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बाजार में संक्रांति का उल्लास

बाजार में संक्रांति का उल्लास मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है. इस दिन लोग स्नान-दान करने के साथ-साथ तिलकुट और दही-चूड़ा खाना शुभ मानते हैं. बच्चे पतंग उड़ाते हैं. हर समाज में संक्रांति पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इसका संबंध बाजार से भी है. इसलिए, बाजार भी पर्व से पूर्व तैयारियां कर […]

बाजार में संक्रांति का उल्लास मकर संक्रांति का पर्व आने वाला है. इस दिन लोग स्नान-दान करने के साथ-साथ तिलकुट और दही-चूड़ा खाना शुभ मानते हैं. बच्चे पतंग उड़ाते हैं. हर समाज में संक्रांति पर्व अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इसका संबंध बाजार से भी है. इसलिए, बाजार भी पर्व से पूर्व तैयारियां कर लेता है. बाजार में कई प्रकार का चूड़ा तथा तिल व मूंगफली से बने खाद्य पदार्थ की मौजूद खुशबू नाक से होते हुए गले तक उतर रही है. पतंग की दुकानों पर भी बच्चों की भीड़ लगने लगी है. संक्रांति की तैयारियों पर पढ़िए लाइफ @ जमशेदपुर की रिपोर्ट…तिलकुट और तिल के लड्डू की खूब बिक्रीमकर संक्रांति पर लोग तिलकुट, तिल के लड्डू व रेवड़ी आदि खाना शुभ मानते हैं. दुकानों पर तिलकुट व अन्य चीजें बनने लगी हैं. साकची स्थित एक दुकान के मालिक शंकर प्रसाद बताते हैं कि अभी से ही तिलकुट बनना शुरू हो गया है. इसके ग्राहक भी आने लगे हैं. कई लोग संदेश के तौर पर तिलकुट ले जा रहे हैं. जिन्हें परिजनों को संदेश में तिलकुट भेजना है, वह शुरू में ही इसकी खरीदारी कर लेते हैं. वहीं, सर्दी में तिलकुट खाना सेहत के लिए अच्छा होता है. बड़े-बच्चे सभी इसे खाना पसंद करते हैं. तिल के लड्डू व रेवड़ी तिल दो प्रकार के होते हैं- काला और सफेद. साकची टीनाशेड में दुकान लगाने वाले शंभु भूंजा भंडार के रंजीत प्रसाद बताते हैं कि लोग दोनों ही तिल से बनने वाले लड्डू खाना पसंद करते हैं. इससे लड्डू, पट्टी व रेवड़ी बनायी जाती है. यह गुड़ से बनते हैं. तिलकुट सफेद तिल, गुड़ या चीनी से बनाये जाते हैं. शंकर प्रसाद बताते हैं कि दोनों की कीमत में अंतर नहीं है. गया का तिलकुट लोकप्रिय होने के कारण अधिकतर लोग इसे ले जाना ही पसंद करते हैं. अन्य तिलकुट से इसकी कीमत थोड़ी अधिक है. इस मौके पर खोया तिलकुट की बिक्री भी बढ़ जाती है. चूड़ा की भी हो रही है खरीदारी मकर संक्रांति पर लोग चूड़ा-दही भी खाना पसंद करते हैं. इसको लेकर बाजार में नये धान का चूड़ा आ गया है. इस समय पेपर चूड़ा, बासमती चूड़ा, गोलदाना व कतरनी चूड़ा की बिक्री अधिक हो रही है. बासमती व गोलदाना चूड़ा में खुशबू होती है. इसका स्वाद अन्य चूड़ा से अच्छा होता है. इसलिए, इसकी कीमत भी थोड़ी अधिक है. मूढ़ी व चूड़ा लड्डू भी है पसंदीदामूढ़ी व चूड़ा के लड्डू भी लोग खूब पसंद करते हैं. बाजार में दोनों ही लड्डू की कीमत समान है. ये लड्डू 90 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहे हैं. कई लोग पैकेट के हिसाब से भी इसे लेते हैं. दस रुपये का एक पैकेट मिलता है और इसमें दस ही लड्डू होते हैं. रंजीत कुमार बताते हैं कि सालभर में यही मौका