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नॉन प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं पर नकेल कसने की तैयारी शुरू

नॉन प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं पर नकेल कसने की तैयारी शुरू अन्य कार्यों में संलिप्त रहने वाले लोग अब अधिवक्ता नहीं कहला सकेंगे कटिहार. अधिवक्ता संघ से जुड़ कर अन्य कार्यों एवं व्यवसायियों में संलिप्त रहने वाले लोग अब अधिवक्ता नहीं कहला सकेंगे या समाज में अधिवक्ता के नाम पर धौंस नहीं जमा सकेंगे. प्रैक्टिस में नहीं […]

नॉन प्रैक्टिसिंग अधिवक्ताओं पर नकेल कसने की तैयारी शुरू अन्य कार्यों में संलिप्त रहने वाले लोग अब अधिवक्ता नहीं कहला सकेंगे कटिहार. अधिवक्ता संघ से जुड़ कर अन्य कार्यों एवं व्यवसायियों में संलिप्त रहने वाले लोग अब अधिवक्ता नहीं कहला सकेंगे या समाज में अधिवक्ता के नाम पर धौंस नहीं जमा सकेंगे. प्रैक्टिस में नहीं रहने वाले ऐसे अधिवक्ता सिर्फ अपने पद का दंभ भर कर लोगों के बीच वकील साहब कहलाने की जुगाड़ कर लेते थे. जिसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने नये अध्यादेश जारी कर ऐसे अधिवक्ताओं पर धीरे-धीरे संघ से हटाने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए बीसीआइ ने सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (भेरीफिकेशन) रूल्स 2015 लागू कर सभी अधिवक्ता संघों को नियमित रूप से कार्य कर रहे अधिवक्ताओं की सूची मांगी है. इसी आलोक में अधिवक्ता संघ कटिहार ने नियमित अधिवक्ताओं से अपने संदर्भ में सभी जानकारी देने को कहा गया है. जिसकी सूचना एक निश्चित अवधी में बिहार स्टेट बार काउंसिल पटना को भेज दी जायेगी. क्या है सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (भेरीफिकेशन) रूल्स 2015——————————-अधिवक्ताओं के कार्यशैली एवं अनुशासन को नियंत्रित करने वाली संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया दिल्ली को लगातार यह जानकारी मिल रही थी कि अधिवक्ता संघ से जुड़ कर कई लोग ठिकेदारी, दुकानदारी, एलआइसी एजेंसी एवं अन्य कार्यों में व्यस्त रहते हैं. जिससे नियमित रूप से अधिवक्ता पेशे से जुड़े लोगों को सामाजिक रूप से वह पहचान नहीं मिल पा रही है. जिसके वे हकदार हैं. ऐसे नॉन प्रैक्टिसींग एवं फर्जी अधिवक्ताओं को पहचानने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस नियम को लागू किया है. जिसे गजट ऑफ इंडिया में अधिसूचना का प्रकाशन किया गया है. संघ ने जारी किया नियमित अधिवक्ताओं के लिए नोटिस——————————-अधिवक्ता संघ कटिहार ने अपने नियमित अधिवक्ताओं के लिए उक्त नियम के तहत जारी फार्म को भरने के लिए नोटिस जारी किया है. जिसके लिए अधिवक्ता अपने पांच वकालतनामा की सत्यापित प्रति फार्म के साथ संलग्न कर संघ में जमा कर सकेंगे. इसके लिए छह सदस्यीय कमिटी बनायी गयी है. जो विशेष रूप से अनियमित अधिवक्ताओं की पहचान कर उसे फार्म जारी नहीं करेंगे. अब तक नॉन प्रैक्टिसींग लोग बनते रहे हैं वोट बैंक—————————–संघ के पिछले कई आम चुनावों में ऐसा देखा गया है कि नॉन प्रैक्टिसींग अधिवक्ता संघ के कार्यकारिणी समिति के चुनाव में वोट बैंक का काम किया करते हैं. उन्हें यह जानकारी नहीं होती है कि वे जिस उम्मीदवार को वोट दे रहे हैं, उनकी संघ के मामले में क्या कर सकेंगे. संघ के आम चुनाव के परिणाम के पश्चात कई ऐसे पदाधिकारी चुन लिये जाते हैं. जिन्हें संघ के विकासात्मक कार्यों से कोई लेना-देना नहीं होता है एवं इसमें संघ के प्रति कोई अभिरुचि नहीं रहती है. वे सिर्फ पद को धारित कर अपनी पैठ अन्य लोगों के बीच बनाने में लगे रहते हैं. क्या कहते हैं अधिवक्ता संघ के सचिव—————————-अधिवक्ता संघ के सचिव विजय कुमार झा का कहना है कि सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (भेरीफिकेशन) रूल्स 2015 का बार काउंसिल ऑफ इंडिया के दिये निर्देश के आलोक में शत प्रतिशत पालन किया जायेगा एवं किसी भी अनियमित अधिवक्ता की सूची या नाम संघ द्वारा बिहार स्टेट बार काउंसिल पटना को नहीं भेजी जायेगी. उन्होंने कहा कि जितने भी नियमित अधिवक्ता हैं, उनके नाम निश्चित रूप से भेजी जायेगी.

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