आशुतोष के पांडेय
पटना :बिहार सरकार के गठन को लगभग डेढ़ महीने पूरे होने को हैं. लॉ एंड आर्डर पर बिहार सरकार और खासकर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार का ध्यान सबसे ज्यादा होता है. पिछले दो कार्यकालों मेंउनकी यह यह उपलब्धि उनकी यूएसपी बन गयी.मुख्यमंत्री का पद पांचवी बार संभालने के बाद सबसे पहले नीतीश कुमार ने कानून व्यवस्था की समीक्षा की. अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए. अधिकारियों के निर्देशित करने के महीने भर बीते की दरभंगा दो इंजीनियरों की हत्या से दहल उठा. इसके आसपासही हुईकुछ अन्य अत्याओं ने इस बिंदु पर सबका ध्यान खींचा. इंजीनियर हत्याकांड के बाद दो माफिया एक संतोष झा और दूसरे मुकेश पाठक दोनों के नाम अचानक सुर्खियों में आ गये. संतोष झा के बारे में कहा जाता है कि वह भले जेल में बंद हो,पर उसका सम्राज्य बाहर उसके गुर्गे संभालते हैं. बिहार के जेलोंपर लालू प्रसाद यादव का हालिया बयान कि अपराधियों के लिए जेल ट्रेजरी का काम करती है, इस संदर्भ में अहम है.
गैंग के गुर्गों की बनी लिस्ट
बिहार पुलिस ने हत्या के बाद पूरे तंत्र को इस हत्याकांड की जांच में लगा दिया है. विशेष जांच टीम संतोष झा गैंग के उन गुर्गों की लिस्ट बनाकर पूछताछ कर रही है. पुलिस वैसे लोगों की लिस्ट भी बना रही है जो कभी ना कभी संतोष झा के संपर्क में रहे हैं. एसटीएफ के सूत्रों के हवाले से मिल रही खबरों की माने तो इन दोनों माफियाओं का नेटवर्क नेपाल तक फैला हुआ है. इन दोनों ने पड़ोसी राज्यों में भी अपनी पैठ बना रखी है. सूत्र बताते हैं कि बहुत सारे कांडों को अमली जामा पहनाने के लिए उसका प्लान नेपाल के होटलों में बैठकर बनाया गया. सूत्र बताते हैं कि संतोष झा का नेटवर्क इतना मजबूत और पुख्ता है कि हो ना हो हत्या के बाद अपराधी नेपाल पहुंच गए हों.
सरकार हुई सतर्क
एकाएक बढ़े अपराध के त्वरित ग्राफ से सरकार चौकन्नी हो गयी तो इधर जंगलराज का आरोप झेल चुके लालू प्रसाद यादव भी एक्टिव हो गए. लालू नेमंगलवारकप्रेस कांफ्रेस कर कहा कि बहुत जल्द संतोष झा और पाठक जैसे लोगों के गैंग को ध्वस्त कर दिया जाएगा. लालू ने यहां तक कहा कि नीतीश कुमार कमिटेड अधिकारियों को इस काम में लगाएं औरलुंज पुंजअधिकारियों को दूर रखें. हालांकि इस मामले के सामने आने के बाद सांसदपप्पूयादव ने नीतीश कुमार से कई सवाल पूछे हैं. पप्पूयादव ने नीतीश कुमार से कहा है कि यह पता लगाया जाए कि विधानसभा चुनाव में इन अपराधियों ने किस उम्मीदवार की मदद की थी. उसके अलावा शराब और बाकी माफिया वाले कामों में खादी और खाकी के गठजोड़ पर भीपप्पूयादव ने सवाल उठाए.
विशेष जांच टीम की नजर
विशेष जांच टीम के अबतक की जांच पर नजर डालें तो जो जानकारी निकलकर सामने आ रही है, उसके मुताबिक संतोष और पाठक गिरोह के पास विदेशी हथियार के अलावा दो दर्जन ऐसे लोगों का गैंग है जो अपराध में माहिर हैं. क्राइम के माहिर खिलाड़ियों को चुन-चुनकर इनलोगों ने अपने गैंग में शामिल किया है. खबर यह भी है कि माफिया संतोष झा ने कंस्ट्रक्शन कंपनियों से लेवी वसूलने के लिए एक लिबरेशन फ्रंट तक बना रखा है जो नक्सलियों की तर्ज पर काम करता है. इनलोगों ने नक्सल गिरोह के जाने-पहचाने व्यक्ति के साथ मिलकर उनसे सारे गुर सीखे और बाद में उसे ठिकाने लगाकर लिबरेशन को अपराधी गैंग में बदल दिया.
सिस्टमेटिक क्राइम करते हैं गैंग
सूत्र बताते हैं कि संतोष झा और मुकेश पाठक के गिरोह आपसी तालमेल से पूरे सिस्टमेटिक ढंग से क्राइम को अंजाम देते हैं. गिरोह के सदस्यों को काम नहीं रहने पर भी सालोंभर गैंग की ओर से एकमुश्त रकम का भुगतान किया जाता है. पुलिस इस गैंग की कमर तोड़ने के लिए इसबार पूरे तंत्र का प्रयोग कर रही है. गैंग से जुड़ी हर जानकारी विशेष प्लान के तहत जुटायी जा रही है. विशेष जांच टीम मनोवैज्ञानिक तरीके से काम कर रही है. साथ ही उनके पूर्व में किये गये अपराधों के मोड ऑफ अप्रेटिंस को भी ध्यान में रखा जा रहा है. इंजीनियर हत्याकांड सरकार के लिए चुनौती बन गया है, वहीं लोग भी सरकारी कार्रवाई पर खासा ध्यान दे रहे हैं.