होता है, जब मूढ़ी व चूड़ा लड्डू की अच्छी बिक्री होती है. यह एक तरह से मौसमी पकवान है. ———————————–कीमत (रुपये प्रति किलोग्राम में) लोकल तिलकुट (गुड़ या चीनी) : 160 खोया तिलकुट : 220गया तिलकुट : 200 सफेद तिल का लड्डू : 200 काला तिल का लड्डू : 200तिल पट्टी : 120 तिल रेवड़ी : 120सफेद तिल : 130काला तिल : 90चूड़ा या मूढ़ी लड्डू : 90 चूड़ा या मूढ़ी लड्डू : एक पैकेट :10 (दस पीस)पेपर चूड़ा : 40 बासमती चूड़ा : 80गोलदाना चूड़ा : 80 लड्डू गुड़ : 40मद्रास गुड़ : 45 —————————आसमान में दिखायी पड़ेंगी पतंगें मकर संक्रांति पर सभी पतंग भी उड़ाते हैं. ऐसे में खुले आसमान में केवल पतंग ही पतंग दिखायी देंगी. बच्चे एक-दूसरे की पतंगे काटते नजर आयेंगे. साकची स्थित पतंग के थोक विक्रेता खादिम बताते हैं कि इस त्योहार में लोग पतंग भी उड़ाते हैं. बच्चे और युवा दिनभर पतंग के साथ मस्ती करते हैं. वहीं, सालभर में सबसे अधिक पतंगों की बिक्री मकर संक्रांति पर ही होती है. उन्होंने बताया कि बाजार में तरह-तरह की पतंगें आ चुकी हैं. लोगों के बीच फैंसी पतंग में गोल्डन-सिल्वर बड़ी पतंग और चाइना पतंग की खूब मांग रहती है. बाजार में चाइना पतंग का स्टॉक भी आ चुका है. चाइना फोल्डिंग क्लोथ पतंग की इस बार अधिक बिक्री हो रही है. एक दूसरे को काटेंगी फाइटर पतंगें मकर संक्रांति पर क्लब वाले भी पतंग उड़ाते हैं. उनकी पतंग अन्य पतंगों से थोड़ी अलग होती है. इसे इंडियन फाइटर काइट के नाम से जाना जाता है. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो जा रहा है कि ये पतंग केवल लड़ाने और एक-दूसरे को काटने के लिए ही होती है. मांझा की कई वेरायटीपतंग की डोर भी कई तरह की होती हैं. कॉटन धागे का इस्तेमाल अब कम होने लगा है. बच्चे नायलाॅन का मांझा लेना पसंद करते हैं. यह मजबूत भी होता है. इस वजह से पतंग जल्दी कटती नहीं. बाजार में चाइनीज मांझा का स्टॉक भी आ गया है. सभी की कीमत उसकी मजबूती और लंबाई पर निर्भर करती है. खतरनाक मांझे का न करें प्रयोग चायनीज व नायलॉन का मांझा काफी तेज और मजबूत होता है. नंगे हाथ से इसे खींचने पर हाथ कटने का डर रहता है. राह चलते लोगों के लिए भी यह खतरनाक है. अपने देश में अब तक मांझे की चपेट में आने से कई लोगों की जान जा चुकी है. पिछले दिनों इलाहाबाद में मांझा की चपेट में आकर दो लोगों की मौत हो गयी थी. एेसे में पतंग सड़क के आसपास न उड़ाएं. पतंग खुले मैदान में या सड़क से दूर छत पर ही उड़ाएं. चरखी के बिना नहीं बनेगी बात चरखी की बात की जाये तो यह छोटे-बड़े हर साइज में उपलब्ध हैं. मकर संक्रांति पर युवा तीन, चार और छह इंच की चरखी लेना पसंद करते हैं. बाजार में इसकी दो क्वालिटी लकड़ी और प्लास्टिक मौजूद है. दोनों की कीमत में बहुत अंतर नहीं है. कई दुकानों में एक दाम पर ही दोनों चरखियां मिल रही हैं. पतंग के शेप : चील, रॉकेट, एरोल्पेन, पैराशूट पतंग इंडियन फाइटर काइट : 30 रुपयेफैंसी गोल्डन-सिल्वर पतंग : 30-200 रुपयेचाइना फोल्डिंग पतंग : 100-500 रुपयेमांझा सादा मांझा : 30-100 रुपयेमांझा चाइना : 150-300 रुपयेचरखी : 20-100 रुपये————-

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