आचार्य महाश्रमण के मंगल आगमन पर उमड़ा आस्था का जन सैलाब चलो महाश्रमण जी आये हैं महाश्रमण की धवल सेना के साथ-साथ बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी महिलाएं भी साथ चल रही थी. श्रद्धालु ‘ नेमा जी के लाल ने, घणी-घणी खंभा’ ‘जय-जय ज्योति चरण, जय-जय महाश्रमण’, ‘तेरापंथ की एक पहचान, एक गुरु एक विधान’, जैसे नारे लगा रहे थे प्रतिनिधि, पूर्णियाप्रतीक्षा की घड़ी समाप्त हुई और शुक्रवार की सुबह पूर्णिया वासियों के लिए नयी उम्मीद, नयी ऊर्जा, नया एहसास और सनातन आस्था की पैरोकार बनकर आयी. ऐसा लगा कि आज शहर अहले सुबह ही जग चुका है. सड़कें और मुहल्ले चकाचक थी तो मधुबनी के इलाके में आम दिनों से हट कर खास चहल-पहल देखी गयी. इस प्रकार अहिंसा की यात्रा पर निकले तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी का पूर्णिया प्रवेश पर सुबह 8:45 बजे बनभाग पुल के समीप जैन धर्मावलंबियों समेत अन्य लोगों ने भव्य स्वागत किया. लोगों की भीड़ में पुरुष-महिलाएं, बच्चे-बूढ़े सभी शामिल थे. महाश्रमण का काफिला बढ़ता गया और कारवां बनता चला गया. नेमाजी के लाल ने, घणी-घणी खंभा आचार्य महाश्रमण के स्वागत के लिए शुक्रवार की सुबह आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. उनका स्वागत गगनभेदी नारे और बैंड बाजे के साथ किया गया. सरस्वती विद्या मंदिर बाघमारा के छात्रों ने ड्रम बजा कर जबकि स्कूली छात्राओं ने हाथ जोड़ कर उनका अभिनंदन किया. महाश्रमण की धवल सेना के साथ-साथ बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी महिलाएं भी साथ चल रही थी. श्रद्धालु ‘ नेमा जी के लाल ने, घणी-घणी खंभा’ ‘जय-जय ज्योति चरण, जय-जय महाश्रमण’, ‘तेरापंथ की एक पहचान, एक गुरु एक विधान’, जैसे नारे लगा रहे थे. महाश्रमण के साथ चल रही धवल सेना ऐसा प्रतीत हो रही थी मानो पूर्णिया की धरती पर महासिंधु की धारा लहरा रही है. घर में पधारो गुरुदेव आचार्य महाश्रमण एवं उनकी धवल सेना जिनकी संख्या सौ से अधिक होती है, अहिंसा यात्रा के क्रम में किसी श्रद्धालु के घर ही रात्रि प्रवास करते हैं. जिस घर में वे प्रवास करते हैं उनके लिए यह जिंदगी का सबसे अविस्मरणीय पल होता है. सच तो यह है कि इस अवसर के लिए हर कोई लालायित रहता है. शुक्रवार को मधुबनी में महाश्रमण और उनकी धवल सेना विजय सिंह नाहर के आवास पर रात्रि विश्राम किया. यहीं से शनिवार की सुबह आचार्य रानीपतरा के लिए प्रस्थान करेंगे और पुन: 18 जनवरी को पूर्णिया वापस आयेंगे. पशोपेश में पड़े आचार्य महाश्रमण मधुबनी में प्रवेश करने के साथ ही कुछ क्षण के लिए आचार्य श्री महाश्रमण को प्रकाश नाहर के आवास में जाना था. लेकिन आचार्य उस समय पशोपेश में पड़ गये जब प्रकाश नाहर के घर में प्रवेश करने से पूर्व सामने की जमीन पर हरी घास देखा. दरअसल जैन मुनि हरी घास पर नहीं चलते हैं क्योंकि उसमें सूक्ष्म जीव मौजूद होते हैं और उस पर पैर रखने से जीव हत्या की संभावना रहती है. कुछ देर तक जमीन का सूक्ष्म अवलोकन करने के पश्चात आचार्य महाश्रमण ने अपना पैर आगे बढ़ाया और घर के अंदर प्रवेश किया. वहां वे कुल तीन मिनट तक रहे और फिर वहां से निकल कर 9:25 बजे वे विजय सिंह नाहर के आवास में प्रवेश कर गये जहां उन्हें प्रवचन से पूर्व अल्पाहार लेना था और विश्राम करना था. भाव वंदन के लिए झुकी आंखें उठे हाथ आचार्य महाश्रमण के दर्शन के लिए जाति और धर्म की दीवार भी दरकती नजर आयी. महाश्रमण के साथ चल रहे लोगों में जैन धर्मावलंबी के अलावा बड़ी संख्या में हिंदू और मुसलिम संप्रदाय के लोग भी शामिल थे. रास्ते में खड़े हजारों लोग महाश्रमण के प्रति भाव वंदन के लिए सिर झुकाये और हाथ उठाये खड़े थे. गौरतलब है कि महाश्रमण के पैर छूने की इजाजत कुछ खास समय में ही होती है. लिहाजा हर आंखें और हर हाथ भाव वंदन के लिए तरशती नजर आयी. बंद रही शराब व मांसाहार की दुकान अखंड परिव्राजक, सिद्ध साधक, प्रभावी वचनकार, कुशल समाज सुधारक और सृजनशील साहित्यकार आचार्य महाश्रमण के स्वागत में