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40 फीसदी स्कूल भवनहीन

40 फीसदी स्कूल भवनहीनअसुविधा. जिले में चल रहे 346 विद्यालयों में 133 के पास अपना भवन नहींअधिकतर स्कूल चल रहे दूसरे परिसरों में, या फिर पेड़ के नीचे26 स्कूलों में चल रहा निर्माण कार्य, 107 स्कूलों के पास नहीं है जमीन फोटो-23-सर्वशिक्षा अभियान का कार्यालय .संवाददाता, बक्सर. बक्सर जिले की स्थापना का रजत वर्ष, 25 […]

40 फीसदी स्कूल भवनहीनअसुविधा. जिले में चल रहे 346 विद्यालयों में 133 के पास अपना भवन नहींअधिकतर स्कूल चल रहे दूसरे परिसरों में, या फिर पेड़ के नीचे26 स्कूलों में चल रहा निर्माण कार्य, 107 स्कूलों के पास नहीं है जमीन फोटो-23-सर्वशिक्षा अभियान का कार्यालय .संवाददाता, बक्सर. बक्सर जिले की स्थापना का रजत वर्ष, 25 साल पूरे हो चुके हैं. मगर 346 स्कूलों में से आज भी 133 स्कूल ऐसे हैं जिनके पास आज तक भवन नसीब नहीं हो सका है. इनके भवन के बारे में अब तक न तो जिला शिक्षा विभाग ने कोई सुध ली है और न ही कोई ऐसी प्रक्रिया पूरी हुई है जिससे निकट भविष्य में इनका भवन हो सकेगा. इसके अतिरिक्त नवसृजित 302 स्कूलों का सृजन तो किया गया मगर अब भी 89 स्कूल ऐसे हैं जिनके लिए भवन आज भी नहीं हो सका है. जिसमें 26 स्कूलों में भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है. कुल मिला कर जिले के 133 स्कूल आज भी भवनहीन है. सरकार द्वारा शिक्षा के विकास के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. मगर आज भी जिले में स्थिति यह है कि एक-एक स्कूल परिसर में तीन-तीन स्कूल चल रहे हैं. भवनहीन स्कूलों का आलम यह है कि ज्यादातर स्कूल शहरी क्षेत्रों में है. जिले में नवसृजित विद्यालयों के साथ-साथ पुराने विद्यालय का भवनहीन होना शिक्षा के प्रति उदासीनता को प्रदर्शित करता है. सर्वशिक्षा अभियान के तहत भवन निर्माण के लिए एक अलग विंग काम करता है और वही विंग स्कूली भवनों का निर्माण भी करता है. भवनहीन 26 स्कूल ऐसे हैं जिनके काम में प्रगति है और इन स्कूलों के निर्माण के लिए पैसे भी विभाग को मिल गये हैं. हालांकि शिक्षा विभाग द्वारा 233 विद्यालयों में भवन निर्माण एवं भवन के विस्तार का काम किया जाना लक्ष्य रखा गया. मगर अभी तक स्कूलों में काम युद्ध स्तर पर शुरू नहीं हो पाया है.जमीन है निर्माण में देरी का कारण :मिली जानकारी के अनुसार 43 विद्यालयों के लिए अभी तक जमीन ही उपलब्ध नहीं हो पाया है और इसलिए उनका लेआउट तक तैयार नहीं हुआ है जो 44 विद्यालय भवनहीन हैं उनके लिए विभागीय प्रक्रिया नगण्य रही है. जिसके कारण भविष्य में उन स्कूलों को कब अपना भवन मिलेगा? कहना मुश्किल है.सीओ भी नहीं ले रहे दिलचस्पी : विद्यालयों के भवनों के विवाद निबटाने व अतिक्रमण मुक्त कराने की जिम्मेदारी प्रखंडों के अंचलाधिकारियों की होती है. साथ ही भूमि की उपलब्धता के प्रति अंचलाधिकारी सचेत नहीं होते. जिसके कारण अभी तक भवनहीन विद्यालयों को जमीन भी नहीं मिल पायी.पिछले वर्ष 18 दिसंबर को जिलाधिकारी द्वारा यह पत्र सभी अंचलाधिकारियों को दिया गया था कि जिन स्कूलों के भवन नहीं हैं उनके भवन उपलब्ध कराने के लिए जमीन चिह्नित की जाय और खाता खेसरा रकबा के साथ दस दिनों के अंदर जिला प्रशासन को दिया जाय मगर दुर्भाग्य से सभी अंचलाधिकारियों ने जिला प्रशासन को अब तक यह रिपोर्ट नहीं सौंपी है.कहते हैं सर्वशिक्षा अभियान के अभियंतासर्वशिक्षा अभियान के सहायक अभियंता महेश कुमार ने बताया कि 302 नवसृजित स्कूलों के लिए राशि मिली थी जिसमें से 233 बन चुके हैं. 26 स्कूलों में कार्य प्रगति पर है शेष 63 भवनहीन स्कूलों के भवनों के निर्माण का काम जमीन मिलने पर किया जायेगा. पुराने 44 भवनहीन विद्यालयों के लिए अभी तक राशि नहीं मिली है.कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी ओंकारनाथ सिंह कहते हैं कि भवनहीन स्कूलों के लिए जमीन की व्यवस्था की जा रही है.कई स्कूलों के लिए जमीन और राशि मिली हुई है. जिससे निर्माण कार्य भी चल रहा है. जिन स्कूलों के लिए जमीन नहीं मिली है उनके लिए अंचलाधिकारियों को कहा गया है कि वो शीघ्र ही भूमि चिह्नित कर ब्योरा उपलब्ध कराये.नवसृजित भवनहीन विद्यालयों की सूची नावानगर-3सिमरी-16राजपुर-3बक्सर-29डुमरांव-22चौसा-3इटाढ़ी-4ब्रह्मपुर-9केसठ-0चौगाईं-0चक्की-0कुल-89+पुराने विद्यालय 44, कुल-133

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