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ऑक्सीजन पर स्वास्थ्य सेवाएं

ऑक्सीजन पर स्वास्थ्य सेवाएंअसुविधा. सदर प्रखंड में नीम-हकीम के सहारे तीन लाख की आबादीसृजित पदों के अनुरूप किसी भी केंद्र में नहीं हैं स्वास्थ्यकर्मी आखिरी आदमी तक सहज सेवाएं पहुंचाने का दावा हवा-हवाई अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों को अपना भवन नहीं, पांचों एपीएचसी भगवान भरोसेइंट्रो: जिले की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे हैं. यहां के प्रखंडों-पंचायतों में […]

ऑक्सीजन पर स्वास्थ्य सेवाएंअसुविधा. सदर प्रखंड में नीम-हकीम के सहारे तीन लाख की आबादीसृजित पदों के अनुरूप किसी भी केंद्र में नहीं हैं स्वास्थ्यकर्मी आखिरी आदमी तक सहज सेवाएं पहुंचाने का दावा हवा-हवाई अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों को अपना भवन नहीं, पांचों एपीएचसी भगवान भरोसेइंट्रो: जिले की स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे हैं. यहां के प्रखंडों-पंचायतों में पीचसी, एपीएचसी व हेल्थ सब सेंटर स्वास्थ्यकर्मियाें की कमी की वजह से मरीजों से भी अधिक लाचार बने हैं. अपना भवन व जरूरी संसाधनों के मोहताज स्वास्थ्य उपकेंद्रों की हालत ऐसी है कि वहां मामली बीमारी का भी ठीक से इलाज नहीं हो पाता. ऐसे में सदर प्रखंड की तीन लाख की बड़ी आबाद नीम-हकीम से अपना इलाज कराने को विवश है. यहां के पांचों एपीएचसी जैसे-तैसे चलाये जा रहे हैं. तसवीर-13 मुखिया के दरवाजे पर चल रहा है स्वास्थ्य उपकेंद्र.बेगूसराय/नीमाचांदपुरा. आम-अवाम को रोटी, कपड़ा और मकान के बाद स्वास्थ्य सेवाओं की खासी दरकार है. शासन-प्रशासन के स्तर पर समाज के आखिरी आदमी तक सहज स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का संकल्प दर्शाया जाता है. लेकिन सरकारी तंत्र की उपेक्षा के चलते प्रखंड क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं खुद ऑक्सीजन पर चल रही हैं. आलम यह है कि कई स्वास्थ्य केंद्रों को अब तक न तो अपना भवन है और न ही सृजित पदों के अनुरूप स्वास्थ्यकर्मी ही पदस्थापित किये गये हैं. नतीजा है कि बेगूसराय प्रखंड के दर्जनों गांवों की बड़ी आबादी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दर-दर भटक रहे हैं. लगातार शिकायत के बाद भी इस दिशा में साकारात्मक पहल नहीं हो पाया है. स्वास्थ्य केंद्रों को अपना भवन नहीं : सदर प्रखंड में छह-छह बेड वाले पांच अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. परंतु एक मात्र मोहनपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपना भवन उपलब्ध नहीं है. जानकारी के अनुसार भेरवार पीएचसी आयुर्वेद अस्पताल भवन,विनोदपुर का पीएचसी पुस्तकालय व हैवतपुर पीएचसी पंचायत भवन में चल रहा है. इन सभी केंद्रों पर दो डॉक्टर, फर्मासिस्ट, प्रशिक्षक, पुरू ष कक्ष सेवक, महिला कक्ष सेवक का एक-एक पद सृजित है. इतना ही नहीं इन केंद्रों पर ए ग्रेड नर्स, दो एएनएम, दो लिपिक एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के एक पद सृजित है. किसी भी केंद्रों पर सृजित पदों के अनुरू प स्वास्थ्यकर्मी तैनात नहीं है. जिसका नतीजा है कि इलाज से पहले डॉक्टर रेफर की तैयारी करने लगते हैं. यहां पर बुनियादी सुविधाओं के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं दिखती है. उपकेंद्रों का कोई ठौर-ठिकाना ही नहीं है. वर्षों से मुखिया के दलान पर चलता है स्वास्थ्य उपकेंद्र : ऐसे तो अभी तक स्वास्थ्य उपकेंद्र पंचायत भवन या सामुदायिक भवन में संचालित होते देखा व सुना है. परंतु सदर प्रखंड के चिलमिल पंचायत में वर्षो से मुखिया के दलान पर