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दक्कित तो है, पर खुले में सांस ले रहा शहर

दिक्कत तो है, पर खुले में सांस ले रहा शहरऑटोवालों की हड़ताल पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियालोगों ने कहा, तैयार होना चाहिए ऑटो का विकल्प संवाददाता, गयामगध कॉलोनी के रहनेवाले रामप्रवेश राय केदारनाथ मार्केट में सब्जी लेने आते हैं, आने-जाने के लिए ऑटो ही साधन है. श्री राय शनिवार को केदारनाथ मार्केट सब्जी लेने पहुंचे. […]

दिक्कत तो है, पर खुले में सांस ले रहा शहरऑटोवालों की हड़ताल पर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियालोगों ने कहा, तैयार होना चाहिए ऑटो का विकल्प संवाददाता, गयामगध कॉलोनी के रहनेवाले रामप्रवेश राय केदारनाथ मार्केट में सब्जी लेने आते हैं, आने-जाने के लिए ऑटो ही साधन है. श्री राय शनिवार को केदारनाथ मार्केट सब्जी लेने पहुंचे. लेकिन, ऑटोवालों की हड़ताल के कारण रिक्शे को ही साधन बनाना पड़ा.इसके लिए वह रिक्शे का इंतजार कर रहे थे. बातचीत में उन्होंने कहा कि परेशानी तो है, पर आप यह भी तो देखिये कि शहर कितना खुला-खुला लग रहा है. यों कहें कि पूरा शहर खुले में सांस ले रहा है. उन्होंने कहा कि एक तो यह शहर पहले से ही अतिक्रमण के कारण पैक्ड है, बचा है, तो केवल रास्ता. उस पर भी लाइन से सिर्फ ऑटो ही नजर आते हैं. पूरी सड़क जाम, उस पर से शोर अलग. यह विचार केवल रामप्रवेश राय के ही नहीं हैं, बल्कि शहर के कई लोगों के बीच इस तरह की चर्चा है. शनिवार को भी कई जगह पर ऐसी बातें सुनने को मिलीं. छोटकी नवादा के जितेंद्र कुमार ने कहा कि शहर में बढ़ रही ऑटो की संख्या पर कंट्रोल किया ही जाना चाहिए. इसके साथ ही ट्रैफिक का अनुपालन होना चाहिए. शहीद रोड के संतोष कुमार कहते हैं कि ऑटो अगर नहीं चले, तो भी कोई परेशानी नहीं है. वक्त के साथ हर चीज की वैकल्पिक व्यवस्था तैयार हो जाती है. ऑटो का भी विकल्प तैयार हो जायेगा.सिटी बस का विकल्प क्यों नहीं?शहर में सिटी बसों का परिचालन लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है. लेकिन, अब तक इस पर कोई भी ठोस पहल होती नहीं दिखी है. पितृपक्ष के दौरान 15 दिनों तक शहर में सिटी बसें चलती हैं, इसके बाद यह सेवा बंद कर दी जाती है. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के प्रमंडलीय अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह के मुताबिक, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था ठीक नहीं होने की वजह से ही सिटी बसों का चलाना मुमकिन नहीं हो पाता. उन्होंने बताया कि उदाहरण के तौर पर माड़नपुर बाइपास से अगर बस को मंगला गौरी होते लाने की कोशिश हुई, तो गाड़ी हर बार जाम में फंस गयी. अब उपाय यह है कि बस को बाइपास होते लाया जाये. इस स्थिति में सवारी भी ज्यादा नहीं मिलेगी. साथ ही, अधिक दूरी होने की वजह से किराया भी ज्यादा लग जायेगा. दूसरी शहर में जैसे कि चौक, रमना व जीबी रोड इलाके के रास्तों की चौड़ाई काफी कम है, ऐसे में बसों को आराम से लगातार परिचालन संभव नहीं हो पायेगा.स्टेशन से बोधगया के लिए दो बसें अगले महीने सेश्री सिंह ने बताया कि रेलवे स्टेशन से बोधगया तक के लिए दो बसें चलेंगी. बसें आ भी गयी हैं, राज्य स्तरीय आदेश के साथ ही बसों का परिचालन शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि लगभग 30 बसें मुहैया करायी गयी हैं, जो शहर व आसपास के 50 -60 किलोमीटर में चलेंगी. इसी क्रम में शहर के कुछ मुख्य सड़कों को भी कवर किया जायेगा.

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