विनाश का कारण बनता है अभिमान: वैदेही …अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो सुन कर भाव-विभोर हुए श्रोता नोट: फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवारानगर पंचायत के मालगोदाम के सामने चल रहा गीता जयंती साप्ताहिक समारोह रविवार की देेर रात भक्ति व हर्षोल्लास माहौल में संपन्न हुआ. प्रवचन के अंतिम दिन कोलकाता के वशिष्ठ नारायण शास्त्री ने अपने प्रवचन के क्रम में कृष्ण-सुदामा की दोस्ती की भजनों के सहारे विस्तारपूर्वक व्याख्या करते हुए कहा कि दोस्ती में हर इनसान को अपने दोस्तों के मन के भाव व विचार को देखना चाहिए एवं दोस्त को कभी अपने दोस्त से छल नहीं करना चाहिए. क्योकि, ऐसा करनेवाला कालांतर में अत्यंत गरीब बन जाता है. एक प्रसंग की व्याख्या करते हुए शास्त्री जी ने कहा कि हर इनसान को अपनी पत्नी को राज बताने व भाई से राज छिपाने से परहेज करना चाहिए. दुलारी बेटी को घर-घर घुमाने व बेटे को सिर पर बैठाने जैसे सोच का भी परित्याग करना चाहिए. वहीं, जनकपुर के मानस मंदाकिनी वैदेही शरण ने राम-सीता विवाह के प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी इनसान को अहंकार नहीं करना चाहिए. क्योंकि, अहंकार ही विनाश का कारण होता है. आमी के मर्मज्ञ शिवबच्चन सिंह शिवम ने गीता को ज्ञान व कर्म की पुस्तक बताते हुए कहा कि हर इनसान को सत्संग का लाभ उठा कर ईश्वर का शरणागत होना चाहिए. ऐसा करने पर ही कष्ट से मुक्ति संभव है. प्रवचन के अंतिम दिन सुरेंद्र प्रसाद, थानाध्यक्ष सतीश कुमार, सीताराम प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद, चुन्नीलाल प्रसाद, महेश स्वर्णकार, अधिवक्ता मुनीलाल सरीखे लोगों ने प्रवचन करनेवाले लोगों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. देर रात तक लोगों ने भंडारे का आनंद लिया.
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विनाश का कारण बनता है अभिमान: वैदेही
विनाश का कारण बनता है अभिमान: वैदेही …अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो सुन कर भाव-विभोर हुए श्रोता नोट: फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवारानगर पंचायत के मालगोदाम के सामने चल रहा गीता जयंती साप्ताहिक समारोह रविवार की देेर रात भक्ति व हर्षोल्लास माहौल में संपन्न हुआ. प्रवचन के अंतिम दिन कोलकाता के […]
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