तेहरान : एक शिया धर्मगुरु को मृत्युदंड दिए जाने के विरोध में ईरान स्थित सऊदी अरब के दूतावास और वाणिज्य दूतावास पर हमलों के बाद सऊदी अरब ने अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी ईरान के साथ राजनयिक संबंध समाप्त कर दिये हैं. सऊदी अरब के विदेश मंत्री अबेल अल जुबेर ने रविवार देर रात को संबंध तोड़ने की घोषणा की और ईरानी राजनयिकों को देश छोड़कर जाने के लिए 48 घंटों का समय दिया. तेहरान में सउदी अरब के दूतावास और एक वाणिज्य दूतावास पर हमलों के बाद ईरान से सभी सउदी राजनयिकों को वापस बुला लिया गया है.
सजा के बाद निर्णय
शेख निम्र अल निम्र और 46 अन्य लोगों को सामूहिक रूप से मौत की सजा दिये जाने के बाद यह निर्णय लिया गया.सऊदी अरब में पिछले साढ़े तीन दशक में यह सबसे बड़े स्तर पर दिया गया सामूहिक मृत्युदंड है. इस घटना ने इलाके में मौजूद सांप्रदायिक विभाजन को उजागर कर दिया है. शिया प्रदर्शनकारी बहरीन से पाकिस्तान तक गलियों पर उतर आए जबकि सुन्नी शासित सउदी अरब के सहयोगी देश उसके समर्थन में आगे आए. यह गतिरोध शाह सलमान के नेतृत्व में सउदी अरब की नई आक्रामकता को दर्शाता है. उनकी सत्ता में सउदी अरब ने यमन में शिया विद्रोहियों के खिलाफ लड़ रहे एक गठबंधन का नेतृत्व किया और क्षेत्रीय शिया शक्ति ईरान के वैश्विक शक्तियों के साथ एक परमाणु करार करने के बावजूद उसका कडा विरोध किया. इस घोषणा ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण बने संबंधों में नई उथल पुथल पैदा कर दी है. देानों देश के बीच 1988 से 1991 तक राजनयिक संबंध नहीं थे.
जुबानी जंग जारी
दोनों देशों के बीच जुबानी जंग शुरु होने के बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी ने सउदी अरब को रविवार को चेतावनी दी थी निम्र की मौत के कारण उसे ‘‘खुदाई कहर’ का सामना करना होगा जबकि रियाद ने तेहरान पर ‘‘आतंकवाद’ को समर्थन देने का आरोप लगाया. दोनों देशों के बीच जारी जुबानी जंग के तेज होने की आशंका है जबकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इलाके में शांति की अपील की है. आधिकारिक सउदी प्रेस एजेंसी के अनुसार अल जुबेर ने रियाद में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ईरानी शासन का 1979 में अमेरिकी दूतावास पर कब्जे से लेकर विदेशी राजनयिक मिशनों पर हमलों का पुराना रिकॉर्ड रहा है और इस प्रकार की घटनाएं सभी अंतरराष्ट्रीय समझौतों का घोर उल्लंघन हैं.
आतंकी सेल तैनात करने का आरोप
उन्होंने कहा कि ईरान की शत्रुतापूर्ण नीति का मकसद इलाके की सुरक्षा को अस्थिर करना है. उन्होंने ईरान पर हथियारों एवं विस्फोटकों की तस्करी करने और सउदी अरब एवं इलाके के अन्य देशों में आतंकवादी सेल तैनात करने का आरोप लगाया. उन्होंने संकल्प लिया कि सउदी अरब ईरान को उसकी सुरक्षा को कमजोर करने की अनुमति नहीं देगा. सउदी अरब में शिया समुदाय के विरोध प्रदर्शनों में अल-निम्र नामी चेहरा थे और साल 2012 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. अल निम्र को आतंकवाद के आरोप में दोषी ठहराया गया था लेकिन उन्होंने हमेशा हिंसा की वकालत करने से इंकार किया.
सजा की आलोचना
तस्नीम समाचार एजेंसी ने देश के शीर्ष पुलिस अधिकारी जनरल हुसैन साजेदिनिया के हवाले से जानकारी दी कि तेहरान में सउदी अरब के दूतावास के बाहर प्रदर्शनकारियों का विरोध शीघ्र ही हिंसक हो गया और प्रदर्शनकारियों ने दूतावास पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके. उन्होंने इमारत के एक हिस्से में आग लगा दी. ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने अल निम्र को मौत की सजा दिए जाने की निंदा की लेकिन सउदी दूतावास पर हमला करने वालों को ‘‘कट्टरपंथी’ बताया.