यरुशलम : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू से मुलाकात कर दोनों देशों के संबंधों पर चर्चा की और उन्होंने कहा कि इस्राइल के साथ अपने संबंधों को भारत अत्यंत महत्व देता है. विदेश मंत्री के रुप में पश्चिम एशिया की पहली यात्रा पर आई सुषमा ने कहा कि वह इस्राइल के शीर्ष नेतृत्व के साथ अपनी बातचीत को लेकर आशान्वित हैं. उन्होंने नेतनयाहू से मुलाकात से पहले उनकी मौजूदगी में मीडिया से कहा कि भारत इस्राइल के साथ द्विपक्षीय संबंधों के पूरी तरह विकास को सर्वोच्च महत्व देता है. हमारा द्विपक्षीय सहयोग पिछले दो दशकों में कई क्षेत्रों में बढ़ा है लेकिन हमारे रिश्तों की क्षमता और भी ज्यादा है.
सुषमा ने कहा कि मुझे हमारे द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आयामों पर चर्चा की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि उन्हें क्षेत्र में हालात का आकलन करने की और दोनों देशों के बीच सहयोग के क्षेत्रों को चिह्नित करने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच रिश्ते और दोस्ती काफी फूले-फले हैं. उन्होंने कहा कि मैं आपका यहां स्वागत करते हुए और मेरे अच्छे मित्र और साथी प्रधानमंत्री मोदी को अपना अभिवादन भेजते हुए खास खुशी महसूस कर रहा हूं. भारतीय राष्ट्रपति की यात्रा में इन बढ़ते संबंधों की अभिव्यक्ति झलकी थी जो भारत के किसी राष्ट्राध्यक्ष की पहली यात्री थी. नेतनयाहू ने कहा कि दोनों देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी, साइबर, रक्षा तथा कृषि जैसे क्षेत्रों में अपने संपर्कों और सहयोग को तेज कर रहे हैं. नेतनयाहू ने कहा कि भारत और इस्राइल कई सारे अभिनव प्रयोगों के अग्रिम चरण में हैं और हम मिलकर काम करके अपने लोगों और दुनिया के लिए काफी कुछ कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस्राइल भारत की प्रशंसा करता है और उसे अच्छे दोस्त के तौर पर देखता है.
पिछले डेढ साल में प्रधानमंत्री मोदी से दो बार मुलाकात कर चुके नेतनयाहू ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच असीमित संभावनाएं हैं और उन्हें हासिल करने की सीमाएं अपार हैं. इस्राइली प्रधानमंत्री पहले भी कह चुके हैं कि मोदी ने उनसे कहा है कि भारत चाहता है कि तेल अवीव उनके द्वारा रेखांकित की गई बडी विकास परियोजनाओं को हासिल करे. सुषमा यहां राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन, रक्षा मंत्री मोशे यालोन, बुनियादी संरचना मंत्री युवाल स्तेनिज और उप विदेश मंत्री सिपी होतोवेली से भी मुलाकात करेंगी. वह इस्राइल में भारतीय मूल के समुदाय से भी मिलेंगी. इस्राइल में भारतीय यहूदी समुदायों के कुल चार समूह हैं, जिनमें शामिल लोगों की कुल संख्या लगभग 80 हजार है. सुषमा स्वराज की इस यात्रा से महज तीन माह पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस देश की ऐतिहासिक यात्रा की थी. वह भारत के किसी राष्ट्रप्रमुख द्वारा की गई इस्राइल की पहली यात्रा थी. सुषमा की इस यात्रा का उद्देश्य राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यात्रा के दौरान बनी सदभावना को सहेजना है.