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मरीजों को मिलती नहीं, अस्पताल में जल रहीं दवाएं

– अस्पताल उपाधीक्षक कार्यालय के सामने जली एक्सपायरी दवाएं, पदाधिकारी बने रहे मूक दर्शक मुंगेर : एक ओर जहां सदर अस्पताल में जरूरत मंद मरीजों को कई प्रकार की दवाएं नहीं मिल पा रही है. वहीं दूसरी ओर दवाओं के एक्सपायर कर जाने के बाद अस्पताल में उन्हें खुलेआम जलाया जा रहा है. जिससे अस्पताल […]

– अस्पताल उपाधीक्षक कार्यालय के सामने जली एक्सपायरी दवाएं, पदाधिकारी बने रहे मूक दर्शक
मुंगेर : एक ओर जहां सदर अस्पताल में जरूरत मंद मरीजों को कई प्रकार की दवाएं नहीं मिल पा रही है. वहीं दूसरी ओर दवाओं के एक्सपायर कर जाने के बाद अस्पताल में उन्हें खुलेआम जलाया जा रहा है. जिससे अस्पताल में भरती रोगियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा. शुक्रवार को भी अस्पताल परिसर में भारी मात्रा में दवाओं को जलाया गया.अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जो दवाएं जलायी गयी वह एक्सपायरी है.
जलायी गयी महत्वपूर्ण दवाएं.जिन दवाओं को जलाया गया, उनमें एट्रोपाइन आई ड्रॉप, कीटामीन, टोरेक्स, ओआरएस, लीवोगार्ड, इराजोसिन इंजेक्शन, जाइलोकेन व इथर समेत भारी मात्रा में सिरिंच शामिल था. जिसमें सबसे अधिक कीटामीन व इराजोसिन इंजेक्शन है. हैरत की बात तो यह है कि दवाओं के जलाने का यह खेल कहीं और नहीं बल्कि अस्पताल उपाधीक्षक कार्यालय के ठीक सामने हो रहा था. इतना ही नहीं उस जगह की सारी फुटेज सीसी कैमरे के माध्यम से अस्पताल उपाधीक्षक कार्यालय में डिस्पले भी हो रही थी. किंतु अस्पताल उपाधीक्षक ने तब तक दवा जलाने का विरोध नहीं किया जब तक स्थानीय थाना पुलिस घटनास्थल पर नहीं पहुंची.
मरीजों को नहीं मिल रही दवाएं.सदर अस्पताल में पिछले कई माह सें रोगियों को खांसी की दवा नहीं मिल रही है.जबकि अस्पताल में रखे-रखे दवाएं एक्सपायर होकर जलायी जा रही है. जिन दवाओं को जलाया गया उनमें खांसी की दवा टोरेक्स भी शामिल था जो वर्ष 2014 में ही एक्सपायर हो चुका था. वहीं भारी मात्रा में कीटामीन भी जल रही थी. किंतु ऑपरेशन के दौरान कीटामीन के अभाव का रोना रोया जाता है तथा मरीजों के परिजनों को इसके लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
दवाओं का जलना हो सकता है जानलेवा. यूं तो दवाओं की तिथि एक्सपायर करने के बाद उन्हें आवादी वाले स्थान से कहीं दूर जाकर नष्ट किया जाना चाहिए. किंतु सदर अस्पताल में मरीजों व आम लोगों के स्वास्थ्य को ताक पर रख कर दिन दहाड़े अस्पताल परिसर में दवाओं को जलाया गया. चिकित्सकों की मानें दवाओं के जलाये जाने से उनमें से कार्बन मोनो ऑक्साइड, लेड व ऑरसेनिक जैसी खतरनाक तत्व हवा में मिल जाते हैं. जिसके प्रभाव से फेफड़ा, किडनी व आंख से संबंधित खतरनाक बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है.
कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक. अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा ने बताया कि शुक्रवार को दवा भंडार में कर्मियों को सफाई के लिए लगाया गया था. उनलोगों ने अपने मन से ही एक्सपायारी दवाओं को एकत्र कर आल लगा दी.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि मामले की जांच करायी जा रही है. दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.

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