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या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण…

या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण…(फोटो : मनमोहन.)फ्लैग ::::: पारडीह काली मंदिर में श्रीश्री नवचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति व भंडारा आजक्रॉसर ::: सुमेरु पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती पहुंचे, भव्य स्वागतलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरपारडीह स्थित वन देवी काली मंदिर में मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत नागा बाबा दिगंबर शंकरानंद की पुण्यतिथि पर आयोजित नवचंडी […]

या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण…(फोटो : मनमोहन.)फ्लैग ::::: पारडीह काली मंदिर में श्रीश्री नवचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति व भंडारा आजक्रॉसर ::: सुमेरु पीठ के जगदगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती पहुंचे, भव्य स्वागतलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरपारडीह स्थित वन देवी काली मंदिर में मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत नागा बाबा दिगंबर शंकरानंद की पुण्यतिथि पर आयोजित नवचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ चंडी पाठ हुआ. वहीं, संध्या बेला में भजन-कीर्तन भी आयोजित हुआ. गुरुवार को क्षेत्र या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:… समेत अन्य देवी मंत्रों से गूंजता रहा. अनुष्ठान पंचदश नाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व मंदिर के महंत विद्या नंद सरस्वती के सान्निध्य में संपन्न हो रहे हैं. शुक्रवार को पूजन, चंडी पाठ, रुद्राभिषेक, हवन व महाआरती के बाद दोपहर में भंडारा होगा. शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती का भव्य स्वागतसंध्या बेला में सुमेरु पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती जी मंदिर पहुंचे. यहां महंत विद्यानंद सरस्वती की अगुवाई में शंकराचार्य का भव्य स्वागत किया गया. उनके साथ आये मुंबई मटुंगा के महामंडलेश्वर शंकरानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर राधानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर उमाकांत सरस्वती व अन्य साधु-संत भी महायज्ञ में शामिल हो रहे हैं.युवाओं में धर्म का ज्ञान जरूरी : नरेंद्रानंद सरस्वतीजगदगुरु नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि विश्व के युवा वर्ग में अशांति का कारण अर्थ व काम है. उन्हें धर्म व ईश्वर तत्व का ज्ञान देना जरूरी है. इस बात की आवश्यकता है कि बड़े उनका मार्गदर्शन करें और युवा वर्ग भी प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा माता-पिता व अभिभावकों के पास बैठकर उनसे शिक्षा ग्रहण करें. उन्होंने कहा कि जब-जब सामाजिक परिवर्तन हुआ है, नवयुवकों ने ही उसे दिशा प्रदान की है. प्राचीनता व पुरातनता के साथ संस्कृति को आत्मसात करेंआधुनिकता व पाश्चात्य संस्कृति की ओर लोगों में बढ़ते आकर्षण के सवाल पर शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति की आवश्यकता महसूस की जा रही है. दुनिया भर के देश भारत की ओर देख रहे हैं. ऐसे में अपनी संस्कृति को भूलें नहीं, बल्कि प्राचीनता व पुरातनता के साथ संस्कृति को आत्मसात करने की जरूरत है.पुरस्कार वाले साहित्यकार योग्य नहींसुमेरु पीठाधीश्वर नरेंद्रानंद सरस्वती ने हाल ही में कुछ साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार लौटाये जाने पर आपत्ति जतायी. उन्होंने कहा कि यदि वे पुरस्कार के योग्य होते तो ऐसा नहीं करते. सीमा पर जवानों के सिर कटते हैं, बेगुनाह मारे जाते हैं, तब ऐसे साहित्यकारों का हृदय परिवर्तन नहीं होता और आज हृदय परिवर्तन की बात कर रहे हैं. दरअसल ये पुरस्कार के योग्य नहीं, योग्य होते तो पुरस्कारों का मूल्य समझते.पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने की मंगलकामनामंदिर में संध्या बेला में भव्य आरती हुई. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, अमरप्रीत सिंह काले शामिल हुए. श्री मुंडा ने मां भगवती की पूजा-अर्चना कर मंगकामना की. साथ ही जगदगुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती से आशीष लिया. इस अवसर पर कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.

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