दक्षा वैदकर
फेसबुक पर एक मित्र ने फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार जी का एक किस्सा पोस्ट किया है, जो दिलीप कुमार जी ने ही बताया था. वे बताते हैं ‘जब मैं अपने कैरियर के चरम पर था, मैं एक बार हवाई जहाज से यात्रा कर रहा था.मेरे बगल में एक बुजुर्ग यात्री बैठा था.
एक साधारण शर्ट और पेंट पहने वह मध्यम वर्ग का दिखाई दे रहा था. हां, लेकिन वह अच्छी तरह शिक्षित भी लग रहा था. अन्य यात्रियों का मुझ पर ही ध्यान था, लेकिन वह सज्जन मुझे उदासीन दिखाई दिया. उसने पहले अखबार पढ़ा, खिड़की से बाहर देखा और चाय के आने पर चुपचाप चाय का एक घूंट पिया.
मैंने मुस्कुरा कर वार्तालाप को आरंभ करने की कोशिश की, वह आदमी शिष्टता से वापस मुस्कुराया और नमस्ते कहा. हम बात कर रहे थे और मैं विषय को फिल्मों के अधीन ले आया और उनसे पूछा, ‘आप फिल्में देखते हैं?’ आदमी ने कहा, ‘ओह, बहुत कम. कई साल पहले एक फिल्म देखी थी.’
मैंने उन्हें बताया कि मैं फिल्मों में ही काम करता हूं. उन्होंने पूछा, ‘आप फिल्मों में क्या काम करते हैं?’ ‘मैं एक अभिनेता हूं’- मैंने कहा. ‘अद्भुत’, ये कहते हुए उन्होंने सिर हिलाया. (उस वक्त दिलीप कुमार जी को आश्चर्य हो रहा था यह सोच कर कि पूरी दुनिया मुझे पहचानती है, विमान में सारे लोग मुझे देख रहे हैं और ये सज्जन मुझे क्यों नहीं पहचान पा रहे, जबकि मैं उन्हें बता भी चुका हूं कि मैं एक अभिनेता हूं) जब विमान रुका.
सभी के साथ हम दोनों भी उतरे. मैंने उनसे हाथ मिला कर कहा, आप के साथ यात्रा करना मुझे अच्छा लगा. वैसे बता दूं, मेरा नाम दिलीप कुमार है. वह मेरे हाथ को हिला कर मुस्कुराये और बोले, ‘धन्यवाद! मैं जेआरडी टाटा हूं.’ मैंने इस घटना से सीखा, चाहे आप कितने भी बड़े हों, इस दुनिया में कोई न कोई आपसे बड़ा जरूर है. हमेशा नम्र रहें.
इसमें कुछ भी खर्च नहीं होता है. दिलीप कुमार तो सचमुच ही बहुत बड़े स्टार हैं, लेकिन ऐसे कई लोग दुनिया में हैं, जो इतने बड़े स्टार या बड़े पदों पर न होने के बावजूद खुद को बहुत महान समझते हैं. उन्हें बाकी सभी लोग तुच्छ नजर आते हैं. daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– अगर आप हर जगह अपने आप को महान साबित करने की कोशिश करते हैं, तो इस आदत को बदलें. सभी से नम्रता से बात करें. व्यवहार रखें.
– आप अपने क्षेत्र में भले ही बहुत ऊंचाई पर हों, इसका अर्थ यह नहीं कि सामनेवाला आपसे छोटा हो गया. महान वहीं है, जो जमीन से जुड़ा है.