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नयी रणनीति अपनाने पर बनी सहमति : माकपा

बदलते राजनीतिक हालात से निबटने के लिए लचीले तौर-तरीके अपनायेगी पार्टी माकपा आगामी दिनों में देश के लिए एजेंडा तय करेगी : येचुरी कोलकाता : ब्रिगेड सभा से शुरू होनेवाला माकपा का पूर्ण अधिवेशन गुरुवार को समाप्त हो गया. अधिवेशन में पार्टी की सांगठनिक ताकत बढ़ाने व मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति से निबटने के लिए नयी […]

बदलते राजनीतिक हालात से निबटने के लिए लचीले तौर-तरीके अपनायेगी पार्टी
माकपा आगामी दिनों में देश के लिए एजेंडा तय करेगी : येचुरी
कोलकाता : ब्रिगेड सभा से शुरू होनेवाला माकपा का पूर्ण अधिवेशन गुरुवार को समाप्त हो गया. अधिवेशन में पार्टी की सांगठनिक ताकत बढ़ाने व मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति से निबटने के लिए नयी रणनीति पर सहमति बनी है. बंगाल की राजनीति को केंद्र कर उभरते राजनीतिक हालात में हो सकनेवाले ‘तेज बदलावों’ से निबटने के लिए पार्टी लचीले तौर-तरीके अपना सकती है.
अधिवेशन के दौरान बंगाल में होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहले माकपा नेतृत्व ने सामाजिक व अन्य कई मुद्दों पर आधारित आंदोलनों और अभियानों के साथ संयुक्त मंच बनाने के अलावा पार्टी में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोड़ने की कोशिशों पर जोर दिया.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि अधिवेशन के दौरान पार्टी की सांगठनिक ताकत बढ़ाने पर जोर दिया गया है. कार्यकर्ताओं से पार्टी की आंतरिक शक्ति बढ़ाने का आह्वान भी किया गया है.
येचुरी ने कहा कि मौजूदा समय देश व बंगाल की राजनीतिक दशा सामान है. आरोप के अनुसार केंद्र व राज्य सरकार की नीति जनविरोधी है. देश में असहिष्णुता और सांप्रदायिकता को बल मिल रहा है, जबकि बंगाल में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले हो रहे हैं.
ऐसी परिस्थिति में वामपंथ ही एकमात्र विकल्प है. विषम राजनीतिक परिस्थिति में वामपंथी ताकत को और मजबूत करने की चुनौती स्वीकार की गयी है. इसे हासिल करने के लिए वामपंथी ताकतों को मजबूत बनाना अहम है. इसके जरिये ही लेफ्ट एंड डेमोक्रेटिक फ्रंट तैयार किया जा सकता है.
अधिवेशन के दौरान संगठन के ड्राफ्ट रिपोर्ट के आधार पर करीब 191 प्रस्ताव दिये गये, जिसमें करीब 36 पर सहमति बनी. साथ ही संगठन के ड्राफ्ट रिजोल्यूशन के आधार पर 73 प्रस्ताव दिये गये, जिसमें छह स्वीकार कर लिये गये. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भाजपा सरकार की ‘सांप्रदायिक और अधिनायकवादी’ नव उदारवादी नीतियों के खिलाफ लड़ने का संकल्प लेते हुए कहा कि माकपा आगामी दिनों में देश के लिए एजेंडा तय करेगी.
येचुरी ने कहा कि अधिनायकवादी रुख की प्रवृति स्पष्ट हो गयी है क्योंकि राजस्थान, मध्यप्रदेश और हरियाणा अपना अपना राज्य का कानून ला रहे है जो प्रत्येक भारतीय नागरिक के मताधिकार और चुनाव लड़ने के संवैधानिक गारंटी को कम करते हैं. माकपा द्वारा आगामी दिनों में देश के लिए लोगों तय किये जाने वाला एजेंडा सत्तारुढ़ वर्ग की लूट के खिलाफ प्रतिरोध का एजेंडा होगा.

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