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456 की बसायी गयी गृहस्थी

जहानाबाद : घरेलू हिंसा समाज के लिए घातक हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार में बिखराव, बाल-बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ना, रहन-सहन के स्तर में गिरावट होना, महिलाओं को प्रताडि़त कर उन्हें घर से निकाल देना जैसी घटनाएं मानवता को शर्मसार तो करती ही हैं, इससे समाज कलंकित भी होता है. गुजरा हुआ साल […]

जहानाबाद : घरेलू हिंसा समाज के लिए घातक हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार में बिखराव, बाल-बच्चों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ना, रहन-सहन के स्तर में गिरावट होना, महिलाओं को प्रताडि़त कर उन्हें घर से निकाल देना जैसी घटनाएं मानवता को शर्मसार तो करती ही हैं, इससे समाज कलंकित भी होता है. गुजरा हुआ साल 2015 महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ हुए अत्याचार के लिए याद किया जायेगा.

साथ ही याद की जायेगी महिला थाने और महिला हेल्प लाइन की कुशल कार्यशैली जिनके प्रयास से जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र के गावों में 456 परिवारों की गृहस्थी बसायी गयी. बिखरे परिवारों को एक किया गया, जो आज खुशहाल हैं और परिवार को एकजुट करने के लिए हेल्प लाइन और महिला थाने के अधिकारियों को धन्यवाद दे रहे हैं.

दर्ज हुए 267 मामले : वर्ष 2015 में जनवरी से दिसंबर के बीच महिलाओं को प्रताडि़त किये जाने के 267 मामले दर्ज हुए जिसमें महिला हेल्प लाइन में 182 और महिला थाने में 85 कांड अंकित किये गये हैं. ससुराल में बहुओं पर अत्याचार करने, दहेज की नाजायज मांगें पूरी नहीं करने पर मारपीट कर प्रताडि़त करने, उन्हें घर से निकाल देने जैसी घटनाएं इसमें शामिल हैं. इनमें एक मामला काफी चर्चित रहा था.
एक युवक और पालीगंज की एक लड़की के बीच प्रेम-प्रसंग में बिन ब्याही लड़की के गर्भवती होने का मामला आया था. महिला थाने में एफआइआर दर्ज हुआ था. हेल्प लाइन में भी मामला दर्ज होने के बाद लड़की को अल्पावास गृह में रखा गया था. परंपरा के मुताबिक बच्चे की छठी हुई थी. फिर सामूहिक प्रयास से दोनों की शादी करवायी गयी थी जो आज खुशहाली के बीच दांपत्य जीवन गुजार रहे हैं.
काउंसेलिंग कर बसाये गये घर : बीते वर्ष 2015 में कोई भी दिन ऐसा नहीं रहा जिस दिन पारिवारिक विवाद नहीं हुआ हो. सास-बहू, पति-पत्नी, ननद-भौजाई के बीच पारिवारिक विवाद में मारपीट की घटनाएं होती रहीं. महिलाओं पर दमन चक्र चलता रहा और मामले पहुंचते रहे थाने में .महिला थाना और महिला हेल्प लाइन में दर्ज कांडों के आंकड़े इसके प्रमाण हैं. घरेलू हिंसा से संबंधित छोटे-छोटे मामले आने पर पुलिस का पहला प्रयास होता है कि बिखरे परिवार को मिलाना.
पीडि़त पक्ष से आवेदन लिए जाते हैं और आरोपित पक्ष को बुलाकर दोनों के बीच व्याप्त मतभेद काउंसलिंग के माध्यम से समाप्त कराये जाते हैं. महिला थानाध्यक्ष कुसुम भारती ने अपने कार्यकाल में ऐसे करीब तीन सौ मामलों की काउंसलिंग करवा टूटते परिवारों को एक किया. पूरे साल प्रतिदिन लगभग 20 से 25 मामले की काउंसलिंग महिला थाने में होती रही.
जहानाबाद महिला हेल्प लाइन के परियोजना निदेशक ज्योत्सना कुमारी ने भी गुजरे साल में काउंसलिंग के जरिये156 परिवारों को मिलाया. साथ ही पीडि़त महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए 18 मामलों में डीआइआर भरवाकर मामला कोर्ट में दायर किया गया.
रेप के नौ मामले हुए दर्ज : बीता वर्ष 2015 अमानवीय घटना के लिए भी याद किया जायेगा. पांच मासूमों के साथ बलात्कार की घटना सुर्खियों में रही. वैसे तो महिला थाने में बलात्कार से संबंधित नौ कांड दर्ज हुए, जिसमें पांच घटनाएं ऐसी घटी जिससे मानवता शर्मसार हो गयी. परस बिगहा थाना के खैरा गांव में सात वर्ष की एक बच्ची के साथ 70 वर्ष के एक बूढ़े ने दुष्कर्म किया था. मामला दर्ज होने पर पुलिस ने एक्शन लिया और आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
इसके अलावा जहानाबाद शहरी क्षेत्र में 18 अगस्त से 5 सितंबर के बीच चार मासूम बच्चियों से दुष्कर्म की चार घटनाएं हुईं. 18 अगस्त को अस्पताल मोड़ नया टोला के समीप नाना के साथ सोयी बच्ची 24 अगस्त को होरिलगंज में मां के साथ सोयी बच्ची को उठाकर हवस के दरिंदों ने कुकर्म किया था. पुन: 30 अगस्त को उंटा मोहल्ले में किराये के मकान में रहने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार की घटना हुई. पांच सितंबर को पूर्वी उंटा मोहल्ले से ही घर से अगवा कर एक छोटी बच्ची के साथ दुष्कर्म करने की घटना भी चर्चा में रहा.
आये तलाक के चार मामले : ‘तलाक’ के तीन शब्द कहते हीं टूट जाता है पति-पत्नी का संबंध. मुस्लिम परिवारों में वैसे तो तलाक देने की कई घटनाएं गुजरे वर्ष में हुई होगी लेकिन चार ऐसी महिलाएं मुखर हुईं जो अपने को तलाक देने पर न्याय पाने के लिए पहुंची महिला थाने में. इरकी मोहल्ला निवासी एक युवती ने विदेश से पत्र भेजकर अपने पति के द्वारा दिये गये तलाक के बाद थाने में मामला दर्ज कराया था. फिलहाल वह लड़की अपने एक बच्चे के साथ मायके में जीवन गुजार रही है.
इस तरह बीता वर्ष 2015 महिलाओं पर हुए अत्याचार एवं दमन का साल रहा. कईयों को काउंसलिंग के जरिये न्याय और अधिकार मिला तो कई महिलाएं अभी न्याय पाने की आस में है. नया साल 2016 की नई उम्मीदें पीडि़त महिलाओं की जिंदगी संवारने में कहां तक साकार होगी यह भविष्य के गर्त्त में है.

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