पतला होने के लिए खाना? जी हाँ, वजन कम करने के लिए जरुरी नहीं कि खाना बंद करना पड़े. ताज़ा शोध के अनुसार, वजन कम करना है तो हेल्दी खाएं और वजन घटायें. आइए जाने कैसे?
वजन कम करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन अगर आप वजन कम करने के लिए खाना छोड़ रहे हैं तो यह सबसे बड़ी भूल है, इससे वजन कम होने की बजाय बढ़ने लगेगा. इसलिए अच्छा होगा कि आप खाते हुए ही वजन कम करें.
अमेरिका की ओहियो स्टेट विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, वजन कम करने लिए खाना छोड़ने से मोटापा बढ़ने लगता है. बेहतर होगा यदि हर डेढ़ घंटे में एक-एक मील लिया जाए और वजन कम किया जाए.
दरअसल, अक्सर लोग एक या दो बार खाते हैं और उसी दौरान पेट भर के खा लेते हैं और अपने काम में या बैठ जाते हैं. जिससे फैट बढ़ता है. तेज़ी से खाने और एक साथ ढ़ेरो खाने से खाना शरीर को नही लग पाता. इससे मेटाबोलिज्म भी कमजोर होता है. जो मोटा होने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.
इसके प्रमुख शोधकर्ता मार्था बेलुरी के अनुसार, ‘यह इस धारणा का समर्थन कर सकता है कि पूरे दिन में कम-कम खाना वजन कम करने में मददगार हो सकता है, हालांकि यह बात बहुत से लोगों को व्यावहारिक नहीं लगती.‘
बेलुरी ने यह भी बताया, ‘लेकिन नियमित तौर पर कैलोरी बचाने के लिए आपको खाना नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि यह आपके शरीर को इंसुलिन और ग्लूकोज के बड़े उतार-चढ़ाव के लिए तैयार करता है और इससे वजन घटने की जगह, वसा एकत्र हो सकती है.‘ जिसकी जगह कम खाएं, एक बार में न खा कर कई बार खाएं और वजन घटायें.
इस रिसर्च के लिए परिक्षण के लिए चूहों को एक टाइम के खाने में पूरा खाना दिया गया और बाकी दिन भूखा रखा गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि इससे चूहों के यकृत में इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी प्रतिक्रिया पैदा हुई. लीवर जब इंसुलिन संकेतों की प्रतिक्रिया नहीं देता, जिससे ग्लूकोज निर्माण बंद हो जाता है. ऐसे में रक्त में मौजूद अतिरिक्त शर्करा, वसा के रूप में एकत्र होने लगती है.
इसके अलावा यह भी ज्ञात हुआ कि सीमित आहार पाने वाले चूहों के शरीर के पेट वाला हिस्सा, सामान्य आहार लेने वाले चूहों की अपेक्षा अधिक चर्बीयुक्त हो गया था. इस तरह की वसा, इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी होती है और टाइप-2 डायबिटीज और दिल की बीमारियों के लिए खतरा होती है.
यानी एक बार में अधिक खा लेना न सिर्फ मोटापा बल्कि अन्य गंभीर बिमारियों के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है.
यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ ओबेसिटी सप्लीमेंट्स में प्रकाशित हुआ था.