मुंबई : गैर तो गैर अपनों ने ही नेहरू गांधी परिवार पर ऐसी टिप्पणी कर दी है, जिससे पूरी पार्टी शर्मसार व बचाव में मुद्रा में खड़ी हो गयी है. कांग्रेस को उसी के मुखपत्रमें कश्मीर मामले पर जवाहरलाल नेहरू की नीति की आलोचना कियेजाने और सोनिया गांधी के पिता एक ‘‘फासीवादी सैनिक’ करार दिये जाने से शर्मसार होना पड़ा है. पार्टी अपने स्थापना दिवस पर सामने आए इस विवाद से असहज स्थिति में आगयी है. मालूम हो कि आज कांग्रेस का 131वां स्थापना दिवस है और इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड में झंडोतोलन किया है. इस दौरान पार्टी के तमाम कद्दावर नेता भी मौजूद थे.
इस बीच दोपहर बाद खबर आयी है कि संबंधित पत्रिका ने अपने कंटेंट एडिटर सुधीर जोशी को पद से हटा दिया है.
संजय निरूपम हैं कांग्रेस दर्शन के संपादक
पार्टी के 131वें स्थापना दिवस पर इसकी मुंबई इकाई के मुखपत्र में छपे लेख में लेखक का नाम नहीं हैं.पर,यहकांग्रेस दर्शन नाम की यह पत्रिका पार्टी के तेजतर्रारनेतासंजयनिरूपम के संपादकत्वमेंछपती है. लेख में ‘‘कश्मीर, चीन और तिब्बत संबंधी मसलों’ के लिए नेहरू पर आरोप लगाए गए हैं. इसके अलावा एक अन्य लेख में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी पर विवादास्पद टिप्पणियां की गयी हैं. इसके कारण मुखपत्र के संपादक और कांग्रेस के नेता संजय निरूपम को मामले की जांच के आदेश देने पड़े और उन्होंने दावा किया कि उन्हें लेख की विषय वस्तु की कोई जानकारी नहीं थी. मीडिया को उनके शब्द थे : मैं तो इस पत्रिका का नाम मात्र का संपादक हूं, लेकिन संपादकीय टीम के जो सदस्य इसके लिए दोषी हैं उन पर कार्रवाई की जायेगी.
लेखक के नाम का उल्लेख नहीं
15 दिसंबर को देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के मकसद से इस महीने पार्टी के ‘कांग्रेस दर्शन’ के हिंदी संस्करण में प्रकाशित इन दोनों लेखों में लेखक के नाम का उल्लेख नहीं है.
लेख में कहा गया है कि नेहरू को अंतरराष्ट्रीय मामलों पर पटेल की बात सुननी चाहिए थी और यह भी कि दोनों नेताओं के बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहे.
लेख में कहा गया है, ‘‘ पटेल के उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के पद पर रहने के बावजूद दोनों नेताओं के बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहे और दोनों ने उस वक्त कई बार इस्तीफा देने की धमकियां भी दीं थी.’ लेख के मुताबिक, अगर नेहरू ने पटेल की दूरदर्शिता को ग्रहण किया होता तो अंतरराष्ट्रीय मामलों को लेकर कई समस्याएं खड़ी नहीं होती.
पटेल ने चीन पर नेहरू को किया था आगाह
लेख में 1950 में कथित तौर पर पटेल के लिखे एक पत्र का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने तिब्बत को लेकर चीन की नीति के खिलाफ नेहरू को आगाह करते हुए चीन को ‘‘एक विश्वासघाती और भविष्य में भारत का दुश्मन बताया था.’ लेख के अनुसार, ‘‘अगर वह पटेल की बात सुनते तो आज कश्मीर, चीन, तिब्बत और नेपाल की समस्याएं नहीं होतीं. पटेल ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाने के नेहरू के कदम का भी विरोध किया था और नेहरू नेपाल पर पटेल के विचारों से सहमत नहीं थे.’ कांग्रेस अध्यक्ष पर केंद्रित एक अन्य लेख में सोनिया के शुरुआती जीवन के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें सोनिया की ‘‘ एक एयरहोस्टेस बनने की इच्छा’ के बारे में बात कीगयी है और साथ ही आरोप लगाया गया है कि उनके पिता विश्व युद्ध मेंरूस से हारने वाले इतालवी बलों के सदस्य थे.
इसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘ सोनिया गांधी के पिता स्टेफनो मायनो एक पूर्व फासीवादी सैनिक थे.’
लेख में यह भी बताया गया है कि सोनिया किस प्रकार तेजी से पार्टी अध्यक्ष के पद पर पहुंची.
मात्र 62 दिन में सदस्य से अध्यक्ष बन गयीं सोनिया
लेख में कहा गया है, ‘‘ सोनिया गांधी ने 1997 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य के तौर पर पंजीकरण कराया और वह 62 दिनों में पार्टी की अध्यक्ष बन गयी’. उन्होंने सरकार गठित करने की भी असफल कोशिश की.’ मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के प्रमुख और मुखपत्र के संपादक संजय निरूपम ने कहा कि वह पत्रिका के दिन-प्रतिदिन के क्रियाकलापों में शामिल नहीं हैं और उन्हें लेख की जानकारी नहीं थी.
निरूपम ने कहा, ‘‘मैं गलती स्वीकार करता हूं. गलती करने वाले संपादकीय विभाग के खिलाफ जांच की जाएगी. इस प्रकार की गलती दोबारा नहीं हो, हम इसके लिए कदम उठाएंगे.’ दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं सलमान खुर्शीद और राज बब्बर ने कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
खुर्शीद ने कहा, ‘‘ यदि कांग्रेस की पत्रिका के लेख में इस प्रकार का कुछ लिखा गया है तो एआईसीसी इस मामले की जांच करेगी.’ कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह स्पष्ट है कि लेखक को इतिहास की जानकारी नहीं है और उसे यह भी जानकारी नहीं है कि नेहरू किन परिस्थितियों में देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे और उन्हें गरीबी उन्मूलन जैसी किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.
कांग्रेस के शीर्ष नेता राष्ट्रीय राजधानी में एआईसीसी के मुख्यालय में स्थापना दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए थे.