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रेल इंजन कारखाना के निर्माण में फिर फंसा पेच
मधेपुरा : मधेपुरा में विद्युत रेल इंजन कारखाना के निर्माण में एक बार फिर से पेच फंस गया है. ग्रीन फिल्ड विद्युत रेल इंजन कारखाना को लेकर शुक्रवार को भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पर किसानों ने बैठक कर पुन: रोक लगा दी है. एक बार फिर किसान अपनी मांगों पर अड़ गये हैं. एक तरफ […]
मधेपुरा : मधेपुरा में विद्युत रेल इंजन कारखाना के निर्माण में एक बार फिर से पेच फंस गया है. ग्रीन फिल्ड विद्युत रेल इंजन कारखाना को लेकर शुक्रवार को भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पर किसानों ने बैठक कर पुन: रोक लगा दी है. एक बार फिर किसान अपनी मांगों पर अड़ गये हैं.
एक तरफ जिला प्रशासन रास्ता साफ होने की बात कह रही है. वहीं दूसरी तरफ शुक्रवार को तुनियाही उत्तर बाड़ी शिव मंदिर परिसर में प्रभावित किसानों ने आपात बैठक बुला कर जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया. इसमें किसानों ने कहा कि जब तक सभी मांगों के संबंध में आर्बिट्रेटर कोर्ट का निर्णय नहीं हो जाता, तब तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं होने देंगे.
कहां फंसा पेच
मधेपुरा में ग्रीन फील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्ट्री को लेकर भूमि अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया था. लेकिन किसान जमीन की मुआवजा के लिए भूस्वामी के आश्रितों को नौकरी की मांग कर रहे है.
हालांकि किसानों की एक मांग मान ली गयी है. जिसमें कहा गया है किसानों को वर्तमान बाजार दर से चार गुणा मुआवजे की राशि दी जायेगी. इस संबंध में बुधवार को जिलाधिकारी मो सोहैल ने बताया कि अधिग्रहित की जाने वाली जमीन कुल सात मौजे में स्थिति है. इन मौजे के भूस्वामियों ने भूमि अधिग्रहण को लेकर सहमति प्रदान कर दी है. कुछ भूस्वामी इस प्रक्रिया में अड़ंगा डालने का प्रयास कर रहे है. जिन्हें चिन्हित कर विधि सम्मत कार्रवाई की जायेगी.
गतिरोध जारी
किसान ने जैसे ही अपनी सहमति जिला प्रशासन को दी, रेल इंजन कारखाना को लेकर विगत कई महीनों से चल रहे गतिरोध पर विराम लग गया था. लेकिन किसानों ने बैठक कर कहा कि जिला पदाधिकारी का बयान भ्रामक है.
इससे पहले जमीन के एवज में भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 के अनुसार बाजार दर के अनुसार चौगुनी कीमत मांग मान ली गयी. भूस्वामियों को अब प्रति एकड़ करीब 36 लाख रुपय का भुगतान किया जायेगा.
विरोध से उत्पन्न हुई समस्या
मधेपुरा में रेल इंजन कारखाना को लेकर टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गयी है. लेकिन किसानों के विरोध से निर्माण की दिशा में समस्या उत्पन्न कर दिया है. किसानों के विरोध पर पूर्व में रेल विभाग ने किसानों के इस दर पर अपनी सहमति नहीं दी थी. पहले कोसी प्रमंडलीय आयुक्त सह आर्बिट्रेटर टी एन विंध्वेश्वरी ने किसानों से वार्ता कर मामले को सुलझाने की कोशिश भी की.
लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े रहे. इसके बाद कोसी प्रमंडलीय आयुक्त सह आर्बिट्रेटर टीएन विंधेश्वरी ने किसानों से बातचीत कर 18 दिसंबर को मुआवजा के बारे में निर्णय लेने की बात कही थी. 18 दिसंबर को किसानों से मिली आपत्तियों के बाद रेल विभाग के अधिकारियों को आर्बिट्रेटर ने दो दिन का समय दिया था. इसके बाद सोमवार को आर्बिट्रेटर ने किसानों के पक्ष में निर्णय लिया था.
पदाधिकारियों को झेलना पड़ रहा है किसानों का आक्रोश
पूर्व में कई बार पदाधिकारियों को किसानों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा था. इस तरह की घटना के बाद ग्रीन फील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्ट्री भूमि अधिग्रहण के मामले में भी विराम लग गया था.
लेकिन सोमवार को अधिग्रहण की दिशा में आयुक्त ने स्पष्ट किया की अब रास्ता साफ हो गया है, भूस्वामी चार गुणा मुआवजा पर मान गये है. हालांकि कुछ भूस्वामी ने कहा कि अब तक लिखित रूप में यह नहीं दिया गया है कि उनकी कौन सी मांग स्वीकार की गयी है और कौन सी अस्वीकृत.
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