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कला केंद्र का उठा दर्द, शहर की भी छलकी पीड़ा

कला केंद्र का उठा दर्द, शहर की भी छलकी पीड़ा-देश के विभिन्न प्रांतों से आये रंगकर्मी व बुद्धिजीवियों ने बयां की प्रतिक्रियाफोटो नंबर : संवाददाता, भागलपुरसांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे भागलपुर की ओर देश के विभिन्न हिस्से के कलाकार खींचे तो चले आते हैं, लेकिन उन्हें यहां आकर अव्यवस्था से खिन्न होना पड़ता है. खासकर […]

कला केंद्र का उठा दर्द, शहर की भी छलकी पीड़ा-देश के विभिन्न प्रांतों से आये रंगकर्मी व बुद्धिजीवियों ने बयां की प्रतिक्रियाफोटो नंबर : संवाददाता, भागलपुरसांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहे भागलपुर की ओर देश के विभिन्न हिस्से के कलाकार खींचे तो चले आते हैं, लेकिन उन्हें यहां आकर अव्यवस्था से खिन्न होना पड़ता है. खासकर चार वर्षों से कलाकेंद्र में लगातार हो रहे रंग महोत्सव के दौरान आये रंगकर्मियों को कला केंद्र व आसपास की व्यवस्था को देख कर दर्द हो रहा है. इतना ही नहीं रंग जुलूस के दौरान सड़कों पर बिखरे कचरे और कदम-कदम पर जाम की परेशानी भी झेलनी पड़ती है.लोग अच्छे, आयोजन समृद्ध, लेकिन शहरी व्यवस्था चौपटआयोजन समिति की पहल सराहनीय है. यहां पिछले तीन वर्षों से आ रहे हैं. कला केंद्र में बार-बार यहां के मेयर की ओर से व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात की गयी, लेकिन कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. कला केंद्र के आगे मवेशी बंधा रहता है. आसपास कूड़ा-कचरे बिखरे हैं. ऋषिकेश लाल, निदेशक, युवा नाट्य संगीत अकादमी, रांची कला केंद्र में न सार्वजनिक पेशाब घर है और न ही समुचित पेयजल की व्यवस्था. शहर में भी शौचालय का अभाव है. यहां पर मोबाइल ट्वायलेट ही उपयुक्त होगा. कला केंद्र को व्यवस्थित करने की जरूरत है.जयदीप सहाय, रंगकर्मी, रांचीकला केंद्र की स्थिति ज्यों का त्यों है. यह दिन प्रति दिन बदतर ही होता जा रहा है. स्थानीय कलाकारों में भी इच्छा का अभाव दिख रहा है. पहले जो व्यवस्था थी, वह भी बरबाद होती जा रही है. विमल कुमार विनोद, पर्यावरणविद्, पत्थरगामाआयोजकों का तो भरपूर सहयोग मिलता है. सरकारी व्यवस्था शहर की हो या कला केंद्र की. कला केंद्र के आसपास अव्यवस्था है. शहर में हर समय जाम लगता है. सफाई व्यवस्था भी बदतर है.थोनोजम प्रेमजीत सिंह, निदेशक, मणिपुरभागलपुर सांस्कृतिक स्थान है. अंग, बंग और कलिंग की मिली-जुली संस्कृति के रूप में प्रसिद्ध है. कला-संस्कृति जोड़ती है, तोड़ती नहीं है. स्थानीय नेताओं का प्रयास होगा, तो यहां की व्यवस्था इतनी सुदृढ़ होगी कि कोलकाता, मुंबई आदि महानगरों में भागलपुर के कला-संस्कृति की धूम रहेगी.प्रकाश पांडेय, अध्यक्ष, संदेश संस्था पटनापूरे भागलपुर में ही अव्यवस्था है. जहां पर लोग रह रहे हैं, वहां भी सफाई नहीं हो रही है. यह केवल रखरखाव व जागरूकता के अभाव के कारण है. कला-संस्कृति को बढ़ावा देने लिए लोगों का व्यवहार अच्छा है.डॉ राजीव सिंह, निदेशक, नवज्योति, शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश

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