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मशीन की खराबी से भूसे से बिजली का उत्पादन बाधित

एकंगरसराय : दूसरों की जिंदगी में रोशनी देने वाले प्रखंड के दनियावां पेंदापुर पैक्स में लगे बायोमास (गैंसीफायर) अपने ही जिंदगी को अंधेरे में डूबा कर अपनी फटेहाल जिंदगी पर आंसू बहा रहा है. धान के भूसा से बिजली उत्पादन करने वाले 63 केवीए बायोमास गैंसीफायर कुछ वर्ष पूर्व प्रखंड के दनियावां पेंदापुर पैक्स के […]

एकंगरसराय : दूसरों की जिंदगी में रोशनी देने वाले प्रखंड के दनियावां पेंदापुर पैक्स में लगे बायोमास (गैंसीफायर) अपने ही जिंदगी को अंधेरे में डूबा कर अपनी फटेहाल जिंदगी पर आंसू बहा रहा है. धान के भूसा से बिजली उत्पादन करने वाले 63 केवीए बायोमास गैंसीफायर कुछ वर्ष पूर्व प्रखंड के दनियावां पेंदापुर पैक्स के अंतर्गत महम्मदपुर गांव में लगाया गया था और इस बायोमास गैंसीफायद से महम्मदपुर,बरसियावां,रसलपुर,आकाशपुर एवं निर्मल बिगहा गांवों में बिजली की रोशनी पहुंचायी गयी थी.

बायोमास से 63 केवीए बिजली का उत्पादन कर करीब पांच सौ घरों को कनेक्शन देकर लोगों को रोशनी दिया गया था. दो माह तक बिजली उत्पादन कर लोगों के घरों में उजाला किया गया. उसके कई महीनों से मशीन की खराबी के कारण बिजली उत्पादन बंद है और मशीनों में जंग लग रही है. जहां के लोग लालटेन युग में अपनी जिंदगी गुजार रहे थे, वहां बिजली की रोशनी पहुंचते ही लोगों की जिंदगी में खुशी की बहार छा गयी थी. गांव चकाचक रोशनी से गुलजार हो उठा था,

लेकिन फिर दो महीने के बाद गांव के लोग अंधेरे में ही डूब गये. बायोमास गैंसीफायर की लागत 22 लाख रुपये की है. यह आइसीडीपी योजना के तहत पैक्स में लगाया गया था. 63 केवीए बिजली उत्पादन करने में प्रतिदिन लगभग दो हजार रुपये लागत खर्च आती थी. प्रति घंटा 22-25 किलो धान का भूंसा खपत होता था. आइसीडीपी योजना के तहत रिपल इनर्जी कंपनी पटना द्वारा इस मशीन को लगाया गया था, जिसमें 9 लाख 20 हजार रुपये पैक्स को देना था.

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