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RTI के दायरे में हो BCCI, सट्टेबाजी को मिले कानूनी मान्यता : लोढ़ा समिति

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय से नियुक्त लोढ़ा समिति ने आज विवादों से घिरे बीसीसीआई के लिए आमूलचूल बदलावों की सिफारिश की जिनमें मंत्रियों को पद हासिल करने से रोकना, पदाधिकारियों के लिए उम्र और कार्यकाल की समयसीमा का निर्धारण और सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देना भी शामिल है. न्यायमूर्ति ( सेवानिवृत ) आर एम […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय से नियुक्त लोढ़ा समिति ने आज विवादों से घिरे बीसीसीआई के लिए आमूलचूल बदलावों की सिफारिश की जिनमें मंत्रियों को पद हासिल करने से रोकना, पदाधिकारियों के लिए उम्र और कार्यकाल की समयसीमा का निर्धारण और सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देना भी शामिल है.

न्यायमूर्ति ( सेवानिवृत ) आर एम लोढ़ा की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय पैनल ने कठोर सुधारों की श्रृंखला में सुझाव दिया है कि एक राज्य का प्रतिनिधित्व केवल एक इकाई करेगी जबकि संस्थानिक और शहर आधारित इकाईयों के मतदान अधिकार वापस लेने की सिफारिश की है. समिति ने बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे के भी पुनर्गठन का सुझाव दिया है और सीईओ के पद का प्रस्ताव रखा है जो नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद के प्रति जवाबदेह होगा.

उच्चतम न्यायालय में 159 पृष्ठों की रिपोर्ट सौंपने के बाद खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोढा ने कहा कि उन्होंने बोर्ड अधिकारियों, क्रिकेटरों और अन्य हितधारकों के साथ 38 बैठकें की. उच्चतम न्यायालय यह फैसला करेगा कि बीसीसीआई इन सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य है या नहीं.

लोढा ने सिफारिशों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा, ‘‘पहली बात ढांचे और संविधान को लेकर है. अभी आप जानते हैं कि बीसीसीआई के 30 पूर्णकालिक सदस्य हैं. इनमें से कुछ सदस्यों जैसे सेना, रेलवे आदि का कोई क्षेत्र नहीं है. इनमें से कुछ टूर्नामेंट में नहीं खेलते. कुछ राज्यों में कई सदस्य हैं जैसे कि महाराष्ट्र में तीन और गुजरात में तीन सदस्य है. हमने जो बातचीत की उनमें से कुछ को छोडकर बाकी सभी इस पर सहमत थे कि बीसीसीआई में एक राज्य से एक इकाई का प्रतिनिधित्व सही विचार होगा. ‘

आज सुबह सुप्रीम कोर्ट में लोढ़ा समिति की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी. इस संबंध में जानकारी देने के लिए जस्टिस लोढ़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीसीसीआई के कामकाज में सुधार के लिए हमने कई लोगों से बात की. बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर, सचिव अनुराग ठाकुर और पूर्व कप्तानों ने भी कई सुझाव दिये हैं.

समिति ने अपने सुझाव में यह प्रस्ताव दिया है कि बीसीसीआई और आईपीएल के लिए अलग-अलग गवर्निंग कौंसिल होनी चाहिए. साथ ही समिति ने खिलाड़ियों का संघ बनाने की सिफारिश भी की है. समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि नेताओं का प्रवेश बीसीसीअाई में नहीं होना चाहिए. साथ ही समिति ने यह सिफारिश भी की है कि बीसीसीआई को आरटीआई के दायरे में लाया जाये.

लोढा पैनल ने जो सबसे सनसनीखेज सिफारिश की है वह सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने की है. पैनल का मानना है कि इससे खेल में भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलेगी और सिफारिश की कि खिलाडियों और अधिकारियों को छोडकर लोगों को पंजीकृत साइट्स पर सट्टा लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए. पैनल ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इस संस्था को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लाना जरुरी है. बोर्ड अपनी स्वायत्ता का हवाला देकर पूर्व में इसका पुरजोर विरोध करता रहा है.

न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘‘चूंकि बीसीसीआई सार्वजनिक कार्यों से जुडा है, इसलिए लोगों को इसके कामकाज और सुविधाओं तथा अन्य गतिविधियों के बारे में जानने का अधिकार है और इसलिए हमारा विचार है कि क्या बीसीसीआई पर आरटीआई अधिनियम लागू होता है या आरटीआई के अधीन आता है यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. हमने सिफारिश की है कि विधायिका को बीसीसीआई को आरटीआई अधिनियम के तहत लाने के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए. ‘ बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिए आयु और कार्यकाल की समयसीमा तय करने के बारे में समिति ने कहा कि बोर्ड के सदस्यों को तीन कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रहना चाहिए.

न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा कि अध्यक्ष तीन साल के दो कार्यकाल में रह सकता है कि लेकिन अन्य पदाधिकारी तीन कार्यकाल तक रह सकते हैं. सभी पदाधिकारियों के लिए प्रत्येक कार्यकाल के बीच अंतर अनिवार्य होगा. लोढा ने कहा, ‘‘बीसीसीआई के पदाधिकारियों के संबंध में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष के लिए कुछ पात्रता मानदंड तय किये गये हैं जैसे कि वह भारतीय होना चाहिए, वह 70 साल से अधिक उम्र का नहीं होना चाहिए, वह दिवालिया नहीं होना चाहिए, वह मंत्री या सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए और जिसने नौ साल की संचयी अवधि के लिए बीसीसीआई में कोई पद नहीं संभाला हो.’

