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जेल में मोबाइल मिलने के मामले में प्राथमिकी दर्ज
औरंगाबाद (नगर) : सहायक जेल अधीक्षक राम विनोद सिंह ने जेल पुलिसकर्मियों के सहयोग से जेल परिसर में औचक निरीक्षण किया. इस दौरान कैदी वार्ड संख्या दो से दो मोबाइल फोन बरामद किया गया. यह कार्रवाई रविवार की सुबह में की गयी थी. इससे संबंधित प्राथमिकी मंगलवार को नगर थाने में सहायक जेल अधीक्षक के […]
औरंगाबाद (नगर) : सहायक जेल अधीक्षक राम विनोद सिंह ने जेल पुलिसकर्मियों के सहयोग से जेल परिसर में औचक निरीक्षण किया. इस दौरान कैदी वार्ड संख्या दो से दो मोबाइल फोन बरामद किया गया. यह कार्रवाई रविवार की सुबह में की गयी थी. इससे संबंधित प्राथमिकी मंगलवार को नगर थाने में सहायक जेल अधीक्षक के बयान पर थाने में दर्ज की गयी है. इसमें जेल में बंद कैदी अविनाश कुमार उर्फ लालू निवासी दाउदनगर व हिमांशू रंजन उर्फ छोटू निवासी इमादपुर थाना हुलासगंज जहानाबाद को आरोपित बनाया है.
दर्ज प्राथमिकी में उल्लेख किया है गुप्त सूचना के आधार पर जेल परिसर में तलाशी की गयी. इस दौरान जब कैदी वार्ड संख्या दो में जांच शुरू की तो अविनाश कुमार के बेड से एक मोबाइल व हिमांशू के टोपी से एक मोबाइल बरामद किया गया. जब कैदियों से पूछा गया कि मोबाइल कैसे आया तो इन दोनों कैदियों ने केस में फंसा देने की धमकी दी. इसकी सूचना जेल अधीक्षक को दी गयी.
इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी. इधर नगर थानाध्यक्ष एसके सुमन ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर मामले की छानबीन की जा रही है.
आखिर जेल में कैसे पहुंचे मोबाइल : अपराध की घटना का अंजाम देने के बाद इस लिए अपराधियों को जेल भेजा जाता है कि वहां जाकर वह सुधर सके. लेकिन औरंगाबाद जेल की हालत यह है कि जो लोग जेल जाते हैं उनमे से अधिकांश लोग सुधरते नहीं बल्कि और शातिर होकर जेल से निकलते हैं. यही नहीं जेल में जाने के बाद भी अपराध की योजना बनाते हैं और बाहर में रहनेवाले अपराधियों से घटना का अंजाम दिलवाते हैं. यह किसी से छिपी हुई बात नहीं है. बल्कि पुलिस अनुसंधान के क्रम में ये बातें कई बार आयी है. लाख सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद जेल में कैसे इन कैदियों के पास मोबाइल पहुंचा यह चौकाने वाली बात है.
जेल परिसर में प्रवेश करने से पहले नियम यह है कि तलाशी लेने के बाद अंदर जाने दिया जाता है. इस दौरान जिन कैदियों के पास से मोबाइल फोन, चार्जर या आपत्तिजनक सामान रहता है तो उसे पुलिस गेट पर ही जब्त कर लेती है, बावजूद जेल में इतनी कड़ी व्यवस्था के बाद भी मोबाइल पहुंचना संदेहास्पद है. इसमें कहीं न कहीं जेलकर्मियों का मिलीभगत तो नहीं है.
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