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बनकट गांव में पसरा रहा मातमी सन्नाटा, तीन बच्चों के सिर से उठा पिता का साया

रंजीत की मौत से सदमे में हैं ग्रामीण मां-पिता का रो-रो कर हुआ बुरा हाल दाउदपुर (मांझी) : ग्वालियर मेल और टेंपो की टक्कर में चालक रंजीत पांडेय की मौत से उसके परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य था रंजीत. उसकी मौत से पिता दयानंद पांडेय, मां वीणा […]

रंजीत की मौत से सदमे में हैं ग्रामीण

मां-पिता का रो-रो कर हुआ बुरा हाल
दाउदपुर (मांझी) : ग्वालियर मेल और टेंपो की टक्कर में चालक रंजीत पांडेय की मौत से उसके परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य था रंजीत. उसकी मौत से पिता
दयानंद पांडेय, मां वीणा देवी का रो-रो कर बुरा हाल है.
पत्नी मनोरमा देवी के लिए ग्वालियर मेल काल बन कर आयी. तीन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. इस घटना के बाद बनकटा गांव में भी दिन भर मातमी सन्नाटा पसरा रहा.
कोपभाजन बने अधिकारी : रेलवे ट्रैक जाम हटाने पहुंचे रेल अधिकारी आक्रोशित ग्रामीणों के कोप भाजन बने. ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में भी कई बार बनकटा मानव रहित रेलवे क्राॅसिंग पर फाटक लगाने तथा गेटमैन को तैनात करने की मांग रेलमंत्री से की गयी थी. इसको लेकर ग्रामीणों के ज्ञापन को स्थानीय सांसद ने रेलमंत्री को सौंपा था और रेलमंत्री ने गेटमैन तैनात करने तथा फाटक लगाने का आश्वासन दिया था. लेकिन रेलवे के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं किये जाने से ग्रामीण आक्रोशित थे.
यह महज संयोग था कि टेंपो में बच्चे नहीं थे : ग्वालियर मेल और टेंपो के बीच हुई टक्कर के मामले में यह महज संयोग था कि उसमें बच्चे नहीं थे. कोपा स्थित इंडियन पब्लिक स्कूल में बनकटा गांव के दर्जनों बच्चे पढते हैं, जिन्हें रंजीत पांडेय टेंपो से पहुंचाता था. बनकटा गांव के शिक्षक भी उस स्कूल में पढ़ाते हैं, जो उसी टेंपो से जाते थे. उन्हें लाने के लिए रंजीत बनकटा गांव में जा रहा था.
पहले भी हो चुका है हादसा : छपरा-सीवान रेलखंड पर स्थित कोपा सम्हौता-दाउदपुर के बीच बनकटा रेलवे क्राॅसिंग पर कई बार बड़े हादसे हो चुके हैं और दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. एक दशक के अंदर हुई दुर्घटनाओं के मद्देनजर कई बार रेलवे प्रशासन को ग्रामीणों ने फाटक लगाने और गेटमैन को तैनात करने की मांग की है.
चुनाव के दौरान मानव रहित रेलवे क्राॅसिंग हर बार मुद्दा बनता है और चुनाव खत्म होते ही नेता यह भूल जाते हैं. दो वर्ष पहले भी दुर्घटना हुई थी. उसके विरोध में आक्रोशित ग्रामीणों ने रेल ट्रैक को जाम किया था.

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