सर्दियाँ आते ही लोगों का घर से निकला कम हो जाता है. ऐसे में एक्सरसाइज और रोज की भाग-दौड़ भी कम हो जाती है. खास कर मोटे लोग सर्दियों में हिलना भी पसंद नहीं करते और यही कारण होता है जो शरीर में वसा और कोलेस्ट्राल को बढ़ा देता है. कोलेस्ट्राल के स्तर में वृद्धि होना यानी बिमारियों की शुरुआत होना.
सर्दियों में कोलेस्ट्राल का बढ़ना हृदय रोग यानी कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिजीज का मुख्य कारण होता है. कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिजीज, दिल और रक्त वाहिकाओं के विकारों के कारण होती हैं. इनमें दिल के दौरे (कोरोनरी हृदय रोग), स्ट्रोक (केर्ब्रोवेस्कुलर रोग), बढ़ा हुआ रक्तचाप (हाइपरटेंशन), परिधीय धमनी रोग, आमवाती हृदय रोग, जन्मजात हृदय रोग तथा हार्ट फेल होना शामिल हैं.
कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिजीज मोटापा बढ़ने, फिजिकल एक्टिविटी न होने से, अधिक वसायुक्त आहार लेने से और नशा करते से होती हैं. खास कर सर्दियों में यह डिजीज अधिक होती हैं इसलिए डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि सर्दियों में संतुलित आहार लें और फिजिकल एक्टिव रहें ताकि हर उम्र के लोगों को दिल से जुड़ी बिमारियों से बचाया जा सके.
कार्डियोवस्कुलर हार्ट डिजीज के लक्षण
– शरीर में सूजन आना,
– चक्कर आना और अत्यधिक पसीना आना
– तेजी से सांस लेना, त्वचा, होंठ और अंगुलियों के नाखूनों में नीलापन
– सांस फूलने के साथ, सीने, जबड़े या बांह में दर्द होना
– थकान व कमजोरी महसूस होना
जाँच के दौरान…
– सांस रोकने में तकलीफ, रक्त जमना और फेफड़ों में द्रव जमा होना
– पैरों, टखनों और टांगों में पानी का जमा होना
हार्ट डिजीज से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है, संतुलित आहार और नियमित रूप से व्यायाम. सुबह सैर पर जा सकते हैं या घर, पार्क या बागीचे में कसरत या योगा कर सकते हैं. यदि किसी नशे के शिकार हैं तो उसकी अत्यधिक मात्रा पर कंट्रोल करें. अगर आप के परिवार में पूर्व में किसी को हृदय रोग रहा हो तो शारीरिक श्रम से आप लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.