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लेबर रूम में गुम हुई 32 माताओं की जान

लेबर रूम में गुम हुई 32 माताओं की जान खास बातेंनौ माह में प्रसव के दौरान 32 माताओं की हुई मौतपिछले वर्ष यह आंकड़ा था 42निजी क्लिनिकों एवं असंस्थागत प्रसवों में होने वाले मौत नहीं है आंकड़ानिर्देशों के बावजूद निजी क्लिनिक नहीं रखते मौत का लेखा जोखाअत्यधिक पीड़ा एवं रक्तस्राव बनता है मौत का कारण————–पूर्णिया. […]

लेबर रूम में गुम हुई 32 माताओं की जान खास बातेंनौ माह में प्रसव के दौरान 32 माताओं की हुई मौतपिछले वर्ष यह आंकड़ा था 42निजी क्लिनिकों एवं असंस्थागत प्रसवों में होने वाले मौत नहीं है आंकड़ानिर्देशों के बावजूद निजी क्लिनिक नहीं रखते मौत का लेखा जोखाअत्यधिक पीड़ा एवं रक्तस्राव बनता है मौत का कारण————–पूर्णिया. जिले में मातृत्व मृत्यु दर में लगातार वृद्धि होती जा रही है. सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले नौ माह में मातृत्व मृत्यु दर की संख्या 32 के आस-पास पहुंच गयी है. इससे इतर असंस्थागत प्रसव एवं निजी क्लिनिकों एवं नर्सिंग होम में मरने वाली माताओं की संख्या भी चौंकाने वाली है. मातृत्व मृत्यु दर को कम करने की कवायद भी अब नाकाम साबित होने लगी है. प्रसव के दौरान नौ माह में हुई मृत्युप्रखंड———–मृत्युसदर अस्पताल—–12बायसी———–05के नगर———-04डगरुआ———07बैसा————01कसबा———–01बनमनखी———02——————-कुल————32——————पिछले वर्ष की तुलना में मृत्यु दर में वृद्धिविभागीय आकड़े इस बात का गवाह है कि पिछले वर्ष तक पूरे जिले में 42महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हुई थी. जबकि चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक प्रसव के दौरान 32महिलाओं की मौत हो चुकी है. अभी वित्तीय वर्ष पूरा होने में तीन माह का समय शेष है. इस तीन माह में मातृत्व मृत्यु दर और भी बढ़ने के आसार हैं. आश्चर्य इस बात का है कि पिछले वर्ष से विभाग ने कोई सबक नहीं लिया. जिससे मातृत्व मृत्यु दर में इस वर्ष इजाफा हुआ. अत्यधिक रक्तस्राव है मौत का कारणगर्भवती महिलाओं का समय-समय पर चिकित्सकीय जांच नहीं होने के कारण अधिकांश प्रसुताओं की मौत प्रसव के दौरान होने की बात मानी जाती है. अत्यधिक प्रसव पीड़ा एवं प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव भी प्रसुताओं की मौत का सबब बनता है. डॉक्टरों के अनुसार गर्भवती को गर्भ के प्रारंभिक अवस्था से ही संतुलित भोजन नहीं मिलने के कारण अधिकांश गर्भवती एनिमियाग्रस्त हो जाती है. जिससे महिलाआंे में अनिंद्रा,चमकी आदि बीमारी आम हो जाती है. जिससे मातृत्व मृत्यु दर को बढ़ावा मिलता है. निजी क्लिनिकों में सर्वाधिक मौतपूरे जिले के निजी क्लिनिकों में रोजाना औसतन 03प्रसुताओं की मौत प्रसव के दौरान होने की बात बतायी जाती है. किंतु इन मौतों का कोई रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं होता है. जिससे विभाग इस निर्णय पर पहुंचे कि वास्तविक मातृत्व मृत्यु दर की संख्या क्या है. जानकारों की माने तो हर माह जिले के विभिन्न नर्सिंग होम एवं क्लिनिकों में अब भी 90 से 100 महिलाओं की मौत हो रही है. असंस्थागत प्रसव भी है मौत का कारणयहां के ग्रामीण इलाकों में अब भी घरों मेंअप्रशिक्षित दाई द्वारा पारंपरिक ढंग से प्रसव कराने की प्रथा बदस्तूर जारी है. ऐसे प्रसव में सामान्यत:अत्यधिक जोखिम भी है. अधिकांश मामलों में प्रसव के दौरान प्रसुता की मौत भी हो जाती है. ऐसा प्रसव ग्रामीण इलाकों की मजबूरी में भी शामिल है. सुदूर ग्रामीण इलाके औरं ं बाढ़ग्रस्त क्षेत्र मे एंबूलेंस का नहीं पहुंच पाना भी इसका कारण माना जाता है. ऐसे मामलों में आशा प्रसव पीड़ा होने के बावजूद गर्भवती को अस्पताल नहीं पहुंचा पाती है. जिससे मातृत्व मृत्यु दर प्रभावित होता है. निजी क्लिनिक नही रखते मृत्यु का आंकड़ामातृत्व मृत्यु दर की समस्या विकराल रुप धारण कर चुकी है. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है. विभाग ने सभी निजी नर्सिंग होम एवं निजी क्लिनिकों को निर्देश जारी किया है कि उनके अस्पतालों में प्रसव के दौरान होने वाली मौतों का ब्योरा रखे और स्वास्थ्य विभाग को कारण के साथ इसकी रिपोर्ट सौंपे. विभाग के इस निर्णय से जहां एक ओर मातृत्व मृत्यु दर कम करने में सहायता मिलेगी,वहीं दूसरी ओर मातृत्व मृत्यु दर की सही एवं सटीक तस्वीर भी विभाग के पास हो सकेगी. कहते हैं अधिकारीमातृत्व मृत्यु एक चिंता का विषय है. स्वास्थ्य विभाग इस पर यथासंभव अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास रत है. साथ ही सभी निजी अस्पतालों में भी इस मामले को गंभीरता से लेने की हिदायत दी गयी है. डॉ एम एम वसीम,सिविल सर्जन,पूर्णिया——–फोटो 18पूर्णिया 2 अथवा 3परिचय-मातृत्व मृत्यु पर प्रतिकात्मक तस्वीर

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