मधुबनी इलाके की शराब दुकानें व मांस-मछली की दुकानें भी शुक्रवार को बंद रही. मझली चौक पर हर दिन मांस-मछली की दुकान सजती है लेकिन महाश्रमण के आगमन को लेकर स्वत: इस पेशा से जुड़े लोगों ने दुकानें बंद रखी. सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद कुमार भोला व राकेश कुमार ने बताया कि गंगा-जमुनी तहजीब पूर्णिया की परंपरा रही है. महाश्रमण ने दिलाया शपथ सिन्हा पब्लिक स्कूल मधुबनी परिसर में आयोजित प्रथम सत्र के प्रवचन के बाद आचार्य ने उपस्थित लोगों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का शपथ दिलाया. इस मौके पर मौजूद लोगों में से बड़ी संख्या में लोगों ने शपथ लिया. कार्यक्रम के अंत में महिलाओं द्वारा स्वागत गीत और समापन गीत गाया. धन्यवाद ज्ञापन तेरापंथ समाज के अध्यक्ष विजय सिंह नाहर ने किया. जबकि कार्यक्रम को सिन्हा पब्लिक स्कूल के संजय कुमार सिन्हा ने भी संबोधित किया. इस मौके पर अशोक नाहर, रूपेश डुंगरवाल, राजेश जैन, प्रकाश नाहर, तुला राम, अरविंद कुमार साह भोला, राकेश कुमार, शंभु केशरी, सोनी सिन्हा, वार्ड आयुक्त रेखा देवी आदि मौजूद थे. —————————विवेकपूर्ण पुरुषार्थ ही मनुष्य को बनाता है श्रेष्ठ :आचार्य महाश्रमण पुरुषार्थ का जीवन में बड़ा ही महत्व है. भाग्य ही महत्वपूर्ण है लेकिन भाग्य भरोसे बैठने वाला अभागा होता है. उद्योग ही पुरुष को श्रेष्ठ बनाता है. इसलिए हर व्यक्ति को विवेकपूर्ण पुरुषार्थ करना चाहिए. उक्त बातें जैन आचार्य श्रीमहाश्रमण जी ने शुक्रवार की सुबह सिन्हा पब्लिक स्कूल मधुबनी परिसर में आयोजित प्रवचन को संबोधित करते हुए कही. आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि पुरुषार्थ करने पर भी कभी-कभी अपेक्षित उपलब्धि नहीं मिलती है लेकिन इससे निराश होने की जरूत नहीं है. हमारा काम विवेकपूर्ण पुरुषार्थ करना है. किसी को दुख देने में हमारे पुरुषार्थ का उपयोग नहीं होना चाहिए बल्कि कष्ट निवारण में पुरुषार्थ का उपयोग होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कामना दुख का कारण होता है. किसी भी मामले में आसक्ति से दूर रहना चाहिए. कहा कि भोजन की प्रशंसा और निंदा दोनों से बचिये क्योंकि यह भी आसक्ति है. आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि आभूषण से शरीर को सजाना कोई बड़ी बात नहीं है. बल्कि जीवन को सद्गुणों से विभूषित करना महत्वपूर्ण है. क्योंकि बाहरी आभूषण शरीर का भार होते हैं. कान का कुंडल बाहरी शोभा है जबकि कान की असली शोभा शास्त्र को सुनना है. इसी प्रकार हाथ की शोभा दान है तो शरीर की शोभा परोपकार है. कहा कि नाम की लालसा नहीं रखनी चाहिए और दान के साथ तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य सद्भावना का संप्रसार, नैतिकता का प्रसार और नशामुक्ति है. फोटो: 8 पूर्णिया 1-स्वागत में ड्रम बजाते सरस्वती विद्या मंदिर बाघमारा के छात्र 2-स्वागत में खड़ी स्कूली छात्राएं 3-पूर्णिया शहर की सीमा में प्रवेश करते आचार्य महाश्रमण 4-स्वागत में पहुंची महिलाएं 5-महाश्रमण के काफिले में शामिल लोग 6-आगंतुकों के लिए नाश्ते की व्यवस्था 7-विजय सिंह नाहर का आवास जहां किया महाश्रमण ने रात्रि विश्राम 8-महाश्रमण का वंदन करते श्रद्धालु 9-प्रवचन करते महाश्रमण व उपस्थित श्रद्धालु 10-स्वागत गीत गाती महिलाएं 11-जैन धर्म के मूल आधार का प्रदर्शन करती छात्राएं 12-महाश्रमण जी को देखने जा रहे श्रद्धालु.
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आचार्य महाश्रमण के मंगल आगमन पर उमड़ा आस्था का जन सैलाब
आचार्य महाश्रमण के मंगल आगमन पर उमड़ा आस्था का जन सैलाब चलो महाश्रमण जी आये हैं महाश्रमण की धवल सेना के साथ-साथ बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबी महिलाएं भी साथ चल रही थी. श्रद्धालु ‘ नेमा जी के लाल ने, घणी-घणी खंभा’ ‘जय-जय ज्योति चरण, जय-जय महाश्रमण’, ‘तेरापंथ की एक पहचान, एक गुरु एक विधान’, […]
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