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चेचर ग्राम समूह के टूरिज्म हब बनने का कब पूरा होगा सपना

बिदुपुर : कोटी ग्राम के रूप में इतिहास में मशहूर चेचर ग्राम समूह की खुदाई भारत सरकार और बिहार सरकार की अड़चन में एक वर्ष से ठप पड़ी है, जिससे ऐतिहासिक कार्य बाधित है. अतीत में सात एकड़ में फैला चेचर ग्राम समूह वर्तमान में अतिक्रमण के कारण ढाई एकड़ में सिमट कर रह गया […]

बिदुपुर : कोटी ग्राम के रूप में इतिहास में मशहूर चेचर ग्राम समूह की खुदाई भारत सरकार और बिहार सरकार की अड़चन में एक वर्ष से ठप पड़ी है, जिससे ऐतिहासिक कार्य बाधित है. अतीत में सात एकड़ में फैला चेचर ग्राम समूह वर्तमान में अतिक्रमण के कारण ढाई एकड़ में सिमट कर रह गया है. चेचर में 1978 में खुदाई होने के पश्चात तेरह काल खंडों के अवशेष मिले, जिसकी सर्वे रिपोर्ट आरकेलोजिकल रिव्यु में प्रकाशित हो चुकी है.

इसके पश्चात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग खुदाई करके सोलह हजार अवशेष ले गया, जो पटना के आंशिक कार्यालय में जमा हैं. खुदाई से प्राप्त मुसलिम काल से लेकर नवपाषाण काल तक के ऐतिहासिक साक्ष्य एवं प्राप्त एैरोहेड, हेलन की मूर्ति, पोलिसदार बरतन , सेलुकस की पुत्री, टेराकोटा, ब्लैक बेयर, रेड बेयर, बुद्ध की मूर्ति, विष्णु की मूर्ति, सिक्का, पत्थर के औजार आदि की देखभाल के लिए सन 1981 में तत्कालीन जिलाधिकारी सकील अहमद, कस्टडियन के रूप में रामपुकार सिंह को नियुक्त किया कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो, तब तक प्रदर्शन होता रहेगा.

क्यों रुकी खुदाई : चेचर संग्रहालय संरक्षक रामपुकार सिंह कहते हैं कि बिहार सरकार पुरातत्व निदेशालय द्वारा भारत सरकार को खुदाई में मिले पुरावशेष का रिपोर्ट भेजी जाती है, वह अब तक नहीं भेजी गयी है. हालांकि अंचलाधिकारी संजय कुमार राय ने रुकी खुदाई के बारे में बताया कि इस वर्ष भारत सरकार ने चेचर में खुदाई के लिए अब तक लाइसेंस जारी नहीं किया है.
खुदाई रुकने से क्या है प्रभावित : गत 14 फरवरी, 2013 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चेचर ग्राम समूह का दौरा कर खुदाई कराने एवं संरक्षित क्षेत्र घोषित करने का आश्वासन दिया था. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में विकास की पूरी संभावनाएं हैं. चेचर घाट किनारे 2001 एकड़ दियारा क्षेत्र में टूरिज्म हब बनेगा, चेचर ग्राम समूह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा और यहां के नौजवानों को रोजगार मिलेगा, लेकिन वो सपना कब पूरा होगा. नौजवान इस बार भी टकटकी लगाये बैठे हैं.
खुदाई से प्राप्त अवशेषों का नहीं हो सका संरक्षण : खुदाई में जो पुरावशेष मिले हैं, उनका अब तक नियमानुकूल संरक्षण नहीं हो सका है. अभी भी खुदाई से प्राप्त गुप्तकाल, शुन्यकाल, कुषाणकाल, ताम्र पाषाणकाल के पुरावशेष असुरक्षित जगह पर संरक्षित हैं, जबकि नियमानुकूल स्थानीय संग्रहालय या जिला मुख्यालय या फिर राज्य मुख्यालय में रखा जाना चाहिए.
खुदाई का नहीं हो सका भुगतान : गत वर्ष 2014-15 में खुदाई के लिए 24 लाख रुपये का आवंटन हुआ. वर्ष 2014-15 हुई खुदाई के दस लाख रुपये भुगतान मजदूरों को अब तक नहीं हो सका है. बताया जाता है कि ऑडिट में बहुत सारी विसंगतियां पायी गयी हैं, जिसके कारण भुगतान अब तक नहीं हो सका है.
चेचर की खुदाई मौत को दे रही आमंत्रण : चेचर की खुदाई अजीबोगरीब हुई. यहां खुदाई कर गड्ढे को जस-का-तस छोड़ दिया गया है, जिससे आये दिन प्राय: उस गड‍्ढे में जानवर गिरते रहते हैं, कई लोग गिरने से बाल-बाल बच गये हैं. जबकि नियमानुकूल खुदाई के बार ट्रेंच को पॉलीथिन सीट से ढंक कर भर दिया जाता है, परंतु चेचर ग्राम समूह के उत्खनन में ऐसा नहीं किया गया है. आज भी गड‍्ढे खुले पड़े मौत को आमंत्रण दे रहे हैं और खुले रहने से अंदर के पुरातात्विक अवशेष भी नष्ट हो रहे हैं.

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