पूर्व क्रिकेटर और भाजपा सांसद कीर्ति आज़ाद ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर डीडीसीए के घोटालों का पर्दाफ़ाश करने का दावा किया है.
उन्होंने रविवार को मीडिया के सामने रखे एक वीडियो के ज़रिए बताया कि डीडीसीए ने 14 ऐसी कंपनियों को लाखों रुपए का भुगतान किया, जिनका पता और जानकारी अधूरी थी या ग़लत.
उन्होंने अपने वीडियो में बताया कि विकीलीक्स फ़ॉर इंडिया और सन स्टार अख़बार ने अपनी तहक़ीक़ात में एक प्रिंटर का किराया 3000 रुपए प्रतिदिन और लैपटॉप का किराया 16000 रुपए प्रतिदिन बताया है. इस पड़ताल का नाम उन्होंने ‘ऑपरेशन डीडीसीए’ दिया है.
कीर्ति आज़ाद ने पत्रकारों के सामने चुटकी लेते हुए कहा, ”अगर किसी को भ्रष्टाचार में पीएचडी लेना है तो वो डीडीसीए जा सकता है.”
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उनके साथ भारतीय टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी भी मौजूद रहे.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस से ठीक पहले भाजपा सांसद कीर्ति आज़ाद पर उन्हीं की पार्टी ने हमला बोला था और कहा था कि शायद वह सोनिया गांधी से मिल गए हैं. जिसके जवाब में कीर्ति आज़ाद ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने ऐसा कहा है वह यह जान लें कि उनके पिता तो काफ़ी समय से कांग्रेस से जुड़े हुए थे. इसके अलावा उन्होंने इशारा किया कि उन पर आरोप लगाने वालों के संबंध भी तो विरोधियों से अच्छे हैं.
दिल्ली के पूर्व कप्तान और साल 1983 में विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे कीर्ति आज़ाद ने पिछले कुछ वर्षों से डीडीसीए के ख़िलाफ़ अपना अभियान चला रखा है. उनके अनुसार डीडीसीए या कहें कि फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम के पुनर्निर्माण में गंभीर वित्तीय गड़बड़ियां हुई हैं.
उनका सबसे बड़ा विरोध इसे लेकर है कि उन्होंने समय रहते लगातार इसकी जानकारी तत्कालीन अध्यक्ष रहे अरुण जेटली को दी, पर उन्होंने इस पर कान नहीं दिया.
यहां तक कि कीर्ति आज़ाद ने कई बार फ़िरोज़शाह कोटला के बाहर धरना तक दिया और उनका साथ देने वालों में भारत और दिल्ली टीम के पूर्व कप्तान रहे बिशन सिंह बेदी, मदन लाल, मनिंदर सिंह और दूसरे खिलाड़ी भी शामिल रहे. मीडिया में भी यह मामला लगातार छाया रहा.
दरअसल साल 1996 में भारत में हुए विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट के बाद से ही पुनर्निर्माण के नाम पर फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में तोड़फोड़ चलती रही. आईपीएल के शुरू होने के बाद फ़िरोज़शाह कोटला के निर्माण में और भी तेज़ी आई. और इसके बाद ही कीर्ति आज़ाद का विरोध और मुखर हुआ.
उनके अनुसार निर्माण करने वाली कंपनियों को एक से ज़्यादा बार भुगतान किया गया. उनके मुताबिक़ यहां तक कि एक ही पते और एक ही फ़ोन नंबर वाली कई कंपनियां थीं, जिनसे डीडीसीए के पदाधिकारियों के निजी संबंध भी ज़ाहिर हुए.
इसके अलावा उन्होंने जब प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने का फ़ैसला किया तो उससे पहले यह दावा भी किया कि इन कंपनियों के पास पैन कार्ड जैसी बुनियादी चीज़ें तक नहीं थीं.
उनका इल्ज़ाम यह भी है कि खिलाड़ियों के चयन में पैसों का लेनदेन किया जाता है. इसके अलावा डीडीसीए की बार में दो अक्टूबर के दिन शराब परोसी गई. जो ग़ैरक़ानूनी था. बाद में इस बार को बंद कर दिया गया था.
कीर्ति आज़ाद जिन दिनों डीडीसीए के ख़िलाफ़ आरोपों की झड़ी लगा रहे थे उसके बाद डीडीसीए ने एक समिति भी बनाई थी, जो डीडीसीए में चल रहे कामकाजों को देख रही थी. उसमें ख़ुद कीर्ति आज़ाद भी शामिल थे लेकिन बाद में यह कमेटी भंग कर दी गई थी.
कीर्ति आज़ाद और उनसे जुड़े पूर्व क्रिकेटरों ने आरोप लगाया था कि उन्हें डीडीसीए के पदाधिकारी काम करना तो दूर स्टेडियम में भी घुसने नहीं दे रहे हैं. उन दिनों यह मामला भी बेहद गर्माया था.
कीर्ति आज़ाद की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले कुछ पूर्व क्रिकेटर भी अरुण जेटली के समर्थन में आ गए हैं. पूर्व टेस्ट खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग और दिल्ली के कप्तान गौतम गंभीर ने अरुण जेटली के समर्थन में एक के बाद एक कई ट्वीट किए.
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