टॉक शो : बाल यौन शोषण अपराधियों के लिए बने कड़े से कड़ा कानूनसुप्रीम कोर्ट ने दस साल से कम उम्र के बच्चों (लड़की व लड़का) के खिलाफ यौन हिंसा को क्रूर अपराध माना है. इसके लिए संसद को अलग कानून बनाने को कहा है. इसके खिलाफ अदालत ने सख्त सजा की बात कही है. एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. लाइफ @ जमशेदपुर की टीम ने इस मुद्दे पर शहर के लोगों से बातचीत की. उनसे जानना चाहा कि इसके लिए कैसा कानून बने. इस दौरान लोगों ने कहा कि अपराध के मुताबिक सजा हो. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश : कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद संसद को ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ा कानून बनाना चाहिए. सजा ऐसी मिले कि दूसरों में भी डर समाये. इससे समाज की छवि खराब होती है. -बलविंदर कौर, टेल्को से बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा किसी भी समाज में स्वीकार नहीं होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का अच्छा फैसला है. अपराध के अनुसार ही सजा मिलनी चाहिए. -अनंत कुमार, खड़ंगाझार से बच्चे उनके साथ हुई घटना के बारे में शर्म से बोल भी नहीं पाते हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनना चाहिए. बच्चों को मानसिक सपोर्ट भी मिले. -चमन कुमार झा, लोहाबासा से यह तो दोहरा अपराध है. इसी हिसाब से सजा भी मिलनी चाहिए. बच्चे इसके खिलाफ अपराधी बन सकते हैं. इस तरफ भी गौर करने की जरूरत है. -सामंतो कुमार, सिदगोड़ा से बच्चों को सतर्क रहना सिखाना चाहिए. जो व्यक्ति बाल यौन हिंसा कर रहे हैं, उनका सामाजिक बहिष्कार हो. उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले, ऐसा कानून बनना चाहिए. -गजाला परवीन, सीएच एरिया से सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, तो इस पर जरूर संज्ञान लिया जायेगा. सबसे बड़ी बात है कि ऐसे लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो. इस दिशा में पहल होनी चाहिए. -संजीत कुमार, टाटा जू के पास से
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टॉक शो : बाल यौन शोषण
टॉक शो : बाल यौन शोषण अपराधियों के लिए बने कड़े से कड़ा कानूनसुप्रीम कोर्ट ने दस साल से कम उम्र के बच्चों (लड़की व लड़का) के खिलाफ यौन हिंसा को क्रूर अपराध माना है. इसके लिए संसद को अलग कानून बनाने को कहा है. इसके खिलाफ अदालत ने सख्त सजा की बात कही है. […]
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