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झामुमो ने झारखंड सरकार का पुतला फूंका

रामगढ़ : झारखंड मुक्ति मोरचा ने शनिवार को राज्य सरकार की तरफ से मजदूर विरोधी नीति बनाये जाने का विरोध किया . विरोध प्रकट करने के लिए झामुमो नेता व कार्यकर्ताओं ने झामुमो के जिला कार्यालय से जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू के नेतृत्व में जुलूस निकाला. जुलूस में सरकार विरोधी नारे लगाये गये. शहर के विभिन्न […]

रामगढ़ : झारखंड मुक्ति मोरचा ने शनिवार को राज्य सरकार की तरफ से मजदूर विरोधी नीति बनाये जाने का विरोध किया . विरोध प्रकट करने के लिए झामुमो नेता व कार्यकर्ताओं ने झामुमो के जिला कार्यालय से जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू के नेतृत्व में जुलूस निकाला. जुलूस में सरकार विरोधी नारे लगाये गये.

शहर के विभिन्न मार्गों से जुलूस भ्रमण करते हुए सुभाष चौक पहुंचा. वहां पर झामुमो कार्यकर्ताओं ने झारखंड सरकार का पुतला फूंका. मौके पर जिलाध्यक्ष विनोद किस्कू ने कहा कि मजदूर संसोधन विधेयक मजदूरों के हितों के खिलाफ है. झारखंड की भाजपा सरकार पूंजीपतियों व उद्योगपतियों के हित के लिए कार्य कर रही है. यह सरकार मजदूर विरोधी है. इस सरकार के विरोध में झामुमो तब तक आंदोलन करता रहेगा, जब तक मजदूर के खिलाफ बनाये जा रहे विधेयक वापस नहीं ले लिया जाता. मौक पर अनमोल सिंह, बलराम महतो, रंजीत बेसरा, भुनेश्वर महतो, महेंद्र मुंडा, अभिमन्यू सिंह, नसीम अहमद कुरैशी, गीता विश्वास, रामविलास मुंडा, खुर्शीद आलम, मूरलीधर कोठारी, बालेश्वर महतो, कुंवर महतो, मौगा बेदिया, विनोद कुमार, दिनेश महतो, लल्लू खान, किशन राम अकेला, रामकुमार मांझी, मो अब्दुल्लाह व सुदर्शन महतो समेत झामुमो के नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे.

रोमांच बढ़ाता है शिवनाला का भ्रमण

बेतला : पर्यटन स्थलों के चर्चा के क्रम में आज बातें शिवनाला स्थल की. यह भी उन पर्यटन स्थलों में है, जिसकी चर्चा बहुत कम होती है. लेकिन इसका अपना महत्व है. आसपास के लोग इसे आस्था व वीरता का स्थल मानते हैं.

रोचक कहानी जुड़ी है शिवनाला

शिवनाला पलामू किला रोड में स्थित है. पलामू किला जाने वाले लोग यहां अवश्य ठहरते हैं. हालांकि आज कल इसकी खूबसूरती में कमी आ गयी है. आसपास के घने जंगल कम हो गये हैं, एक समय था जब यहां जंगली जानवरों का जमावड़ा लगा रहता था. खासकर बाघ की यह पसंदीदा जगह थी. इस जगह के बारे में एक रोचक कहानी है. कहा जाता है कि एक समय एक चरवाहा अपने मवेशियों के साथ जंगल गया था. इसी क्रम में शिवनाला के पास बाघ ने एक मवेशी को धर-दबोचा. वह चरवाहा बहादुरी से बाघ के साथ लड़ा. दोनों के बीच काफी देर तक उठा-पटक होती रही. चरवाहा लहू-लुहान हो गया, लेकिन हार नहीं माना. उसने बाघ के जबड़े को फाड़ने का प्रयास किया, जिससे बाघ भयभीत हो गया और वहां से भाग गया.

बाघ के पंजे व आदमी के पांव का निशान वहां बन गया. लोगों के अनुसार कलांतर में वह चट्टान के रूप में परिवर्तित हो गया. आज भी पत्थर के चट्टान पर बने बाघ के पंजे व आदमी के पांव का निशान स्पष्ट दिखायी देता है. इस तरह यह स्थल वीरता का प्रतीक के रूप में जाना जाता है. यहां का दृश्य काफी सुहावना है. शिवनाला एक नाला है, जिसमें पानी बहता रहता है. आसपास के जंगल में हाथियों का झुंड कभी-कभार दिखायी देता है. इसी रास्ते से आसपास के गांवों में हाथियों का झुंड पहुंच जाते हैं. बेतला आने वाले सैलानी जब पलामू किला जाते हैं, तो यहां जरूर रुकते हैं.

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