नयी दिल्ली : बिजली मंत्रालय आगामी आम बजट में बिजली क्षेत्र के लिए कोई कर रियायत देने की पेशकश नहीं करेगा क्योंकि इस पर अब कोई दबाव नहीं है और अपने दम पर खडा है. यह पूछने पर कि क्या मंत्रालय क्षेत्र के लिए किसी तरह की कर रियायत का प्रस्ताव करेगा, केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि हमारे पास कर प्रोत्साहन की जरुरत नहीं है. हम अपने बल पर खडे हो सकते हैं.”
उनका यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि आम बजट से पहले विभिन्न क्षेत्र वित्त मंत्री अरण जेटली से कर छूट और अन्य प्रकार के प्रोत्साहनों की मांग कर रहे हैं. मंत्री ने कहा, ‘‘अब हमारा विचार है कि मेरा बिजली क्षेत्र अपने बल पर खडा हो सकता है. आपने देखा है कि सारी पारदर्शिता के साथ हमने लागत घटाई है. अब इस क्षेत्र पर दबाव आम तौर पर खत्म हो गया है.” उन्होंने कहा, ‘‘उदय से अगले तीन साल में सालाना 1.8 लाख करोड रुपये की बचत में मदद मिलेगी. यह बचत भारत की जनता के पास जाएगी।” इससे पहले पिछले साल नवंबर में केंद्र ने उज्ज्वल डिस्काम एश्योरेंस योजना (उदय) पेश की थी ताकि रिण से बोझ से दबी वितरण कंपनियों को उबारा जा सके.
इन कंपनियों पर चार लाख करोड रुपये से अधिक का रिण का बोझ है और उन्हें सालाना 60,000 करोड रुपये का नुकसान हो रहा है. इस योजना के तहत इन कंपनियों का 75 प्रतिशत रिण का अधिग्रहण राज्य सरकारें करेंगी जो रिण अदा करने के लिए बांड जारी करेंगी. शेष रिण का भुगतान वितरण कंपनियों राज्यों की गारंटी पर जारी बांड के जरिये करेंगी. उर्जर विशेषज्ञ सी पी कृष्णन ने कहा, ‘‘बिजली उत्पादन कंपनियों को बेहतर कर प्रोत्साहन मिल रहा है. लेकिन डिस्काम के साथ मुद्दा कर्ज के बोझ का है.”