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‘वर्चस्व का ख़ात्मा है पुरस्कार वापसी की वजह’

हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार और इस साल के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर रामदरश मिश्र का कहना है कि सम्मान या पुरस्कार लौटाना विरोध करने का सही तरीक़ा नहीं है. बीबीसी से ख़ास बातचीत में उन्होंने पिछले दिनों अकादमी सम्मान वापस किए जाने की कुछ घटनाओं पर कहा कि इससे अकादमी में थोड़ी हलचल […]

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हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार और इस साल के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर रामदरश मिश्र का कहना है कि सम्मान या पुरस्कार लौटाना विरोध करने का सही तरीक़ा नहीं है.

बीबीसी से ख़ास बातचीत में उन्होंने पिछले दिनों अकादमी सम्मान वापस किए जाने की कुछ घटनाओं पर कहा कि इससे अकादमी में थोड़ी हलचल तो ज़रूर मची, लेकिन उसकी प्रतिष्ठा पर कोई असर नहीं पड़ा.

हिन्दी के वयोवृद्ध लेखक रामदरश मिश्र, अंग्रेजी लेखक साइरस मिस्त्री, मैथिली लेखक मनमोहन झा और संस्कृत कवि रामाशंकर अवस्थी समेत 23 साहित्यकारों को इस वर्ष का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा.

रामदरश मिश्र को यह पुरस्कार उनके कविता संग्रह ‘आग की हंसी’ के लिए दिया जाएगा.

अकादमी के लिए यह वर्ष विवादों से घिरा रहा. रामदरश मिश्र के मुताबिक़ जिस असहिष्णुता की बात करके कुछ लोगों ने अकादमी पुरस्कार वापस किए, वह असहिष्णुता हिंदुस्तान में कोई नई बात नहीं, हमेशा से रही है.

वह कहते हैं कि असहिष्णुता को पुरस्कार वापसी की वजह बताना ठीक नहीं. बल्कि सच्चाई यह है कि इसके पीछे अकादमी अध्यक्ष और सरकार का विरोध और ख़ुद को चर्चा में लाना मक़सद था.

उनके मुताबिक़ अभी तक स्थिति यह थी कि जितने पुरस्कार हैं, उनके चयन से लेकर प्राप्त करने वालों तक पर एक वर्ग विशेष का वर्चस्व था.

मौजूदा अकादमी अध्यक्ष के आने से इन्हें लगता है कि अब इनका वर्चस्व ख़त्म हो गया है, इसलिए विरोध का ये रास्ता चुना गया.

वह कहते हैं कि इससे न तो साहित्य अकादमी पर और न ही उसकी प्रतिष्ठा पर कोई असर पड़ने वाला है.

92 वर्ष की उम्र में अचानक पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर उनका कहना है, “जहां तक मेरी बात है, तो मुझे क्यों मिला ये तो चयनकर्ता जानें, लेकिन सरकार से इसका कोई संबंध नहीं है.”

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वह कहते हैं कि अकादमी स्वायत्त संस्था है और इसके सदस्यों और पदाधिकारियों का चयन एक प्रक्रिया के तहत होता है. ऐसे में इस संस्था से या फिर उसकी ओर से दिए जाने वाले पुरस्कारों से सरकार को जोड़ना लोगों को दिग्भ्रमित करना है.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे रामदरश मिश्र ने गद्य एवं पद्य की लगभग सभी विधाओं में रचना की है.

पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, अपने लोग उनके प्रमुख उपन्यास हैं जबकिबैरंग बेनाम चिट्ठियाँ’, ‘पक गयी है धूप’, ‘कंधे पर सूरज’, ‘दिन एक नदी बन गया’, ‘जुलूस कहां जा रहा है’उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं.

(समीरात्मज मिश्र से बातचीत पर आधारित)

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