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कागज पर मत्स्यपालन मल्लाहों की परेशानी बढ़ी

मंसूरचक : बलान नदियों से घिरे मंसूरचक में पानी अभिशाप के साथ-साथ वरदान भी है. जिस वर्ष वर्षा कम होती है. उस साल यहां पर मछली व्यवसाय से जुड़े 10 हजार परिवारों के बीच रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. बताया गया कि इस प्रखंड क्षेत्र में मनियान बहियार छोटी-छोटी पोखर नदी है. इन […]

मंसूरचक : बलान नदियों से घिरे मंसूरचक में पानी अभिशाप के साथ-साथ वरदान भी है. जिस वर्ष वर्षा कम होती है. उस साल यहां पर मछली व्यवसाय से जुड़े 10 हजार परिवारों के बीच रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाती है. बताया गया कि इस प्रखंड क्षेत्र में मनियान बहियार छोटी-छोटी पोखर नदी है. इन नदियों के कारण कई उप धाराएं भी है.

जहां पर मछली का पालन होता है. यहां करीब सात हजार मल्लाह जाति के लोग रहते हैं. और उन लोगों का मात्र एक व्यवसाय है मछली पालन. जिला मत्स्य पदाधिकारी के कथनानुसार मत्स्य व्यवसाय खेती से दस गुणा फायदा कारक है. बस इस व्यवसाय को आधुनिक तरीके से किया जाना चाहिए. वे कहते हैं कि खासकर बलान नदियों व पोखरों की मछलियां काफी स्वादिष्ट होते हैं. उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन को लेकर सरकार द्वारा भी कई योजनाएं संचालित की जाती है.

इन योजनाओं का फायदा किसान उठा सकते हैं. वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि विगत कुछ सालों से बारिश के कमी के कारण यहां की कई ऐसी मछलियां थी जो विलुप्त होने के कगार पर थी. लेकिन इनदिनों यह देखने को मिला रहा है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी अभय कुमार चौधरी ने कहा कि मछली पालन के लिए सरकार अनुदान भी देती है. मछुआरों को इस योजना का लाभ लेना चाहिए. राजद नेता दुलारचंद्र सहनी ने कहा कि सरकारी योजना संचिकाओं में सिमट कर रह गयी है. राजद के प्रखंंड अध्यक्ष नसीम अख्तर ने कहा कि सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण अधिकांश मछुआरे मछली पालन से मुंह मोड़ने लगे हैं.

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