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कुष्ठ रोग विभाग : रेफर हो रहे गंभीर मरीज

भागलपुर : कहने को तो सदर अस्पताल स्थित कुष्ठ रोग विभाग जिले में कुष्ठ रोगियों के बेहतर इलाज और कुष्ठ रोग की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके उलट है. कुष्ठ रोगियों के लिए जिले में शल्य क्रिया केन्द्र की सुविधा नहीं हैं और न ही कुष्ठ रोगियों को भरती […]

भागलपुर : कहने को तो सदर अस्पताल स्थित कुष्ठ रोग विभाग जिले में कुष्ठ रोगियों के बेहतर इलाज और कुष्ठ रोग की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके उलट है. कुष्ठ रोगियों के लिए जिले में शल्य क्रिया केन्द्र की सुविधा नहीं हैं और न ही कुष्ठ रोगियों को भरती कर इलाज कराने के लिए कोई वार्ड ही है. पदाधिकारियों की मानें, तो कम संक्रमित कुष्ठ रोगियों का इलाज तो जिले में होता है, लेकिन गंभीर रूप से संक्रमित कुष्ठ रोगियों को पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा आदि केंद्रों पर रेफर कर दिया जाता है. गौरतलब है कि नवंबर में जिले के विभिन्न पीएचसी में कम संक्रमित 21 कुष्ठ रोगी और गंभीर रूप से संक्रमित सात मरीज इलाज कराने पहुंचे.
यदा-कदा ही जिला मुख्यालय में आते हैं कुष्ठ रोगी : जिला कुष्ठ विभाग में दर्जन भर पदाधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं. सरकार इन पर लाखों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन कुष्ठ रोगी यदा-कदा जब आते हैं, तो कागजी कार्रवाई करके उनको दूसरी जगहों पर रेफर कर दिया जाता है. शल्य क्रिया केंद्र नहीं रहने से कुष्ठ रोगियों के इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है.
वर्तमान में कार्यालय में एक पदाधिकारी के अलावा चार कर्मचारी, चार चापरासी, एक टेक्निशियन, दो फिजियोथेरेपिस्ट पदस्थापित हैं. बता दें कि कुष्ठ रोग विभाग के अधीन 20 बेड का पेंटी वार्ड हॉस्पिटल था, लेकिन 2010 में पेंटी वार्ड को बंद कर दिया गया है.
कहलगांव व शाहकुंड में सबसे ज्यादा कुष्ठ रोगी
रिपोर्ट के मुताबिक जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या 272 हैं. 16 पीएचसी में से कहलगांव और शाहकुंड प्रखंड में कुष्ठ के सबसे ज्यादा मरीज हैं. कहलगांव में 44 और शाहकुंड में 25 कुष्ठ मरीज हैं. मालूम हो कि सरकार का लक्ष्य है कि प्रत्येक 10 हजार की आबादी पर कुष्ठ रोगी की संख्या एक या एक से कम करना है. इस मानक पर कहलगांव, सन्हौला, जगदीशपुर, बिहपुर प्रखंड में ज्यादा कुष्ठ रोगी हैं. जिले में सभी 16 पीएचसी में एक-एक अचिकित्सा सहायक कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन इस्माइलपुर पीएचसी में यह पद खाली पड़ा है.
कुष्ठ रोगियों के लिए जिले में जब से शल्य क्रिया सेंटर बंद हो गया है, तब से गंभीर रोगियों का इलाज नहीं हो रहा है. अब कुष्ठ रोगियों को घर पर ही दवा भेजी जाती है. वैसे सरकार ने जिले में कुष्ठ रोगियों के लिए शल्य क्रिया केंद्र खाेलने की घोषणा 2012 में की है. शल्य क्रिया केंद्र बन जाने के बाद स्थिति बेहतर हो जायेगी.
भोगेंद्र प्रसाद सिंह, इंचार्ज

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