लोढ़ा ने कहा, ‘‘वर्तमान व्यवस्था में बीसीसीआई अध्यक्ष के पास तीन मत होते हैं. पहला राज्य संघ के प्रतिनिधि के रुप में जो कि बीसीसीआई का पूर्ण सदस्य है, दूसरा नियम पांच ( आई ) के तहत बैठक के अध्यक्ष के रुप में और तीसरा नियम 21 के तहत बराबरी की स्थिति में निर्णायक मत. बीसीसीआई के स्थानीय सदस्य के प्रतिनिधि के तौर पर अध्यक्ष का मत और बराबरी की स्थिति में निर्णायक मत निष्पक्ष और जायज है वहीं बैठक के अध्यक्ष के तौर पर अतिरिक्त मत का प्रावधान खत्म करने की जरूरत है. ‘

बीसीसीआई के संवैधानिक ढांचे में प्रस्तावित सुधारों के हिस्से के रुप में पैनल ने कहा कि बोर्ड के हर दिन के कामकाज को एक सीईओ को देखना चाहिए. पैनल ने कहा कि खिलाड़ियों का संघ भी होना चाहिए जिससे बोर्ड के कामकाज में खिलाड़ी भी अपनी बात रख सकें. न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘‘बीसीसीआई के एक लिए एक सर्वोच्च परिषद होनी चाहिए जिसमें नौ सदस्य हों. इनमें से पांच सदस्य निर्वाचित, दो खिलाडी संघ के प्रतिनिधि और एक महिला होनी चाहिए. बीसीसीआई के दैनंदिनी प्रबंधन को सीईओ देखेगा.

उनकी मदद के लिए छह पेशेवर प्रबंधक होंगे तथा सीईओ और प्रबंधकों की टीम सर्वोच्च परिषद के प्रति जवाबदेह होगी. ‘ लोढा ने कहा कि खिलाडियों के संघ का गठन एक संचालन समिति करेगी जिसकी अगुवाई पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई करेंगे और इसमें पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ और अनिल कुंबले तथा पूर्व महिला क्रिकेटर डायना एडुल्जी शामिल होंगे. समिति ने कहा कि खिलाडियों के संघ में उन सभी को शामिल किया जाएगा जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेली हो. ‘

पैनल ने इसके साथ ही सुझाव दिया कि राज्य संघों को दिये जाने वाले अनुदान पर उचित निगरानी रखनी होगी. न्यायमूर्ति लोढा ने कहा, ‘‘हमने राज्य संघों के ढांचे और संविधान में एकरुपता की सिफारिश की है जैसे कि संघ का कोई आजीवन सदस्य या नौ साल से अधिक समय तक सदस्य नहीं होना चाहिए, राज्य संघों में सामाजिक और क्रिकेट गतिविधियों का पृथक्करण और प्राक्सी मतदान नहीं होना चाहिए। इनके कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिये उनके खातों की लेखा परीक्षण बीसीसीआई को करना चाहिए. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें हितों के टकराव के संकल्प, आचार संहिता की व्यवस्था, व्यवहार और भ्रष्टाचार जैसे मसलों पर बीसीसीआई के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए.

राज्य संघों द्वारा निर्देशों का किसी भी तरह से उल्लंघन वे बीसीसीआई से मिलने वाली छूट और अनुदान के हक से वंचित हो सकते हैं. ‘ समिति ने आचारनीति अधिकारी के कार्यालय के गठन की भी सिफारिश की जो हितों के टकराव से संबंधित मसलों को सुलझाने के लिए जिम्मेदार होगा. इसके अलावा पैनल ने बोर्ड के चुनाव कराने के लिए निर्वाचन अधिकारी की नियुक्ति की भी सिफारिश की. ‘ लोढ़ा ने कहा, ‘‘हमने उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश को आचारनीति अधिकारी नियुक्त करने की सिफारिश की है.

इसके अलावा निर्वाचन अधिकारी का पद सृजित करने का भी प्रस्ताव रखा है जो पदाधिकारियोंके चुनावों से जुडी पूरी निर्वाचन प्रक्रिया को देखेगा. इसमें मतदाताओं की सूची को तैयार करना, प्रकाशन और पदाधिकारियों की पात्रता से जुडे विवाद शामिल हैं. ‘ उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन अधिकारी का नामांकन चुनावों से कम से कम दो सप्ताह पहले करना होगा और इस तरह का अधिकारी पूर्व चुनाव आयुक्त होना चाहिए. ‘ इसके अलावा पैनल ने कहा कि अंदरुनी टकरावों से निबटने के लिए बोर्ड का लोकपाल भी होना चाहिए. बोर्ड ने पिछले साल नवंबर में एपी शाह की नियुक्ति करके यह सुझाव पहले ही मान लिया है.

इसी समिति ने चेन्नई सुपर किंग्स एवं राजस्थान रॉयल्स को आईपीएल में हिस्सा लेने से दो साल के लिए निलंबित करने का सुझाव दिया था.बीसीसीआई के कामकाज के बारे में विभिन्न पहलुओं पर सुझाव देने वाली इस रिपोर्ट पर प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ बाद में विचार करेगी.

उच्चतम न्यायालय की रजिस्टरी को लोढ़ा समिति की रिपोर्ट अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने सौंपी.पूर्व में पैनल ने आईपीएल की सर्वाधिक सफल टीम, महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को 2013 में सामने आए सट्टा घोटाले के बाद दो साल के लिए निलंबित कर दिया था.

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