नयीदिल्ली : मालदा हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बनाते हुए भाजपा आज यह मामला राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दरवाजे तक ले गयी और उनसे इस संबंध में राज्यपाल से स्वतंत्र रिपोर्ट मांगने का अनुरोध किया.भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाया कि वह मालदा हिंसा में शामिल लोगों को बचाकर वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा दे रही हैं और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है.
केंद्रीय तथा राज्य नेताओं के साथ पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. पार्टी ने मालदा हिंसा में राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया और दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार की ‘‘तुष्टीकरण और वोट बैंक’ राजनीति की नीति से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है. उन्होंने पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हिंसा का मुद्दा भी उठाया.
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को एक और ज्ञापन भी सौंपा जिसमें एक तृणमूल कांग्रेस नेता के पुत्र से जुड़े हिट एंड रन मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सुस्ती का आरोप लगाया गया है. इस मामले में वायुसेना के एक जवान की मौत हो गयी जो कोलकाता में गणतंत्र दिवस परेड की रिहर्सल में लगे थे.
राष्ट्रपति से मुलाकात करने के बाद विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से कहा, मालदा की घटना देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी हुई है. वोट बैंक की यह राजनीति आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है क्योंकि उसी भीड़ ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए. यही वजह है कि हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि राज्यपाल से अपनी रिपोर्ट मंगाएं और केंद्र सरकार द्वारा राज्य से मंगायी गयी रिपोर्ट, देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए पैदा खतरा दूर करने में मदद करेगी. उन्होंने कहा कि भाजपा को यह जानकर पीड़ा हुयी जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि लोगों को बीएसएफ से समस्याएं थीं और इसी वजह से हिंसा हुयी.
उन्होंने कहा, पुलिस स्टेशन क्यों जलाया गया? वास्तविकता यह है कि जो लोग हिंसक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे, वे जाली नोट और अफीम की खेती से जुड़े हैं तथा असामाजिक तत्व हैं जिन्होंने अपनी आपराधिक गतिविधियों को समाप्त करने के लिए पुलिस स्टेशन को जला दिया. भाजपा नेता ने आरोप लगाया, दुर्भाग्य से, उन सभी को ममता बनर्जी द्वारा बचाया जा रहा है. तृणमूल के कई नेता ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं और वहां वोट बैंक की राजनीति हो रही है. वहां अल्पसंख्यक समुदाय कहीं न कहीं इन तीनों घटनाओं में शामिल है और इस वोट बैंक की राजनीति के कारण, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही हैं. प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह, पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष और प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा भी शामिल थे.