ढाका : वर्ष 1971 के युद्ध अपराधों के मुकदमों और ‘आतंकवाद से कथित तौर पर जुडी’ राजनयिक को ढाका से बुला लेने के पाकिस्तान के फैसले से दोनों देशों में उपजे राजनयिक तनाव के बीच बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया है. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, ‘हां, उच्चायुक्त से जल्द से जल्द देश वापस आने के लिए कहा गया है.’ हालांकि अधिकारी ने कहा कि उच्चायुक्त सोहराब हुसैन का अनुबंध पूरा होने वाला है. पेशे से राजनयिक और आजादी की लडाई के एक योद्धा हुसैन को सेवानिवृत्ति के बाद पहली बार वर्ष 2010 में अनुबंध के आधार पर पाकिस्तान में बांग्लादेश का दूत नियुक्त किया गया था.
उनका कार्यकाल दो साल का था, जिसे दो बार लगातार विस्तार दिया गया. ढाका की ओर से अपने दूत का वापस बुलाने का यह कदम एक ऐसे समय पर उठाया गया है, जब एक ही सप्ताह पहले इस्लामाबाद ने ढाका में तैनात अपनी महिला राजनयिक को वापस बुला लिया था. इस महिला राजनयिक के इस्लामी आतंकियों से संदिग्ध रिश्तों को लेकर हंगामा खडा हो गया था. इससे लगभग 12 माह पहले बांग्लादेश ने एक अन्य पाकिस्तानी को ऐसे ही आरोपों में निष्कासित कर दिया था. खबरों के अनुसार, हिरासत में लिए गए जमातुल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के एक सदस्य ने यह दवा किया था कि पाकिस्तान उच्चायोग की द्वितीय सचिव फरीना अरशद ने प्रतिबंधित संगठन के साथ संपर्क बनाकर रखा था.
आतंकी के इस दावे के दो दिन बाद फरीना ने ढाका छोड़ दिया था. पाकिस्तान ने बांग्लादेश से अपनी इस राजनयिक को तो हटा लिया था लेकिन राजनयिक के बांग्लादेश में किसी आतंकी संगठन के साथ रिश्ते होने की बात को खारिज कर दिया था. वर्ष 1971 के युद्ध अपराधों के दो बडे दोषियों को दी गयी मौत की सजाओं पर इस्लामाबाद की ‘दुस्साहसी’ प्रतिक्रियाओं के बाद ढाका और इस्लामाबाद के रिश्तों में कडवाहट आ गयी. मौत की सजा पाने वाले इन युद्ध अपराधियों को पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लडने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के विरुद्ध अत्याचार करने का दोषी पाया गया था.
युद्ध अपराध करने के लिए बीएनपी के नेता सलाउद्दीन कादर चौधरी और जमात-ए-इस्लामी के महासचिव अली अहसन मुहम्मद मुजाहीद को मौत की सजा दिये जाने पर इस्लामाबाद की प्रतिक्रियाओं पर रोष जताते हुए प्रतिष्ठित ढाका विश्वविद्यालय ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान के सभी विश्वविद्यालयों से अपने संबंध खत्म कर दिये थे. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मौत की सजाओं पर ‘गहरी चिंता और गुस्सा’ जताते हुए कहा था कि ‘पाकिस्तान इस घटनाक्रम (मौत की सजाओं) को लेकर बेहद व्यथित है.’
पाकिस्तान की इस टिप्पणी पर ढाका ने इस्लामाबाद के दूत को बुलाया और कडा विरोध दर्ज कराया. इसके जवाब में इस्लामाबाद ने भी बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब कर लिया था. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि वैसे बांग्लादेश हुसैन को लेकर सहज नहीं था क्योंकि वह ‘संकटकाल’ के दौरान ढाका में रहे जिससे एक कनिष्ठ महिला राजनयिक को दूत की जिम्मेदारी का निवर्हन करने को विवश होना पड़ा. वे इस्लामाबाद उस समय लौटकर गये, ‘जब सभी बडी कठिनाइयां खत्म हो गयी थीं.’