अररिया : धान अधिप्राप्ति पर लगने वाला ग्रहण अब समाप्त होता दिख रहा है. यह गतिरोध मिलर द्वारा बैंक गारंटी दिये जाने की बात को ले सामने आया था. अब मिलर पैक्स व व्यापार मंडल को धान के बदले पूर्व में ही चावल उपलब्ध करायेगा.
हां सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी हालत में पैक्स व व्यापार मंडल मिलर को एडवांस धान नहीं देंगे. क्योंकि मिलर गारंटी के रूप में सिर्फ एडवांस राइस देने पर सहमत हुआ है. इसलिए विभाग को यह ताकीद है कि मिलर के पास अग्रिम धान नहीं दिया जायेगा. हालांकि इस प्रक्रिया के बाद मिलर को धान के बदले बैंक गारंटी देने से मुक्ति मिल गयी है. लेकिन उनके पास अब टैग पैक्स व व्यापार मंडल को धान के बदले एडवांस राइस देने की चुनौती भी सामने होगी. ज्ञात हो कि सरकार के द्वारा इस वर्ष धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया में कई परिवर्तन किये थे. इसके तहत धान अधिप्राप्ति का जिम्मा पैक्स व व्यापार मंडल को दिया गया है. पैक्स व व्यापार मंडल को नोडल एजेंसी एसएफसी को धान के बदले 67 प्रतिशत के मापदंड पर सीएमआर उपलब्ध कराना है.
जबकि सीएमआर आवंटित करने वाले एसएफसी से पंजीकृत मिलर को उनके मिल कूटाई क्षमता के अनुरूप पैक्स व व्यापार मंडल से टैग किया जायेगा. टैग पैक्स व व्यापार मंडल के एक लॉट चावल के एवज में साढ़े सात लाख रुपये मिलर को बैंक गारंटी के रूप में देना था. जिस पर मिलर सहमति नहीं जता रहे थे. इसको लेकर डीडीसी की अध्यक्षता में मिलर के साथ छह जनवरी को बैठक का आयोजन किया गया था.
लेकिन वहां भी मिलर सहमत नहीं हो पाये थे. किसानों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने अपने रुख में नरमी लायी है.
निर्माणाधीन व डिफॉल्टर मिलर धान अधिप्राप्ति से रह सकते हैं वंचित : धान अधिप्राप्ति को लेकर एसएफसी से 26 मिल मालिकों के द्वारा पंजीकरण कराया गया है. सरकार ने नियम में फेरबदल तो मान लिया. लेकिन ऐसे मिलर जिनके पास कि सरकार का वर्ष 12-13 व 13-14 का राशि बकाया है. वेसे मिलर इस वर्ष धान अधिप्राप्ति से वंचित रह सकते हैं.
यह जानकारी जिला सहकारिता पदाधिकारी के द्वारा दी गयी. जानकारी अनुसार जिले में 26 मिलरों में से छह मिलर के मिलिंग की प्रक्रिया अब तक निर्माणाधीन स्थिति में है. जबकि चार मिलर विभाग के बकाया राशि का जवाबदेह है. ऐसी स्थिति में धान अधिप्राप्ति की प्रक्रिया बचे 16 मिलरों के द्वारा ही की जायेगी. जिले में इस बार अधिप्राप्ति की जिम्मेवारी 177 पैक्स व नौ व्यापार मंडल के ऊपर सौंपी गयी है. इसके तहत इनके सीसी एकाउंट में 403 क्विंटल धान के खरीद को लेकर पांच लाख 70 हजार रुपये का क्रेडिट लीमिट भी सहकारिता विभाग के द्वारा बढ़ा दिया गया है. एक पुराने फेरबदल के रूप में इस बात का ध्यान भी रखा गया है कि अगर पैक्स या व्यापार मंडल के द्वारा धान के साथ बोरा मिलर को दिया जायेगा तो इसके बदले में धान समर्थन मूल्य के अलावा प्रति क्विंटल 25 रुपये बोरा का अलग से राशि का भुगतान मिलर व पैक्स को होगा.
कितने मिलर के पास कितना है बकाया : सरकार ने एक बार फिर अपना कड़ा रुख अख्तियार किया है .
विभागीय पदाधिकारी के अनुसार इस बार सीएमआर आवंटन की जिम्मेदारी ऐसे ही मिलरों को सौंपी जायेगी. जिसके पास सरकार की कोई भी राशि बकाया नहीं है. इसके तहत मिली जानकारी के अनुसार आठ मिलरों के पास सरकार का राशि बकाया है. वर्ष 2012-13 में जिले में काम करने वाले सात मिलर जिनमें गोलछा उद्योग फारबिसगंज, शिव विजय उद्योग, अशोक ट्रेडिंग, जय लक्ष्मी उद्योग, बंगाल के अनिकेत मनीष, बाबा विश्वकर्मा, न्यू सरकार शर्मा के पास 15 करोड़ 65 लाख रुपये का बकाया था. इनके विरुद्ध निलाम पत्र वाद दायर हुआ था. बकाया की राशि में इनके द्वारा नौ करोड़ 17 लाख रुपये जमा किया गया है.
हालांकि इनमें से स्थानीय चार मिलरों के द्वारा वर्ष 2014-15 में धान अधिप्राप्ति के मद में सीएमआर आवंटित करने का काम किया गया था. जबकि एक मिलर पूर्णिया राइस मिल के पास 8.32 करोड़ रुपये का बकाया था. जिसमें इनके द्वारा 40 लाख रुपये की राशि जमा की गयी है. इसके विरुद्ध विभागीय केस दर्ज करते हुए निलाम पत्र वाद भी न्यायालय में दर्ज है. हालांकि इन मिलरों के द्वारा भी अपना पक्ष रखते हुए मामला दायर किया गया है जो कि अभी विचाराधीन है.