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आइटीआइ के कौशल विकास केंद्रों के जरिये बनाया जा रहा है जागरूक वित्त मंत्रालय ने लोगों को वित्तीय साक्षर बनाने के लिए आइटीआइ के सहयोग से कौशल विकास केंद्र का संचालन शुरू किया है. इन केंद्रों पर लोगों को आसान भाषा और विषयों के जरिये वित्तीय शिक्षा दी जा रही है, ताकि कोई वित्तीय ठगी […]

आइटीआइ के कौशल विकास केंद्रों के जरिये बनाया जा रहा है जागरूक
वित्त मंत्रालय ने लोगों को वित्तीय साक्षर बनाने के लिए आइटीआइ के सहयोग से कौशल विकास केंद्र का संचालन शुरू किया है. इन केंद्रों पर लोगों को आसान भाषा और विषयों के जरिये वित्तीय शिक्षा दी जा रही है, ताकि कोई वित्तीय ठगी अथवा धोखाधड़ी का शिकार न हो पाये.
अब यदि किसी के सामने वित्तीय समस्या पैदा हो रही है, तो सोचने की जरूरत नहीं. वह इन केंद्रों पर जाकर वित्तीय शिक्षा प्राप्त कर लाभ उठा सकते हैं.
हमें बैंक की क्यों जरूरत है, जीवन बीमा क्या है, पैन की जरूरत कब पड़ती है और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना क्या है, जैसे कई ऐसे वित्तीय सवाल हैं, जिससे भारत का आम आदमी अनभिज्ञ है.
वह समाचार पत्रों और विज्ञापनों में इन चीजों के बारे देखता-पढ़ता तो है, मगर उसे इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती है. इस कारण कई बार आदमी गैर-वित्तीय संस्थानों के झांसे में आकर ठगी का शिकार हो जाता है. इन सभी वित्तीय सवालों के जवाब देने के लिए विभिन्न केंद्रों को संचालन किया जा रहा है. यहां प्रधानमंत्री धन-जन योजना और अन्य कई ऐसी योजनाअों को लेकर वित्त मंत्रालय कम समय में लोगों को जागरूक कर रहा है.
इसके लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) और अन्य कौशल विकास केंद्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन केंद्रों के जरिये बैंकों में नये खाता खोलने, बीमा पॉलिसीधारकों को पूरी तरह से औपचारिक बैंकिंग शब्दावलियों की जानकारी, प्रक्रियाओं, उत्पादों और बचत के मुख्य तरीकों के बारे कम समय में वित्तीय शिक्षा पाठ्यक्रम के द्वारा जानकारी प्रदान की जाती है. इस समय पूरे देश में इस प्रकार के करीब 8,500 वित्तीय साक्षरता केंद्रों का संचालन किया जा रहा है.
ये सभी केंद्र प्रधानमंत्री जनधन योजना और उससे संबंधित जन सुरक्षा योजना पर जागरूक कर आमंत्रित करने के लिए देश के विभिन्न बैंकों की शाखाओं से जुड़े हुए हैं. इस बारे में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि वित्तीय साक्षरता और
शिक्षा केवल औपचारिक रूप से बैंकिंग चैनलों के लिए उपयोगी नहीं हैं, बल्कि सरकार के वित्तीय समावेशन योजना के लिए भी महत्वपूर्ण पहलू हैं.
उनका कहना है कि उपभोक्ताओं को जरूरत के हिसाब से उनके अधिकार और मिलनेवाले लाभ के बारे में जानना बेहद आवश्यक है. उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय वर्ष 2016 में इस योजना के कार्यान्वयन और सफलता की समीक्षा करेगा और इसके बाद ही वह इसके विस्तार के बारे में फैसला करेगा.
वित्तीय साक्षरता केंद्रों द्वारा क्षेत्रीय भाषा में चार्ट और बहुवैकल्पिक प्रश्नों का इस प्रकार से प्रस्तुतिकरण किया गया है, जिसका उपयोग उपभोक्ता अपने लाभ और अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्तकर कर सकते हैं.
बता दें कि वर्ष 2014 के अगस्त में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत की थी. इसके अलावा, सरकार की ओर से छोटे और मध्यम उद्यमियों के लिए मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना की शुरुआत की गयी. वित्त मंत्रालय की ओर से आइटीआइ के जरिये संचालित होनेवाले इन केंद्रों पर इन सभी योजनाओं के बारे में उपभोक्ताओं को साक्षर और जागरूक किया जा रहा है.

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