जलपाईगुड़ी: डंकन्स ग्रुप के बागराकोट चाय बागान में वाम मोरचा सरकार में मंत्री रहे स्वर्गीय कमल गुहा और वर्तमान में उनके पुत्र व तृणमूल कांग्रेस के नेता उदयन गुहा के रिश्तेदार भी इन दिनों आधा पेट खाना खाकर किसी तरह से अपना गुजारा कर रहे हैं. कभी बंद चाय बागानों के श्रमिकों के हित में कमल गुहा उनके साथ खड़े थे. आज पूर्व कृषि मंत्री के रिश्तेदार डुवार्स के बंद पड़े बागराकोट चाय बागान में श्रमिकों की जिंदगी जी रहे हैं और िकसी तरह अपना पेट भर कर गुजारा कर रहे हैं.
कमल गुहा के पुत्र व हाल ही में फॉरवर्ड ब्लॉक छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होनेवाले दिनहाटा के विधायक उदयन गुहा के रिश्तेदार प्रदीप दत्त और उनकी मां उमा दत्त बागराकोट चाय बागान में रहते हैं.
प्रदीप दत्त इस चाय बागान के फैक्टरी में कर्मचारी हैं. कमल गुहा उमा दत्त के चाचा थे, इसलिए उदयन गुहा भी इन दोनों के रिश्तेदार हुए. आरोप है कि पहले कमल गुहा और अब उदयन गुहा ने कभी भी इन दोनों की सुध नहीं ली. इस बीच, डुवार्स में डंकन ग्रुप के बागराकोट चाय बागान की स्थिति पिछले एक साल से काफी खराब हो गयी है. आरोप है कि इस चाय बागान के कई श्रमिक भूख व बीमारी की वजह से मारे जा चुके हैं. कई लोग तो अब तक बागान छोड़कर चले भी गये हैं. प्रदीप दत्त पिछले 34 सालों से बहुत कम तनख्वाह पर इस चाय बागान में काम कर रहे हैं. उनके पिता पृथ्वीस दत्त पहले सामसिंग चाय बागान में काम करते थे. बाद में उनका तबादला बागराकोट चाय बागान में हो गया. उनकी मौत हो गयी है, लेकिन उनकी पत्नी उमा दत्त पिछले 50 साल से इसी चाय बागान में रह रही हैं. वह हृदय रोग से पीड़ित हैं और उनकी नजरें भी काफी कमजोर हो गयी हैं. इसके अलावा वह और भी कई अन्य बीमारी से पीड़ित हैं. वह दवा के सहारे ही िजंदा बची हुई हैं. उनका कहना है कि हिमाचल प्रदेश में रहनेवाली उनकी एक बेटी नमिता दत्त उन्हें हर महीने तीन हजार रुपये भेजती है. दवाइयों की खरीद में ही यह पैसा खत्म हो जाता है.
चाय बागान बंद होने से बेटे के पास कोई रोजगार नहीं है. वे बड़ी मुश्किल से दो वक्त का भोजन जुट पा रहा है. वह अपने रिश्तेदारों कमल गुहा और उदयन गुहा का नाम तक नहीं लेना चाहतीं. उनका कहना है कि दोनों से मदद की गुजारिश की गयी थी, लेकिन उन्होंने कभी भी उनकी मदद नहीं की. उनका कहना है कि उनका पुत्र कुछ दिन पहले ही घर छोड़कर अपने ससुराल चला गया है. लेकिन वह इसी चाय बागान में रहेंगी. अपना क्वार्टर छोड़कर कहीं नहीं जायेंगी. बागराकोट चाय बागान में सुबह और शाम दो वक्त पानी की आपूर्ति की जाती है. बिजली की आपूर्ति प्रतिदिन सिर्फ दो घंटे के लिए की जाती है.
शाम को छह से आठ बजे तक बिजली दी जाती है. इस चाय बागान में मैनेजर नहीं है. छह दिन काम करने पर 600 रुपये दिये जाते हैं. प्रदीप दत्त का कहना है कि वह महीने में 2400 से तीन हजार रुपये कमाते हैं. इसमें मां की चिकित्सा के साथ ही पत्नी की चिकित्सा व खाने-पीने का इंतजाम करना पड़ता है. पैसे की तंगी की वजह से उन्होंने अपनी पत्नी तथा बेटी को ससुराल भेज िदया है. उन्होंने भी कहा कि उन्होंने कभी भी कमल गुहा या उदयन गुहा के नाम पर स्थानीय किसी नेता से मदद नहीं मांगी. वह बात के लिए भी आश्चर्यचकित हैं कि चाय बागान की स्थिति इतनी खराब होने के बाद भी इसको सुधारने की कोई कोशिश नहीं की गयी. श्री दत्त ने कहा कि 16 महीने का बकाया, 65 दिन का राशन और तीन वर्ष के बढ़े हुए वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. अभी चाय पत्ता तोड़ने का समय भी नहीं है. ऐसी परिस्थिति में वह एक-एक रुपये के लिए मोहताज हो गये हैं. आगे अपना दिन कैसे गुजारेंगे, कुछ भी समझ नहीं पा रहे हैं.
उदयन गुहा की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर जब उदयन गुहा से फोन पर बातचीत की गयी, तो उन्होंने कहा कि वह अभी कोलकाता में हैं. उमा दत्त उनकी रिश्तेदार हैं. कोलकाता से उत्तर बंगाल लौटने के बाद वह इस मामले को देखेंगे.
चाय उद्योग गहरे संकट में : चाय बोर्ड के पूर्व प्रमुख
कोलकाता. चाय बोर्ड के अध्यक्ष एमजीवीके भानू ने शुक्रवार को कहा कि देश का चाय उद्योग गहरे संकट में है और गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रयास किये जाने चाहिये. भानू असम के मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव भी हैं. उन्होंने कहा : मैं चाय उद्योग की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित हूं. मुझे अगले चार अथवा पांच वर्षो के लिए कोई समाधान दृष्टिगत नहीं होता है. वह भारतीय चाय संघ की वार्षिक आम बैठक में बोल रहे थे. श्री भानू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चाय की कीमतें कम हैं, जिसका कारण उत्पाद की खराब गुणवत्ता का होना है. उन्होंने कहा कि जब तक गुणवत्ता को नहीं ठीक किया जाता, लोग किसी अन्य पेय का रख कर लेंगे.