केंद्र सरकार के कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में लक्षित जनवितरण प्रणाली योजना जून, 1997 से शुरू की गयी. इस प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को दो श्रेणियों में रखा गया है. गरीबी रेखा से ऊपर वाले एपीएल तथा गरीबी रेखा से नीचे के लोग बीपीएल की श्रेणी में हैं. बीपीएल परिवारों में से अति गरीब परिवारों को अत्यधिक अनुदानित दर पर अंत्योदय अन्न योजना में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है.
इस प्रकार इस प्रणाली के तहत मुख्य रूप से तीन योजनाएं एपीएल, बीपीएल एवं अंत्योदय अन्न योजना चलायी जा रही है. योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के गरीब परिवारों को सस्ते दाम पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है. बीपीएल परिवारों को हर माह 10 किलो गेहूं और 15 किलो चावल अनुदानित दर पर दिया जाता है. लेकिन जन विरतण प्रणाली के डीलर इन लोगों को पिछले कई महीनों से राशन नहीं दे रहे. जब लोग राशन की मांग करते हैं तो कहा जाता है कि यह दुकान ऐसे ही चलेगी. तुम लोगों को जहां जाना है, जाओ. डीलर का यह भी जवाब होता है कि जब पूरा राशन आप लोगों को ही दे देंगे, तो उपर के अधिकारियों को क्या अपने घर से पहुंचायेंगे.
हाजीपुर : हुजूर,जन विरतण प्रणाली के डीलर हम लोगों को पिछले कई महीनों से राशन नहीं दे रहा. जब हम लोग राशन की मांग करते हैं, तो कहा जाता है कि यह दुकान ऐसे ही चलेगी. तुम लोगों को जहां जाना है, जाओ. डीलर यह भी कहता है कि जब पूरा राशन आपको ही दे देंगे, तो ऊपर के अधिकारियों को क्या अपने घर से पहुंचायेंगे.
यह कहना है चेहराकलां प्रखंड की शाहपुर खुर्द पंचायत के ग्रामीणों का, जो अपने डीलर की अनियमितता की शिकायत लेकर जिलाधिकारी को आवेदन देने आये थे. इसी 12 जनवरी को दिये गये आवेदन में ग्रामीणों की बस यही मांग है कि उन्हें सरकार की ओर से सस्ती दर पर मिलने वाला खाद्यान्न हर महीने उपलब्ध कराया जाये, ताकि गरीबों के चूल्हे जल सकें. यह तो एक उदाहरण है.
जिले का शायद कोई प्रखंड हो, जहां खाद्यान्न विरतण में अनियमितता की शिकायत न हो. जिले में सरकारी गोदाम खाद्यान्न से भरे हैं. किराये के गोदामों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन जिले के विभिन्न इलाकों में बीपीएल परिवारों के लोग महीनों का कूपन घर में रख कर अनाज को तरस रहे हैं.
क्या है सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत चार आवश्यक वस्तुएं गेहूं, चावल, चीनी तथा किरोसिन राशन कार्डधारियों के बीच वितरित किया जाता है. इनमें फिलहाल चीनी को छोड़ कर बाकी तीन चीजों का वितरण हर महीने पीडीएस दुकानों के माध्यम से किया जाता है.
अभी कुछ साल पहले केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा विधेयक पास किया, जिसके तहत 80 करोड़ भारतीयों को तीन रुपये प्रतिकिलो चावल और दो रुपये प्रतिकिलो गेहूं देने का प्रावधान किया गया. व्यवस्था की गड़बड़ियों के कारण ग्रामीण गरीबों को इसका लाभ सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है.
जन वितरण प्रणाली : केंद्र सरकार के कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में लक्षित जन वितरण प्रणाली योजना जून, 1997 से शुरू की गयी. इस प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को दो श्रेणियों में रखा गया है. गरीबी रेखा से ऊपर वाले एपीएल तथा गरीबी रेखा से नीचे के लोग बीपीएल की श्रेणी में हैं.
