14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जुनून ने बनाया इंटरनेशनल स्टार

भारत में किशोरों के सपनों का आकाश विस्तार ले रहा है. यह एक ऐसी अवस्था है, जब वे न तो पूरे बच्चे होते हैं और न ही युवा. इन दो पड़ावों के बीच अपने लिए सही राह चुन लेने का संकल्प उन्हें नयी पहचान दिलाता है. आज किशोर भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में परचम लहरा कर घर-परिवार […]

भारत में किशोरों के सपनों का आकाश विस्तार ले रहा है. यह एक ऐसी अवस्था है, जब वे न तो पूरे बच्चे होते हैं और न ही युवा. इन दो पड़ावों के बीच अपने लिए सही राह चुन लेने का संकल्प उन्हें नयी पहचान दिलाता है. आज किशोर भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में परचम लहरा कर घर-परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं. साथ ही समान उम्र के बच्चों के लिए एक रोल मॉडल बन कर उभर रहे हैं. एक ऐसे जुझारू किशोर हैं देवेश चौधरी, जिन्होंने बास्केटबॉल में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनायी.

भारत में किसी बच्चे से भी खेल के बारे में पूछा जाये, तो प्राय: वह क्रिकेट में अपनी दिलचस्पी जाहिर करेगा. लेकिन पश्चिमी राजस्थान के छोटे-से कस्बे भोपालगढ़ के देवेश चौधरी ने बास्केटबॉल को चुना और महज 18 वर्ष की उम्र में शानदार प्रदर्शन कर ऑस्ट्रेलिया का सफर तय कर लिया. देवेश के सिर पर नौ वर्ष की उम्र से ही बास्केटबॉल खेलने का जुनून सवार हो गया था.

उसके पक्के इरादे ने अंडर 18 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा िदया और अब वह अंडर 19 में चयनित है और यूरोप में टूर्नामेंट के लिए जानेवाला है. पश्चिमी राजस्थान में खेलों के लिए प्रोत्साहन व सुविधाएं न के बराबर है है, साथ ही बच्चों को परिवार से समर्थन प्रोत्साहन भी नहीं मिल पाता. देवेश बताते हैं कि वहां के क्षेत्रीय स्कूल भी बच्चों को खराब रिजल्ट का डर िदखा कर खेलने से रोकते हैं. प्रशासन की तरफ से भी इस तरह के खेलों के लिए किसी तरह की कोई सुविधा मिलती. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ख्वाबों को जीवंत रखते हुए ऑस्ट्रेलिया तक की लंबी उड़ान भरी, वह भी महज 18 बरस की उम्र में.

निकटवर्ती क्षेत्र के एलके सिंघानिया स्कूल, गोटन से 2010 में देवेश ने जिला स्तर पर गोल्ड मेडल जीतकर शुरुआत तो कर ही दी. उसके बाद 2011 में राज्य स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता और वहीं से राष्ट्रीय स्तर पर भी चुन लिये गये. उसके बाद देवेश को स्पोर्ट्स स्कूल दिल्ली भेजा गया, जहां उन्हें बेहतर प्रशिक्षण व प्रदर्शन के मौके मिले. वहीं से देवेश का चयन अंडर 18 के तहत अंतरराष्ट्रीय खेल के लिए हुआ और पेसिफिक इंटरनेशनल स्कूल गेम्स के लिए वे नवंबर, 2015 में एडिलेड गये. 156 देशों की टीमों की इस प्रतियोगिता को मिनी ओलिम्पिक भी कहा जाता है. इस प्रतियोगिता में उनकी टीम को आठवां स्थान मिला. टीम क्वार्टर फाइनल तक ही पहुंच पायी, लेकिन वे राजस्थान के खेल जगत में एक रोल मॉडल बनकर उभरे. अंडर 19 में चयन होने के बाद वे थ्री आॅन थ्री बास्केटबॉल टूर्नामेंट खेलने यूरोप जायेंगे. इससे पहले देवेश ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खेली गयी कई प्रतियोगिताओं में 12 स्वर्ण, 10 रजत व 4 कांस्य पदक हासिल किये. इससे पहले राष्ट्रीय स्तर पर दो बार एसजीएफआइ व दो बार आॅल इंडिया आईपीएससी में गोल्ड मेडल हासिल कर चुके हैं. अंडर 18 व 19 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबॉल में वे राजस्थान के एकमात्र खिलाड़ी हैं.

देवेश के कोच राजेश कुमार बताते है कि वह बहुत ही परिश्रमी व जुझारू खिलाड़ी है, जो प्रतिदिन 10 किलोमीटर दौड़ व 4 घंटे प्रैक्टिस करता है. कोच उनका एक किस्सा कहते हैं कि एक बार राष्ट्रीय स्तर पर हरियाणा के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में उसकी टीम हाफ टाइम तक हार की कगार तक पहुंच गयी. देवेश के टखने में चोट लग जाने से वह मैच नहीं खेल पा रहा था. तब हाफ टाइम में देवेश ने दर्द का इन्जेक्शन लगाकर खेलने की जिद कर दी और फिर वह इन्जेक्शन लगाकर ही माना और हाफ टाइम के बाद जाकर मैच को जीता दिया. हालांकि उसकी चोट बहुत गंभीर हो गयी और वह आगे के कई मैच नहीं खेल पाया. उसके अंदर जबरदस्त टीम भावना है. जोधपुर के बेहद सुदूर क्षेत्र के एक साधारण किसान परिवार के इस बेटे पर आज सभी को नाज है. वह अपने क्षेत्र के अन्य बच्चों के लिए रोल मॉडल बन चुका है. उसने सािबत कर दिया कि अगर आपने दिल से कुछ पाने की ठान ली है, तो कोई असुविधा, संसाधन का अभाव आपका रास्ता नहीं रोक सकता. साथ ही खेल में रुिच रखनेवाले बच्चे क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं. À रवि शर्मा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें