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साधारण मरीज भी हो जाते हैं रेफर

साहिबगंज : करीब 12 लाख की आबादी को स्वास्थ्य मुहैया कराने का भरोसा दिलाने वाला साहिबगंज का सदर अस्पताल सिर्फ नाम का बड़ा है. गंभीर बीमारियां तो दूर यहां साधारण बीमारी का इलाज भी संभव नहीं हो पाता. ज्यादातर लोगों को स्वास्थ्य लाभ के लिए पश्चिम बंगाल का सहारा लेना पड़ता है. आइसीयू तो दूर […]

साहिबगंज : करीब 12 लाख की आबादी को स्वास्थ्य मुहैया कराने का भरोसा दिलाने वाला साहिबगंज का सदर अस्पताल सिर्फ नाम का बड़ा है. गंभीर बीमारियां तो दूर यहां साधारण बीमारी का इलाज भी संभव नहीं हो पाता. ज्यादातर लोगों को स्वास्थ्य लाभ के लिए पश्चिम बंगाल का सहारा लेना पड़ता है. आइसीयू तो दूर यहां एक विशेषज्ञ डॉक्टर भी नहीं हैं. जांच के लिये उपकरण हैं, लेकिन विशेषज्ञ टीम नहीं. जबकि इस अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा मिले करीब 26 साल हो गये.

ब्लड बैंक किसी काम का नहीं : अस्पताल परिसर में ब्लड बैंक की स्थापना राज्य सरकार द्वारा आदिवासी बाहुल जिला रहने के कारण की गयी. यह बैंक काम तो कर रहा लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि अक्सर यहां ब्लड उपलब्ध नहीं रहते हैं. वह तो सरकारी गैर सरकारी, संस्थान, एएसएस व रक्तदान करने वाले लोग समय-समय पर रक्त दान करते रहते हैं.
विशेषज्ञ चिकित्सकों का टोटा, मरीज रहते हैं परेशान: साहिबगंज जिला सदर अस्पताल मे विशेष चिकित्सको की भारी कमी है जिला सदर अस्पताल में तीन सर्जन डॉ एके झा, डॉ एन सांगा, डॉ अजय कुमार झा, एक फिजिशियन डॉ दिनेश मुर्मू, एक स्त्री रोग विशेष डॉ पीपी पांडे, एक दंत चिकित्सक डॉ भारती पुष्पम व एक मुहत डॉ एसएस भगत है. जबकि आंख, कान, गला, मुंह, हड्डी, हृदय सहित अन्य रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं.

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