बीपीएल परिवारों में से अति गरीब परिवारों को अत्यधिक अनुदानित दर पर अंत्योदय अन्न योजना में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है. इस प्रकार इस प्रणाली के तहत मुख्य रूप से तीन योजनाएं एपीएल, बीपीएल एवं अंत्योदय अन्न योजना चल रही है. योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के गरीब परिवारों को सस्ते दाम पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है. बीपीएल परिवारों को हर माह 10 किलो गेहूं और 15 किलो चावल अनुदानित दर पर दिया जाता है.
अन्नपूर्णा योजना : इस योजना का उद्देश्य वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने वाले पेंशनरों का 20 प्रतिशत वैसे अनाश्रित वृद्धों को लाभ दिलाना है, जो वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं, लेकिन उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है. इस योजना के तहत प्रत्येक अनाश्रय वृद्ध को हर महीने छह किलो गेहूं तथा चार किलो चावल मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है. जानकारी के अभाव में जिले में इस प्रकार के लाभुकों की हकमारी हो रही है.
अंत्योदय अन्न योजना : इस योजना का मुख्य उद्देश्य बीपीएल श्रेणी में अत्यंत गरीब परिवारों को सस्ते दाम पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है. अंत्योदय में आच्छादित परिवारों को हर महीने दो रुपये किलो की दर से 14 किलो गेहूं तथा तीन रुपये किलो की दर से 21 किलो चावल मिला कर प्रति परिवार कुल 35 किलो खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है.
बिहार राशन कूपन योजना : जन विरतण प्रणाली को सुदृढ़ करने और गरीब परिवारों को सही मात्रा और उचित दर पर खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य में बिहार राशन कूपन योजना लागू की गयी. इस योजना के तहत बीपीएल परिवारों को लाल रंग का राशन कूपन और अंत्योदय परिवारों को पीले रंग का राशन कूपन साल भर के लिए एक मुश्त उपलब्ध कराया जाता है.
बिहार केरोसिन कूपन योजना : केरोसिन तेल की कालाबाजारी रोकने तथा लक्षित परिवारों को अनुमान्य मात्रा की आपूर्ति निर्धारित दर पर सुनिश्चित करने के लिए यह योजना लागू की गयी. केरोसिन तेल कूपन योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के सभी श्रेणी के परिवारों को प्रति माह 2.75 लीटर एवं शहरी क्षेत्र के परिवारों को 2.25 लीटर की आपूर्ति के लिए साल भर के लिए 12 नीले रंग के कूपन दिये जाते हैं.
पंचायत और वार्ड स्तर पर गठित हैं निगरानी समितियां : जविप्र के अंतर्गत संचालित सभी योजनाओं के खाद्यान्न तथा केरोसिन के उठाव एवं वितरण की निगरानी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत स्तरीय तथा शहरी क्षेत्र में वार्ड स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया गया है. पंचायत स्तरीय समिति का संयोजक मुखिया को बनाया गया है.
पंचायत के सरपंच, निकटतम मतों से पराजित मुखिया व सरपंच के उम्मीदवार, पीडीएस दुकान के आच्छादन क्षेत्र के वार्ड सदस्य एवं मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के एक-एक प्रतिनिधि समिति के सदस्य होते हैं. इसी प्रकार शहरी क्षेत्र में समिति गठित की गयी हैं, जिसके संयोजक वार्ड पार्षद होते हैं.
अनुमंडल स्तर पर अनुश्रवण समिति : अनुमंडल स्तर पर पीडीएस के अनुश्रवण को कारगर और पारदर्शी बनाने के लिए अनुमंडल स्तरीय अनुश्रवण समिति का पुनर्गठन किया गया है.
जविप्र के विक्रेताओं को गोदाम से खाद्यान्न एवं तेल भंडार से केरोसिन के उठाव की सूचना एसएमएस के माध्यम से निगरानी समिति के सदस्यों एवं इलाके के कुछ कमजोर वर्ग के उपभोक्ताओं को अनिवार्य रूप से देनी है. इन सारी व्यवस्था के बावजूद खाद्यान्न की कालाबाजारी और गरीबों की हकमारी जारी है.