देश में ऐसे भी अस्पताल हैं जहां कम से कम पैसे में लोगों का इलाज हो रहा है. ऐसा ही एक अस्पताल है कोलकाता का आनंद लोक अस्पताल. झारखंड में जहां मोतियाबिंद का सामान्य ऑपरेशन भी 30-40 हजार में होता है, वही मोतियाबिंद का ऑपरेशन आनंद लोक में पांच हजार से नौ हजार के बीच होता है. सिर्फ मोतियाबिंद ही क्यों, बाइपास सजर्री के लिए झारखंड के बड़े निजी अस्पतालों में 1.05 लाख से लेकर 1.35 लाख तक लिये जाते हैं. आइसीयू, बेड का चार्ज लेकर यह राशि दो लाख तक पहुंच जाती है जबकि आनंद लोक में यही इलाज 85 हजार में होता है.
झारखंड के अस्पतालों में आइसीयू का चार्ज लगभग तीन हजार प्रतिदिन है जबकि आनंद लोक में यह चार्ज सिर्फ 75 रुपये प्रतिदिन है. ऐसी बात नहीं है कि इतने कम में इलाज करने के कारण अ़ानंद लोक अस्पताल को घाटा होता है.
मेडिकल क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि अगर आनंद लोक अस्पताल को झारखंड लाने में सरकार सफल रहती है तो मरीजों का सस्ती दर पर बेहतर इलाज हो सकता है. वैसे भी रांची में 180 करोड़ की लागत से सदर अस्तपाल का बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तो बन गया लेकिन तीन साल से बेकार पड़ा है. अगर सदर अस्पताल को सरकार खुद चलाना चाहती है, उसके बावजूद अन्यत्र जमीन देकर आनंद लोक जैसे अस्पताल (जो ट्रस्ट के जरिये चलता है) को झारखंड लाने का प्रयास किया जा सकता है. यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गरीबों के लिए झारखंड में सिर्फ रिम्स ही है. एम्स पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है.