नयी दिल्ली : सब्जी एवं अनाजों के दाम बढने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 5.61 प्रतिशत पर पहुंच गयी. यह लगातार पाचवां महीना है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति बढी है. इससे रिजर्व बैंक के लिये अगले महीने नीतिगत दर में कटौती की गुंजाइश सीमित होगी.यहां आज जारी सरकारी आंकडों के अनुसार आलोच्य महीने के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति भी बढकर 6.40 प्रतिशत हो गयी.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल नवंबर में 5.41 प्रतिशत तथा पिछले साल दिसंबर 2014 में 4.28 प्रतिशत थी.अनाज एवं आनाज उत्पादों के खुदरा मूल्य दिसंबर में सालाना आधार पर 2.12 प्रतिशत बढे जबकि नवंबर में इस वर्ग में मुद्रास्फीति 1.7 प्रतिशत थी.
इस दौरान मांस एवं मछली के दाम 6.57 प्रतिशत उंचे रहे जबकि नवंबर में इनमें मुद्रास्फीति 5.34 प्रतिशत थी। वहीं अंडे के दाम सालना आधार पर 0.97 प्रतिशत उंचे रहे जबकि इससे पिछले महीने इसके दाम 0.5 प्रतिशत उंचे थे. जाडे में मांग अधिक होने से मांस, मछली तथा अंडे जैसे अधिक प्रोटीन वाले जिंसों के दाम बढते हैं.हालांकि मौसमी फल दिसंबर में सस्ते हुए। हालांकि सब्जी के दामों में औसतन 4.63 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
दालों की महंगाई नीति निर्माताओं के लिये लगातार बडी चिंता का कारण बनी हुई है. इसके दाम एक साल पहले की तुलना में 45.92 प्रतिशत उंचे हो गये जबकि नवंबर में इनकी मंहगाई दर 46.08 प्रतिशत थी.तेल एवं वसा श्रेणी में खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 7.06 प्रतिशत हो गयी जबकि ईंधन तथा लाइट के मामले में यह 5.45 प्रतिशत रही.
यस बैंक के सीईओ तथा प्रबंध निदेशक राणा कपूर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें इसमें कोई अचंभा नहीं हुआ है क्योंकि उपभोक्ता मुद्रास्फीति अबभी समस्या बनी हुई है लेकिन यह रिजर्व बैंक के 6.0 प्रतिशत के लक्ष्य से कम है. बेस इफेक्ट प्रभाव में आने के साथ सीपीआई में कमी आएगी और ब्याज दर में कटौती की काफी संभावना है.” रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति पर नजर रखता है और उसी के आधार पर द्विमासिक मौद्रिक नीति के बारे में फैसला करता है. रिजर्व बैंक 2 फरवरी को मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा करने वाला है.
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