हो तो अभिभावक व मार्गदर्शक से बात करनी चाहिए.चंदन कुमार , छात्र ——————पढ़ाई में या अन्य किसी प्रकार की परेशानी हो, तो उसे शिक्षकों से बात कर दूर किया जा सकता है. इससे तनाव में आने की आवश्यकता नहीं है. कॉलेज व घरों में भी इस बात को लेकर ज्यादा मंथन नहीं करें. बल्कि समस्या का हल निकाले.आदर्श कुमार, छात्र ————– असफलता से घबराये नहीं. बल्कि और मेहनत करें. असफलता के बाद ही सफलता मिलती है. इसके लिए शिक्षक व अभिभावकों को सहयोग करने की जरूरत है. सकारात्मक सोच को लेकर ही पढ़ाई करें.मो नियाज अहमद, छात्र—————–बच्चों पर जोर नहीं दिया जाये कि डॉक्टर व इंजीनियर ही बनना है. छात्रों को कैरियर चुनने की आजादी दी जाये. बच्चे जिस क्षेत्र में जाना चाहते हैं, शिक्षक व अभिभावकों को सहयोग करने की जरूरत है. हिमांशु कुमार, छात्र —————–जीवन अनमोल है– प्राचार्य को फोटो फाइल से लगा लेंगे———अभिभावकों की अपेक्षाएं बच्चों से बढ़ गयी है. अभिभावक चाहते हैं कि कम समय में बच्चे बढ़िया नौकरी में आये. अच्छा वेतन हो. इसे लेकर शुरुआती दौर से ही बच्चों पर तनाव बढ़ने लगता है. बच्चे को कैरियर चुनने की आजादी नहीं मिलती है. कॉलेज व घरों में बच्चों को खुशनुमा माहौल नहीं मिलता है. इस स्पर्द्धा के दौर में समय नहीं रहने पर बच्चे व अभिभावक आमने-सामने बैठक कर बात नहीं कर पाते हैं. ताकि मन में जो बात चल रही हैं, उसे बच्चे अभिभावक के सामने रख सकें. दबाव में बच्चे गलत ही निर्णय लेते हैं. डॉ मणिनाथ चौधरी, प्राचार्य, बीएन कॉलेज

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