उपकेंद्र संचालित किये जा रहे हैं. तुर्रा यह है कि मुखिया शंकर शर्मा के नेम प्लेट के बगल में स्वास्थ्य उपकेंद्र का बोर्ड टंगे देखकर हर कोई अंचभित रह जाते हैं. बताया जाता है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण जमीन उपलब्ध रहने के बाद भी अपना भवन नसीब नहीं हो पा रहा है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय चिलमिल के बगल में स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन निर्माण हेतू साढ़े तीन कट्ठा जमीन राज्यपाल के नाम से रजिस्टर्ड है. विभाग की लचर व्यवस्था के कारण उक्त स्वास्थ्य उपेंद्र पर दवाओं सहित कई बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है. चिलमिल गांव की आबादी लगभग आठ हजार बताया जाता है. इन लोगों की स्वास्थ्य सेवा यही उपेंद्र के जिम्मे है. स्वास्थ्य उपकेंद्र की स्थापना वर्ष 1980 में हुई थी. तब से आज की तारीख में भी शंकर शर्मा के दलान पर ही उपकेंद्र चल रहा है. नीम-हकीम के सहारे मरीजों की जिंदगी : जानकारों की माने तो प्रखंड में कई ऐसे पंचायत हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सेवा के नाम पर कोई चीज नहीं है. वजह है कि यहां के मरीजों की जिंदगी झोलाछाप यानि ग्रामीण चिकित्सकों के सहारे है. सदर, डंडारी और नावकोठी की सीमा पर अवस्थित नीमा पंचायत में कहने को स्वस्थ्य उपकेंद्र है पर इसमें अधिकांश दिन ताले लटके रहते हैं. कुछ ऐसी ही बानगी चांदपुरा, कुसमहौत, परना, अझौर, रचियाही में देखी जा सकती है. बताया जाता है कि सप्ताह में दो ही दिन एएनएम आती है. नेताजी चांदपुरा में 100 बेड वाले अस्पताल बनवाने की घोषणा कर चुनाव जीत कर एमएलए व एमपी बन जाते हैं लेकिन आज तक इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा में सुधार नहीं होना शासन और प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है. क्या कहते हैं इलाके के लोगजिले के 25 पंचायत वाला इकलौता सदर प्रखंड है. लेकिन आज स्थिति है कि तमाम स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की दरकार है. बीमार पड़ने पर नीम-हकीम का ही सहारा लेकर लोग अपनी जान बचा पाते हैं. विभागीय पदाधिकारियों की उदासीनता के चलते यहां स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे है.शंकर शर्मा, मुखियाचिलमिल पंचायतस्वास्थ्य की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गांव में अस्पताल खोलवाने का झूठे आश्वासन देने वाले नेताओं और पदाधिकारियों का बहिष्कार करने की जरू रत है.सरकार का स्वास्थ्य के क्षेत्र में दाबा खोखला साबित हो रहा है. विशुनदेव पासवान, समाजसेवी,नीमाजब स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के अध्यक्ष के ही पंचायत में स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रहा है तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य जगहों पर क्या बानगी होगी. इसके लिए सिर्फ जनप्रतिनिधि ही नहीं वरन विभागीय हाकिम ही जिम्मेवार हैं. निर्मला देवी, मुखियाचांदपुरा पंचायतक्या कहते हैं अधिकारी तमाम अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों पर सीमित संसाधनों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. स्वास्थ्यकर्मियों की बहाली नहीं होने के कारण कुछ पद रिक्त हैं. भवनहीन पीएचसी व उपकेंद्र के बारे में जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है. डॉ हरिनारायण सिंह, सिविल सर्जनबेगूसराय सदर प्रखंड एक नजर में- आबादी-3 लाखकुल पंचायत-25जनसंख्या घनत्व- 1222 प्रति किमीजन्म दर- 29.11 प्रतिशत साक्षरता दर-47.53 प्रतिशत

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