ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्लू) की एक रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया की सेना ने कम से कम 300 शिया मुस्लिमों की हत्या कर उनके शवों को दफना दिया.
संस्था का कहना है कि नाइजीरिया के उत्तरी शहर ज़रिया में हुए हमले के दौरान यह घटना हुई. उन्होंने ये भी कहा कि परिवार वालों की आज्ञा के बिना सेना ने यह क़दम उठाया.
इस ख़बर के बाद दुनियाभर के शिया मुस्लमानों ने इसका विरोध किया और ईरान ने उनकी सुरक्षा की अपील की है.
हालांकि नाइजीरिया की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल राबे अबुबकर ने बीबीसी को बताया कि सेना ने किसी की भी हत्या नहीं की है.
वहीं एचआरडब्लू ने सेना के कथन को ग़लत ठहराया और कहा कि उनका बयान संस्था की जांच से मेल नहीं खाते.
साथ ही उन्होंने इस मामले में स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग उठाई.
संस्था के अनुसार मारे गए लोगों की सटीक संख्या बता पाना मुश्किल है. लेकिन वो अस्पताल, सूत्रों और प्रत्यक्षदर्शियों से आंकड़ें जुटाने में लगे हुए हैं.
एचआरडब्लू अफ्रीका के निदेशक डेनियल बेकल कहते हैं, "ये एक क्रूर अनावश्यक प्रतिक्रिया थी या फिर इसे शिया समुदाय पर एक सोचा-समझा हमला भी कह सकते हैं."
दूसरी तरफ शिया समुदाय ने इस मामले की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित समिति को ख़ारिज कर दिया है.
उन्होंने आशंका जताई है कि यह समिति सेना के हक में ही फैसला देगी.
सेना ने कहा है कि शिया समुदाय सेना प्रमुख जनरल टुकुर बुराताई की हत्या करना चाहते हैं.
उन्होंने कुछ तस्वीरें भी जारी की हैं जिसमें समुदाय के कुछ लोग हाथों में डंडे लिए हुए हैं और सेना पर पत्थर फेंक रहे हैं. हालांकि समुदाय ने इन आरोपों को नकार दिया है.
वहीं एचआरडब्लू का भी कहना है कि ऐसा कोई पुख़्ता सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि कोई सैनिक हमलों में घायल हुआ हो या मारा गया हो.
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