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लाखों खर्च के बाद भी अस्पताल में गंदगी

लाखों खर्च के बाद भी अस्पताल में गंदगी डीएम की फटकार का नहीं हुआ असरसंवेदक से छह बार मांगा गया है स्पष्टीकरणफोटो न. 20संवाददाता, भोरे भोरे का रेफरल अस्पताल मर्ज ठीक करने के बजाय लोगों का मर्ज बढ़ा रहा है. अस्पताल परिसर में लाखों खर्च के बाद भी गंदगी दूर नहीं हो रही है. आलम […]

लाखों खर्च के बाद भी अस्पताल में गंदगी डीएम की फटकार का नहीं हुआ असरसंवेदक से छह बार मांगा गया है स्पष्टीकरणफोटो न. 20संवाददाता, भोरे भोरे का रेफरल अस्पताल मर्ज ठीक करने के बजाय लोगों का मर्ज बढ़ा रहा है. अस्पताल परिसर में लाखों खर्च के बाद भी गंदगी दूर नहीं हो रही है. आलम यह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संवेदक से कार्य में कोताही बरतने को लेकर छह बार स्पष्टीकरण की मांग की गयी है. खुद अस्पताल के प्रभारी भी इस बात को मानते हैं कि अस्पताल के सफाईकर्मी गायब रहते हैं, जिसके कारण अस्पताल की यह दशा है. आप हैरत में पड़ जायेंगे, भोरे के रेफरल अस्पताल की सफाई के नाम पर प्रतिवर्ष लगभग 1.60 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन उसके बावजूद स्वास्थ्य प्रबंधक को अस्पताल परिसर में पोछा लगाना पड़ रहा है. हैरानी की बात यह है कि सफाई का बिल भी स्वास्थ्य प्रबंधक एवं प्रभारी की कलम से पास किया जाता है. ऐसे में सवाल यह भी है कि आखिर ऐसी कौन- सी मजबूरी है कि सफाईकर्मी और संवेदक की मनमानी के सामने प्रबंधक मजबूर है. यहां बताना आवश्यक है कि अस्पताल परिसर पहले से ही पशुओं का आरामगाह रहा है. अस्पताल में डीएम की जांच के क्रम यह पाया गया था कि ओटी में कुत्ते सो रहे थे. इसको लेकर डीएम ने फटकार लगायी थी. भोरे रेफरल अस्पताल न सिर्फ कुत्तों बल्कि गदहों के लिए भी क्षुधा तृप्ति का स्थान है. इस संबंध में भोरे रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बताते हैं कि अस्पताल परिसर में सफाई के नाम पर खेल हो रहा है. संवेदक ने अस्पताल में 24 घंटे सफाईकर्मी को रहने के लिए परिसर के अंदर क्वार्टर ले रखा है, लेकिन पूरे दिन ढूंढ़ने पर भी सफाईकर्मी के दर्शन नहीं होते.

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